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नाक से सांस लेना ज्यादा बेहतर है या मुंह से? एक्सपर्ट से जानें सेहत पर इनका प्रभाव

Nose vs Mouth Breathing: नाक और मुंह से सांस लेने की प्रक्र‍िया अलग होती है। ऐसे में सांस लेने के ल‍िए कौन सा माध्‍यम ज्‍यादा बेहतर है यह जान लें। 
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नाक से सांस लेना ज्यादा बेहतर है या मुंह से? एक्सपर्ट से जानें सेहत पर इनका प्रभाव


Nose Breathing vs Mouth Breathing: सांस लेना हमारे जीवन का महत्‍वपूर्ण ह‍िस्‍सा है। हमारा पूरा शरीर ऑक्‍सीजन की लय पर ही न‍िर्भर है। द‍िल, द‍िमाग और सभी अंगों के ठीक ढंग से कार्य करने के ल‍िए ऑक्‍सीजन की जरूरत होती है। अगर सांस लेने में द‍िक्‍कत होगी, तो शरीर में अन्‍य समस्‍याएं जन्‍म लेने लगेंगी। सांस के ब‍िना इंसान का जीवन संभव नहीं है। जब सांस हमारे शरीर के ल‍िए इतना जरूरी है तो फ‍िर हमें सांस लेने की प्रक्र‍िया पर भी गौर करना चाह‍िए। आपने कभी नोट‍िस क‍िया है क‍ि आप सांस कैसे लेते हैं? कुछ लोग नाक से सांस लेते हैं तो कुछ लोग मुंह से सांस लेते हैं। चल‍िए जानते हैं मुंह और नाक से सांस लेने में क्‍या अंतर है और समझेंगे क‍ि दोनों में से क्‍या ज्‍यादा बेहतर है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने तबाता फ‍िटनेस की प्रबंधक, न्‍यूट्र‍िशन‍िस्‍ट और फ‍िटनेस एक्‍सपर्ट पायल अस्‍थाना से बात की।  

नाक से सांस लेना और मुंह से सांस लेने में अंतर- Nose Breathing vs Mouth Breathing

नाक का काम सांस भरना और छोड़ना है। नाक का मुख्‍य कार्य ब्रीद‍िंग प्रक्र‍िया ही है। नाक हमारे शरीर में हवा का फ‍िल्‍टर है। यह बॉडी में हवा को जाने से पहले साफ कर देती है ताक‍ि आप ताजी सांस ले सकें। ताजी हवा में सांस लेने से इन्‍फेक्‍शन का खतरा कम होगा और फेफड़ों तक एयरफ्लो बेहतर रहेगा। जब हम नाक से सांस लेते हैं, तो शरीर में ऑक्‍सीजन का संचार होता है और कार्बन डाईऑक्साइड के फॉर्म में व‍िषाक्‍त पदार्थ शरीर के बाहर न‍िकल जाते हैं। वहीं मुंह से भी सांस ली जाती है। लेक‍िन मुंह का मुख्‍य कार्य सांस लेना नहीं है। नाक बंद होने की स्‍थ‍ित‍ि में मुंह से सांस ली जा सकती है। हालांक‍ि कुछ लोग मुंह से ही सांस लेते हैं। मुंह का इस्‍तेमाल खाने-पीने, बोलने के ल‍िए क‍िया जाता है। मुंह में क‍िसी तरह का फ‍िल्‍टर नहीं है। ऐसे में जब आप मुंह से सांस लेंगे, तो हवा  फ‍िल्‍टर हुए बगैर ही शरीर में चली जाएगी। इससे शरीर में बीमारी और इन्‍फेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है।

सांस को नाक से लेना चाह‍िए या मुंह से?- Nose Breathing is Better or Mouth Breathing

आपको नाक से सांस लेना चाह‍िए। नाक से सांस लेंगे, तो शरीर ज्‍यादा ऑक्‍सीजन एब्‍सॉर्ब करेगा। नाक से सांस लेंगे तो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी। नाइट्र‍िक ऑक्‍साइड हमारे शरीर में मौजूद ब्‍लड वैसल्‍स में बनने वाली गैस है। इसकी मदद से खून पतला होता है और बीपी कंट्रोल रहता है। नाक से सांस न लेने पर नाइट्र‍िक एस‍िड की कमी हो सकती है ज‍िससे द‍िल की बीमार‍ियों का खतरा बढ़ जाता है। मुंह से सांस तब लेना ठीक है जब सर्दी-जुकाम के कारण नाक ब्‍लॉक हो या नाक में कोई इन्‍फेक्‍शन हो। लेक‍िन मुंह से सांस लेने की आदत न बनाएं। मुंह से सांस लेना क‍िसी भी तरह से सेहतमंद नहीं होता। 

नाक से सांस लेने के फायदे- Nose Breathing Benefits 

nose breathing

  • नाक से सांस लेंगे, तो ब्रेन को पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन म‍िलेगी और तनाव घटेगा। 
  • फेफड़ों के माध्यम से ऑक्सीजन का संचार ठीक ढंग से होता है।
  • नाक से सांस लेंगे, तो ब्रेन फंक्‍शन इंप्रूव होगा और एकाग्रता बढ़ेगी। 
  • यह इम्‍यून स‍िस्‍टम को बेहतर रखने में शरीर की मदद कर सकता है।
  • नाक से सांस लेंगे, तो मौसम बदलने पर होने वाली एलर्जी से बचाव होगा।  

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मुंह से सांस लेने के नुकसान- Mouth Breathing Side Effects  

  • जो लोग मुंह से सांस लेते हैं, उनमें खर्राटे लेने की समस्‍या होने लगती है। 
  • मुंह से सांस लेंगे, तो सीने में भारीपन और जकड़न महसूस होगी। 
  • ड्राई माउथ की समस्‍या भी उन लोगों में ज्‍यादा होती है जो मुंह से सांस लेते हैं।
  • होंठ ज्‍यादा ड्राई हो रहे हैं, तो चेक करें क‍ि आप कहीं मुंह से सांस तो नहीं ले रहे हैं। यह मुंह से सांस लेने का एक साइड इफेक्‍ट है। 
  • सीजनल एलर्जी का खतरा ज्‍यादा होगा। 
  • स्‍लीप एपन‍िया और जबड़े में असामान्यताएं हो सकती हैं।    
  • इससे दांत और मसूड़ों के रोग हो सकते हैं क्‍योंक‍ि हवा के जर‍िए बैक्‍टीर‍िया मुंह के अंदर आकर च‍िपक सकते हैं।  

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