
शरीर को फिल्टर करने के लिए किडनी अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में यह जानना और भी जरूरी हो जाता है कि किडनी किस प्रकार काम करती हैं।
जब शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की बात आती है तब किडनी का नाम सबसे पहले आता है। डॉक्टर्स का भी मानना है कि अगर आपकी किडनी स्वस्थ है तो आपका शरीर भी स्वस्थ है। बता दें कि पीठ के मध्य भाग में पसलियों के नीचे किडनियों का जोड़ा स्थित होता है। आकार में किडनी एक मुट्ठी के बराबर होती है। वहीं ये राजमा जैसी दिखाई देती हैं। इसे नेफ्रॉन्स के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह लाखों सूक्ष्म तंतुओं से मिलकर बनी होती है।
आखिर किडनी कैसे काम करती है? किडनी से जुड़ी प्रमुख समस्याएं और बचाव क्या हैं? जानते हैं जवाब पारस हॉस्पिटल के डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी के डॉ. पीएन गुप्ता से। पढ़ते हैं आगे...
कैसे काम करती है किडनी (How does kidney work)
किडनी ब्लड को फिल्टर करती है। इस प्रक्रिया वे नुकसानदेह तत्व और अतिरिक्त पानी को छानकर यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकालती है। इसके साथ यूरेटर यानि दो नलियां भी जुड़ी होती हैं। इन नलियों का काम ब्लड साफ होने के बाद अवशेष को ब्लैडर तक ले जाना होता है। ध्यान दें, किडनी शरीर में कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम और पोटेशियम जैसे जरूरी मिनरल्स को भी संतुलन बनाए रखती है। इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल को भी संतुलित बनाए रखने में कारगर है। कैल्सिट्रॉयल जो कि विटामिन डी का खास तत्व है किडनी इसे भी बनाने का काम करती है। किडनी के ऊपर एस्ट्रिोपॉयोटिन नामक हॉर्मोन को भी किडनी ही बनाती है। अब सवाल यह है कि शरीर का जो अंग इतने सारे काम करता है अगर वही गड़बड़ा जाए तो शरीर को किन-किन तरीकों से नुकसान पहुंच सकता है?
क्यों होती है किडनी में समस्या( kidney problems)
किडनी में समस्या नेफ्रॉन्स में गड़बड़ी के कारण होती है। क्योंकि अगर नेफ्रॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाए तो ब्लड की सफाई सही प्रकार से नहीं हो पाती और शरीर को अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर डायबिटीज, दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करने से, हाई ब्लड प्रेशर आदि से किडनी को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा असंतुलित जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से भी लोग किडनी संबंधित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। किडनी को लेकर शुरुआत में इसलिए सतर्क रहना पड़ता है क्योंकि इसके लक्षण नजर नहीं आते और जब तक लोगों को किडनी की गड़बड़ी के बारे में पता चलता है तब तक 60 से 65% किडनी नष्ट हो चुकी होती है। ऐसे में अगर शुरुआत में ही थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो किडनी की सेहत को हेल्थी बनाए रखा जा सकता है।
किडनी में स्टोन के लक्षण, कारण और बचाव (kidney stone)
ध्यान दें कि खून को फिल्टर करने के दौरान यूरिन में कैल्शियम के साथ-साथ अन्य मिनरल्स के अवशेष भी यूरेटर के माध्यम से ब्लैडर तक बारीक कणों के रूप में पहुंच जाते हैं और यूरिन के साथ बाहर आ जाते हैं पर कभी कभी ऐसी स्थिति बनती है कि इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है और ये किडनी में जमा होकर पत्थर के टुकड़े जैसा आकार ले लेते हैं और ब्लैडर तक यूरिन के रास्ते में रुकावट लाते हैं।
इसके कारण (causes of kidney stone)
यूरिन में कुछ खास तरह के केमिकल्स पाए जाते हैं जो कि क्रिस्टल को बनने से रोकते हैं लेकिन जब केमिकल्स की कमी हो जाती है तब किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा पानी या तरल पदार्थों का सेवन ना करना और यूटीआई के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
इसके लक्षण (symptoms of kidney stone)
- पेट में दर्द होना,
- यूरिन का रुक जाना या रुक-रुक कर यूरिन आना,
- यूरिन के साथ ब्लड का आना,
- बार बार टॉयलेट जाने की जरूरत को महसूस करना,
- बुखार और कमजोरी,
- भूख न लगना और जी मचलाना,
इसके बचाव (Treatment of kidney stone)
- 8 से 10 गिलास पानी पीना
- किडनी की नियमित जांच
- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज होने पर कैल्शियम, सोडियम, प्रोटीन, फास्फोरस की मात्रा का कम सेवन करना
- चीनी नमक का सेवन सीमित मात्रा में करना
- दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से बचें
- कॉफी की आदत को कम करना (दिन में दो कप से ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना)
किडनी स्टोन होने के बाद उपचार
अगर समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है तो दवाई से उसे दूर किया जा सकता है। लेकिन अगर स्टोन का साइज बड़ा है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। आजकल लेप्रोस्कोपी, यूरेटेरोस्कॉपी आदि के माध्यम से भी किडनी स्टोन की समस्या को दूर किया जा रहा है।
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यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI)
ध्यान दें कि किडनी यूरेटर ब्लैडर और यूरेथ्रा से मिलकर शरीर का यूरिनरी सिस्टम बनता है। जब भी सिस्टम संक्रमित हो जाता है तो इसे यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन या यूटीआई कहते हैं।
इसके लक्षण (Symptoms of uti)
- टॉयलेट का बार-बार आना,
- बुखार और सुस्ती,
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना,
- यूरिन का रंग बदलना और बदबू आना,
- बुखार और कंपन की समस्या,
- यूरिन डिस्चार्ज के दौरान दर्द महसूस करना,
इसके बचाव (treatment of uti)
- पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना,
- पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से पहले फ्रेश करना,
- इंफेक्शन के दौरान सेक्स से दूर रहना।
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पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
पॉलीसिस्टिक डिजीज यानी साधारण भाषा में किडनी फेलियर। किडनी में गांठ बनने के दौरान उसकी क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सिगरेट या एल्कोहल का सेवन ज्यादा मात्रा में करते हैं उनके सामने ऐसी स्थिति पैदा होती है। हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की मरीजों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
इसके लक्षण
- पेट के निचले हिस्से में दर्द,
- सिर में दर्द,
- आंख में सूजन,
- सांस का फूलना,
- खून की कमी,
- शरीर में कमजोरी होना,
- पैरों में दर्द,
- पाचन संबंधित गड़बड़ी
इसके उपचार
सबसे पहले इस बात पर गौर किया जाता है कि क्या ब्लड के फिल्टरेशन की प्रक्रिया सही ढंग से हो रही है। शुरुआत में दवाओं के माध्यम से समस्या का हल निकाला जाता है डॉक्टर किडनी फेलियर को पांच अवस्था में बांटते हैं। शुरुआत की तीन अवस्थाओं में दवाओं की मदद ली जाती है और चौथी और पांचवी अवस्था में मरीज के लिए डायलिसिस ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है। अगर किडनी प्रत्यारोपण सफल हो जाए तो मरीज को ताउम्र अपनी दिनचर्या संतुलित खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है।
कुछ जरूरी बातें
- डॉक्टर नमक और चीनी का सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह देते हैं।
- मछली के अंदर ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो किडनी के लिए बेहद फायदेमंद है।
- लहसुन के अंदर एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो किडनी को दुरुस्त रखने में मददगार साबित होते हैं।
- डॉक्टर स्ट्रॉबेरी और जामुन को भी अपनी डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं।
- किडनी को स्वस्थ बनाने के लिए मैग्निशियम अहम भूमिका अदा करता है। ऐसे में अपने खाने में रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें।
- अंडे की सफेदी में अमीनो एसिड और फास्फोरस पाया जाता है जो किडनी को दुरुस्त रखता है।
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