कोरोना से संक्रमित होने पर कुछ लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखते थे। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने यह पाया कि ऐसा जेनेटिक म्यूटेशन के कारण हो रहा था। दरअसल, कोरोना संक्रमण होने पर शरीर के जीन्स में बदलाव होते हैं, जिस कारण म्यूटेशन में भी बदलाव देखे जाते हैं। इस स्थिति में कोरोना होने के बाद भी आपको लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक SARS-CoV-2 से संक्रमित होने वाले कम से कम 20% लोग बीमार महसूस नहीं करते साथ ही साथ उनमें कोरोना के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
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इम्यून सेल्स को हो सकता है लाभ
वैज्ञानिकों की मानें तो यह म्यूटेशन उन लोगों के इम्यून सेल्स के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जो पहले से ही सीजनल कोरोना वायरस की चपेट में हैं। इस समस्या में लक्षण नहीं दिखने पर शोधकर्तोओं ने कुछ लोगों पर शोध किया, जिसमें यह पाया कि 136 लोगों में इस वायरस के लक्षण नजर नहीं आए थे। हालांकि पहले के मुकाबले अब कोरोना के ऐसे मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
कैसे करें एसिम्प्टोमैटिक कोराना की पहचान ?
बीते दिनों कोरोना के कई एसिम्प्टोमैटिक मामले देखने को मिले थे, जिनमें संक्रमण होने के बाद भी लक्षण सामने नहीं आए थे। एसिम्प्टोमैटिक कोराना की स्थिति में तत्काल रूप से आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना चाहिए। इसे कराने से आसानी से कोरोना संक्रमण का पता चल सकता है। एसिम्प्टोमैटिक कोरोना वायरस भी कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे हल्के सिम्प्टमैटिक, प्रीसिम्प्टमैटिक और एसिम्प्टमैटिक। हालांकि, अब कोरोना के मामलों की संख्या काफी कम है, जिसके चलते इसपर लगाए गए दिशा-निर्देशों में भी ढील दी जा रही है। मामले कम होने पर आज यानि 20 जुलाई से स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने की अनिवार्यता को हटा दिया गा है।
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कोरोना के आम लक्षण
कोरोना वायरस होने पर आपको सिरदर्द, बुखार, सूंघने की क्षमता पर असर पड़ना, शरीर में दर्द होना, नाक बहना, थकान, बार-बार छींक आना, सर्दी-जुकाम, गला खराब होना, दस्त और त्वचा में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इससे बचने के लिए इम्यून सिस्टम को हेल्दी रखने के साथ-साथ मास्क, पहनना, हाथों को सेनिटाइज करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना काफी जरूरी होता है।