Maze Surgery: मेडिकल तकनीक बेहद एडवांस हो गई है। जो इलाज सालों पहले नामुमकिन थे, अब वह आसानी से कर लिए जाते हैं। हार्ट हमारे शरीर का नाजुक अंग है। कई प्रक्रिया और सर्जरी ऐसी हैं, जिनका इजात केवल हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हुआ है। ऐसी ही एक सर्जरी है जिसे मेज़ सर्जरी कहा जाता है। मेज़ सर्जरी एक प्रकार की ओपन हार्ट सर्जरी है। इस सर्जरी में 2 से 4 लाख तक खर्चा आता है। कई अस्पतालों में इस सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। मेज़ सर्जरी की मदद से हार्ट की अनियमित धड़कनों का इलाज किया जाता है। इस सर्जरी में डॉक्टर हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को नियंत्रित करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे मेज़ सर्जरी की प्रक्रिया और जानेंगे इसकी जरूरत कब पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के पल्स हॉर्ट सेंटर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ला से बात की।
मेज़ सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है?- When Maze Surgery is Required
मेज़ सर्जरी की जरूरत तब पड़ती है-
- रक्त में थक्का बनना।
- कोरोनरी आरट्री बाइपास।
- वॉल्व रिपेयर।
- दिल की धड़कन का अनियमित होना।
- सीने में दर्द।
- किसी तरह का ब्लॉकेज।
- आघात।
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मेज़ सर्जरी से पहले क्या होता है?
- मेज सर्जरी के लिए पहले रोगी की शारीरिक जांच की जाती है। व्यक्ति के मेडिकल रिकार्ड चेक किए जाते हैं।
- इसके बाद ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, ईसीजी आदि जांच की जाती है।
- इस सर्जरी से पहले ब्लड थिनर लेना बंद करने का निर्देश दिया जा सकता है।
- प्रक्रिया से एक दिन पहले रात के बाद कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाएगा।
मेज़ सर्जरी की प्रक्रिया क्या है?- How Maze Surgery is Done
- मेज़ सर्जरी के लिए छाती के हिस्से में चीरा लगाया जाता है।
- इसके बाद कैमरा के तौर पर सर्जिकल उपकरण एंडोस्कोप को छीरे वाले स्थान से शरीर में डाला जाता है।
- एंडोस्कोप की मदद से डॉक्टर छाती के अंदर का दृश्य देख पाते हैं।
- सर्जन छाती क्षेत्र में छोटे कीहोल चीरा या कटौती करता है।
- इन चीरों के माध्यम से एक एंडोस्कोप (एक छोर पर एक कैमरा वाला एक पतला, हल्का उपकरण) और कुछ विशेष सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं।
- सर्जरी करते समय सर्जन छाती के अंदर का दृश्य देख सकता है।
- दिल पर निशान ऊतक बनाने के लिए गर्मी या ठंडी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।
- टांकों की मदद से चीरों को बंद कर दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया में तेजी से रिकवरी होती है और ओपन सर्जरी की तुलना में इस सर्जरी में दर्द कम होता है।
- सर्जरी कराने के बाद लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। मरीज को ठीक होने में करीब 2 से 3 महीनों का समय लग सकता है।
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