अब एक नए टेस्ट से हो सकेगी लिवर कैंसर की शीघ्र पहचान

हाल ही में हुए एक शोध द्वारा एक ऐसे टैस्ट को विकसित किया गया है जिस के द्वारा लिवर कैंसर की शीघ्र पहचाना जा सकेगा।
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अब एक नए टेस्ट से हो सकेगी लिवर कैंसर की शीघ्र पहचान


Test Enables Early Diagnosis of Liver Cancerभारतीय मूल के शोधकर्ताओं सहित वैज्ञानिकों के एक दल ने एक ऐसा नया परीक्षण विकसित किया है जिससे लिवर कैंसर कोशिकाओं को एक विशिष्ट लाल-भूरा रंग देकर सामान्य लिवर कोशिकाओं से जल्दी अलग कर पहचाना जा सकता है।  


जॉर्जिया रीजेंट यूनिवर्सिटी स्थित मेडिकल कॉलेज के मॉलिक्यूलर लेब और जॉर्जिया एसोटेरिक के पैथोलॉजिस्ट और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रवींद्र कोहले ने कहा कि "अभी तक इन दोनों कोशिकाओं को अलग कर नहीं देखा जा सकता था। और इसी वजह से इसे पहचानने में देरी होती थी। तब तक उपचार के विकल्प कम प्रभावी हो जाते हैं।"

 

डॉ. कोहले ने बताया कि 'लिवर कैंसर का जल्दी पता करने के लिए कोई निश्चित परीक्षण (टेस्ट) नहीं है। हमारा यह परीक्षण इसका पता लगाने में एक स्तर ज्यादा ऊंचा है।' प्रारंभिक लिवर कैंसर के ज्यादातर मामले खामोश ही होते हैं।


कोहले ने कहा कि लिवर के प्रभावित हिस्‍से को निकालने से लेकर, लिवर प्रत्‍यारोपण और फ्रीजिंग और हीटिंग जैसी तकनीकों में असफल होने के खतरे अधिक थे।



कोहले ने बताया कि जांच से एक ऐसे माइक्रो आरएनए, जिसे एसआरआई- 21 कहा जाता है, का पता चला जो कि कैंसरग्रस्‍त कोशिकाओं में पाया जाता है, लेकिन लिवर की स्वस्थ कोशिकाओं में नहीं पाया जाता।  आरएनए के विपरीत, माइक्रो आरएनए प्रोटीन नहीं बनाता बल्कि आरएनए द्वारा बनाए प्रोटीन को नियंत्रित करता हैं। इसका मतलब है कि यह अधिक स्थिर है और आमतौर पर सूक्ष्म मूल्यांकन (माइक्रोस्कोपिक इवेल्युएशन) की बायोप्सी तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले कठोर रसायनों में भी टिक सकता है।

अपने अध्ययन के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 10 स्वस्थ लिवर और 10 प्रारंभिक कैंसर वाले लिवर की बायोप्सी प्रयोग की। लिवर कैंसर के प्रत्येक मामले में बायोप्सी ने लाल-भूरा रंग ले लिया। जबकि जांच से सामान्य कोशिकाओं में यह बदलाव पता नहीं चला। अब शोधकर्ता लिवर कैंसर के 200 इसी तरह के मामलों पर इस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।

 

 

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