परिवार नियोजन के लिए महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। लेकिन उनके मन में इसे खाते वक्त न जाने कितनी शंकाएं पैदा होती है। उनके मन में सवाल उठते हैं कि इसके साइड इफेक्ट क्या हो सकते हैं? इनके इस्तेमाल का सही तरीका क्या है? कितनी लंबी अवधि के लिए इनका सेवन कर सकते हैं? कहीं इनके सेवन से मासिक चक्र की प्रक्रिया में तो कोई दिक्कत नहीं आएगी? ऐसे में अगर इनके जवाब ना मिलें तो यह शंकाएं तनाव का कारण बन जाती हैं। इसलिए समय पर इनकी जानकारी लेनी जरूरी होती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गर्भनिरोधक गोलियों से संबंधित मुख्य जानकारियों से रूबरू कराएंगे। बता दें कि ये लेख उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बातचीत पर बनाया गया है। पढ़ते हैं आगे...
स्त्री के प्रजनन तंत्र के लिए गर्भनिरोधक गोलियां का काम?
इन गोलियों के सेवन से स्त्री की ओवरीज में एग्ज बनने की प्रक्रिया कुछ वक्त के लिए रुक जाती है। यही कारण होता है कि स्त्रियां कंसीव नहीं कर पाती हैं।
क्या है इन गोलियों को लेने का सही तरीका?
अगर इन गोलियों का इस्तेमाल कोई स्त्री पहली बार करती है तो पीरियड्स के दूसरे दिन से वे नियमित रूप से निश्चित समय पर दवा लेना शुरू कर दे। बता दें कि एक पैकेट में 21 गोलियां होती हैं इन 21 गोलियों को लेने के बाद 7 दिन का ब्रेक शरीर को देना बेहद जरूरी होता है। उसी दौरान संभावित रूप से दोबारा पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। जैसे ही गैप खत्म हो जाता है स्त्रियां फिर इन गोलियों का सेवन शुरू कर दें। ये तरीका बेहद सुरक्षित होता है।
इन 21 दिनों के कोर्स में अगर बीच में 1 दिन दवाई लेना भूल जाएं तो क्या करें?
अगर कोई स्त्री बीच में दवाई लेना भूल जाती है तो अगले दिन जैसे ही याद आए तुरंत दवाई ले लें। उदाहरण के तौर पर यदि आप कल दवाई लेना भूल गई हैं और आपको आज सुबह याद आया है तो आप तुरंत दवाई ले लें और शाम को निर्धारित समय पर दूसरी दवाई भी ले लें। ध्यान रखें इस लापरवाही की वजह से दवाइयों का असर कम हो जाता है। ऐसे में आप दूसरे प्रोटेक्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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नवविवाहित महिलाओं को इस दवा का सेवन करना चाहिए?
यह तरीका परिवार नियोजन के लिए बेहद सुरक्षित है और अगर वे इन दवाओं को लेना बंद भी कर देती हैं तो बाद में आसानी से कंसीव कर सकती हैं। ऐसे में अगर नवविवाहित महिला इसका सेवन करती हैं तो उन्हें बाद में कंसीव करने में दिक्कत नहीं होगी।
कितनी लंबी अवधि तक इन दवाओं का सेवन किया जा सकता है?
एक्सपर्ट्स 5 साल तक इन दवाओं का सेवन सुरक्षित मानते हैं लेकिन उन्हें समय समय कुछ टेस्ट करवाने होते हैं। लेकिन जो महिलाएं लंबे समय तक इनका सेवन करती हैं उन्हें पैरों की नसों में ब्लड क्लोटिंग की समस्या नजर आने लगती है। अगर इस तरह की परिस्थिति बनती है तो इसे डीबीटी यानी डीप वेंस थ्रांबोसिस कहते हैं। इसीलिए लंबे समय तक का इन दवाओं का सेवन करने वाली महिलाओं को डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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इन गोलियों के साइड इफेक्ट्स?
कुछ स्त्रियों को इनके सेवन के दौरान सिरदर्द, नॉजिया या जी मचलाने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे का कारण है कि इन दवाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का मिश्रण मौजूद होता है, जिसकी वजह से यह समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
क्या वजन बढ़ना भी इसके साइड इफेक्ट्स में आता है?
जैसे कि हमने पर भी बताया कि इनके अंदर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन पाया जाता है। पहले इन गोलियों में इन दोनों की अधिकता ज्यादा पाई जाती थी। जिसके प्रभाव से शरीर में वाटर रिटेंशन की समस्या हो देखने को मिलती थी साथ ही शरीर में पानी जमा होने लगता था। इस समस्या के चलते महिलाओं को ऐसा लगता है कि उनका वजन बढ़ने लगा है। लेकिन अब गर्भनिरोधक गोलियों में यह दोनों हार्मोन सीमित मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इस तरह के साइड इफेक्ट नजर नहीं आते।
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आइपील का इस्तेमाल?
जो महिलाएं आइपील का इस्तेमाल गर्भनिरोधक गोली की तरह लेती हैं उन्हें बता दें कि यह गोली आकस्मिक स्थिति में लेनी होती है। इन गोलियों के इस्तेमाल से शरीर में हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं और एक्टोपिक प्रेगनेंसी यानी फेलोपियन ट्यूब्स में भ्रूण विकसित हो सकता है। ऐसे में स्त्रियां आइपील का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें। कई ऐसी भी महिलाएं भी हैं जो इनके सेवन के बाद भी प्रेग्नेंट हो जाती हैं।
मासिक चक्र के लिए गर्भनिरोधक गोलियां?
क्योंकि इन गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक दो ऐसे फीमेल हार्मोन मौजूद होते हैं इसीलिए इन के माध्यम से मासिक चक्र को नियमित रखा जा सकता है। पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज होने पर पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, जिसे दूर करने के लिए लड़कियां शादी से पहले गर्भनिरोधक गोलियां डॉक्टर की सलाह पर लेती हैं।
गर्भनिरोधक गोलियां के अलावा और क्या तरीका है परिवार नियोजन का?
गर्भनिरोधक गोलियों के अलावा डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीके कितने सुरक्षित हैं इनका निर्णय स्त्री की सेहत के ऊपर निर्भर करता है। स्त्री की शारीरिक अवस्था के अनुसार ही डॉक्टरों उन्हें सलाह देते हैं। जो महिलाएं शादी के बाद 1 साल तक बच्चा नहीं चाहती हैं उनके लिए गर्भनिरोधक गोलियां एक अच्छा ऑप्शन है। वहीं जो स्त्रियां दो बच्चों के बीच गैप रखना चाहती हैं उनके लिए डॉक्टर IUCD और मल्टी लोड ऑप्शन सही मानते हैं। इसके अलावा महिलाओं को पहले बच्चे के बाद 3 महीने के अंतराल पर एक इंजेक्शन लगाया जाता है। वह इंजेक्शन हार्मोन का होता है जिससे परिवार नियोजन हो सकता है। लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट सामने आते हैं जैसे पीरियड ना होना, बीच-बीच में हल्की स्पोर्टिंग आदि। इसके अलावा वजाइना के भीतर डिजाइन होने वाली कैप्सूल पेसरी और जेल इंटरकोर्स से पहले इस्तेमाल किए जाते हैं। इनके माध्यम से स्पर्म पहले ही नष्ट हो जाता है लेकिन इस रास्ते को भी डॉक्टर ज्यादा सुरक्षित नहीं मानते हैं इसीलिए साथ में कॉन्डम का इस्तेमाल करना जरूरी है।
नोट- जो स्त्री गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल या अन्य तरीकों अपना रही है वह स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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