
अल्जाइमर मुख्य तौर पर बुजुर्गों को ही अपना शिकार बनाती है ऐसे में इस बीमारी की व्यापकता बढ़ने की आशंका अधिक होती है, जानिए कैसे।
अल्जाइमर लाइलाज नहीं है, लेकिन इसके खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसके कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। आमतौर पर लोग इसे भूलने की साधारण बीमारी समझ लेते हैं, जबकि यह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। समय रहते ही अगर इसकी रोकथाम के उपाय कर लिए जाएं तो इसे विकराल रूप लेने से रोका जा सकता है।
माना जा रहा है कि अगले 20 वर्षं में देश में बुजुर्गों की संख्या में व्यापक बढ़ोतरी होगी और इसके कारण भारत में बुजुर्गों की आबादी सबसे बड़ी हो जायेगी। चूंकि अल्जाइमर्स एवं डिमेंशिया जैसी बीमारियां मुख्य तौर पर बुजुर्गों को ही अपना शिकार बनाती है ऐसे में इन बीमारियों की व्यापकता बढ़ने की आशंका है। वर्ष 2050 तक इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 78 करोड़ तक पहुंच सकती है।
इस बीमारी की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर इस बीमारी की लागत 600 खरब डॉलर से ज्यादा है। भारत में 60 साल से अधिक लोगों में हर 20 व्यक्ति में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है, जबकि 80 साल से अधिक लोगों में से हर पांच व्यक्ति में से एक व्यक्ति इससे पीड़ित हैं।
अल्जाइमर्स एवं डिमेंशिया जैसे रोगों के बारे में जन जागरुकता कायम करने के उपलक्ष्य में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स दिवस मनाया जाता है। अल्जाइमर्स मस्तिष्क की कार्य प्रणालियों एवं कार्य क्षमताओं को प्रभावित करने वाली सर्वाधिक सामान्य बीमारियों का समूह है। दुनिया भर में हर 68 सेकंड पर कोई न कोई व्यक्ति अल्जाइमर्स रोग से ग्रस्त होता है।
अल्जाइमर अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार में किसी को अल्जाइमर हो, तो यह बीमारी उनके परिजनों को भी प्रभावित कर सकती है।
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