कई बार मां की प्रेग्नेंसी या फिर उसकी डिलीवरी के समय में आने वाली किसी प्रकार की रुकावट बच्चे की सेहत पर भी भारी पड़ सकती है। कई बार मां की जैवनशैली खराब होने से भी बच्चे की सेहत प्रभावित हो सकती है। ऐसा ही एक मामला लंदन से सामने आया है, जहां डिलीवरी के दौरान मां को लंबे समय तक दर्द हुआ जिसके बाद नवजात शिशु को न्योनटल स्ट्रोक का सामना करना पड़ा। आइये दिल्ली के बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्टिपल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोशिएट डायरेक्टर डॉ. विनीत बांगा से जानते हैं इसके बारे में।
क्या था मामला?
दरअसल, 39 वर्षीय महिला हनी एट्रिग को 39 घंटों तक लेबर पेन हुआ, जिसके बाद डॉक्टरों ने महिला की डिलीवरी की। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें डिलीवरी के दौरान नवजात शिशु सोफी का कंधा फंस गया था। इस दौरान सोफी ने सांस लेना बंद कर दिया था और उसे न्योनटल स्ट्रोक आ गया था। इस दौरान नवजात को जीवित रहने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। बच्चे की जान बचाने के लिए उसे 3 हफ्तों तक आईसीयू में भर्ती रखा गया।
क्या है न्योनटल स्ट्रोक?
डॉ. विनीत के मुताबिक न्योनटल स्ट्रोक बच्चों में होने वाली एक समस्या है। यह स्ट्रोक का ही एक प्रकार है, जो आमतौर पर शिशु के जन्म से लेकर 28 दिनों तक हो सकता है। यह स्थति कई बार बच्चों में तब हो सकती है, जब उनका जन्म समय से पहले हो जाए। कई बार इस स्ट्रोक को पहचान पाना इसलिए भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि बच्चों में इतनी क्षमता नहीं होती कि वे उनकी जांच की जा सके। आमतौर पर यह ब्लड क्लॉटिंग, कॉग्निटल हार्ट डिजीज, इंफेकशन आदि के कारण हो सकता है। हालांकि, समय से पता लगने पर इसका इलाज आसान हो जाता है।
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न्योनटल स्ट्रोक के लक्षण
- इस स्ट्रोक में शरीर में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- न्योनटल स्ट्रोक होने पर शिशु को जरूरत से ज्यादा सुस्ती आ सकती है।
- ऐसे में कई बार शरीर के एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर सकता है।
- कई बार कंधे या पैरों में ट्विचिंग होना भी इसका लक्षण हो सकता है।