मोटापा किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है, फिर वह चाहे बच्चे ही क्यों न हो। तमाम रिपोर्ट्स बताती हैं कि बच्चे मोटापे से खासतौर पर प्रभावित हो रहे हैं। जिसके कारण बच्चों में सेहत से जुड़ी तमाम समस्याएं भी बढ़ रही हैं। मोटापा आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गया है।
आधुनिक जीवनशैली का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव मोटापा ही है। मोटापे से कई बीमारियां हो जाती हैं। मोटापे से बचने के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि मोटापे से बचने का यही सबसे आसान उपाय है।
- मोटापे की समस्या दुनियाभर में फैल रही है। भारत में भी मोटापा एक भंयकर समस्या के रूप में उभर रहा है। बीते सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली् में 28 फीसदी वयस्क पुरुष और 47 फीसदी वयस्क महिलाएं मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं। ये आंकडा़ अब और अधिक बढ़ गया है।
- कुछ समय पहले हुए आंकड़ों के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में पांच साल से कम आयु के करीब दो करोड़ 20 लाख बच्चे अपने वजन से अधिक पाए गए,जो कि विश्व के भविष्य के लिए खतरा है।
- मोटापे के कारण बच्चों और लोगों में आत्मविश्वास में कमी, चिंता, डिप्रेशन, ईटिंग डिस्ऑर्डर, अकेलापन, डायबिटीज, पॉलिसिस्टिक ओवरी, हाइपोगोनैडिस्म, हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, स्लीप एपेनिया, अस्थमा, एक्सरसाइज इंटोल्रेंस,गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल बीमारी, कब्ज, लीवर पर फैट्स जमना फ्लैट फीट इत्यादि बीमारियां प्रमुख रूप से उभर कर आ रही हैं।
- मोटापे का ठोस कारण कैलोरी में बढ़ोत्तरी, तैलीय खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, हर समय कुछ न कुछ खाते रहना और शारीरिक निष्क्रियता है, ऐसे में इन चीजों में कमी करना आवश्यक है।
- हालाँकि पुरानी आदतों की वजह से मोटापे पर क़ाबू पाना उतना आसान नहीं है। मोटापे से निजात पाने के लिए मज़बूत इच्छाशक्ति की ज़रूरत है। ऐसे में मोटापे से निपटने के लिए भोजन और व्यायाम संबंधी आदतों में बड़े बदलाव की ज़रूरत है।
- डब्ल्यूएचओ का मानना है कि समाज में तेजी से आ रहे बदलाव के कारण बचपन में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। बच्चों में मोटापा बढने का सीधा संबंध खानपान में स्वास्थ्यवर्धक भोजन की कमी और शारीरिक गतिविधियों के स्तर में कमी आना है लेकिन इसका प्रभाव अन्य गतिविधियों पर भी पड़ रहा है।
- इन आंकड़ों और तथ्यों से साबित हो चुका है कि मोटापा सचमुच देश के लिए और समाज के लिए आने वाले समय में बड़ा खतरा बन सकता है। इसको रोकने के लिए लोगों को अपनी जीवनशैली में परिवर्तन कर व्यायाम और शारीरिक सक्रियता को अपने जीवन में शामिल करना बेहद जरूरी है।
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