आज के समय में बच्चों में फोन और गेम की लत बढ़ती जा रही है इसका खामियाजा हमें समय-समय पर देखने को मिलता है और ऐसा ही एक केस लखनऊ में सामने आया जिसमें मां के बच्चे को गेम खेलने से रोके जाने पर उसने अपनी मां का कत्ल कर दिया। आपको बता दें कि एक्सपर्ट और डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि अभिभावकों की अनदेखी और बच्चों के हिंसक होने के कारण ऐसे केस देखने को मिलते हैं। आपको बता दें कि इस केस ने फिर से हमें ये सोचने पर मजबूर किया है कि क्या वाकई बच्चों की गलती है या पेरेटिंग में ही कुछ कमी है। चलिए इस लेख में आगे हम पूरा केस जानेंगे और आपको बताएंगे कि बच्चों के साथ आपको किन बातों को या आदतों को अवॉइड करना चाहिए। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
पबजी गेम खेलने से मना करने पर कर दी मां की हत्या (PUBG case Lucknow)
लखनऊ में हाल ही में दिल दहलाने वाला केस सामने आया है जिसमें एक 16 साल के नाबालिग ने अपनी मां को इसलिए मार डाला क्योंकि उसकी मां ने बच्चे को पबजी गेम खेलने से मना किया था। बच्चे ने इस बात का बदला लेने के लिए मां को गोली मारकर हत्या कर दी। यही नहीं, जानकारों की मानें तो इससे पहले भी मां और बेटे के बीच गेम की लत को लेकर बहस हो चुकी है जिसके बाद मां ने बच्चे पर हाथ भी उठाया था और बच्चा लंबे अरसे से मां के हिंसक व्यवहार से परेशान था। इस केस के बाद बच्चों के मोबाइल खेलने की खतरनाक लत और पेरेंटिंग पर एक बार फिर नए सिरे से सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
इसे भी पढ़ें- क्या आपका बच्चा भी है ऑनलाइन गेमिंग का शिकार? जानें इससे होने वाले नुकसान औैर गेमिंग की लत छुड़ाने के टिप्स
माता-पिता की इन आदतों का बच्चे पर पड़ता है बुरा असर
आपको बच्चे को हिंंसक होने से रोकना है तो आपको इन आदतों को अवॉइड करना चाहिए-
1. आप बच्चों के सामने या उनके लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग न करें, इससे बच्चों के मन पर बुरा असर पड़ता है।
2. आप बच्चे को प्यार से समझाएं और दोबारा वही काम करने पर आप उसे बार-बार टोकने से बचें, इससे बच्चे जिद्दी बन जाते हैं।
3. आप बच्चे को अन्य बच्चों से कंपेयर न करें, बच्चों की तुलना करने पर उनमें ईर्ष्या के भाव आ जाते हैं।
4. आपको हर हाल में अपने बच्चे को मारने से या तेज चिल्लाने से बचना है, ज्यादातर बच्चे अपनी बेजत्ती को सह नहींं पाते और गलत कदम उठा लेते हैं।
5. आप बच्चों को समय दें, आप इतने व्यस्त न हों कि बच्चे अकेला महसूस करें।
बच्चों में इन लक्षणों को नोटिस करें
डॉ नेहा ने बताया कि आपके बच्चे में कुछ अलग लक्षण नजर आएं तो उस पार गौर करें जैसे-
- बच्चा पहले से ज्यादा जिद्दी हो जाए।
- बच्चा बात करना कम कर दें।
- बात-बात पर बच्चे का रोना।
- ज्यादा खाने या सेवन या खाना कम लेना।
- मिलना-जुलना बंद कर देना।
- बात-बात पर मरने-मारने की बात करना।
गेम डिसआर्डर की चपेट में आ रहे बच्चे (Game disorder)
डॉ नेहा ने बताया कि आज की भागती लाइफ का असर बच्चों पर पड़ रहा है। काम में व्यस्त रहने के कारण माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पाते जिसके कारण वो अकेला महसूस करते हैं और अपना एंटरटेंमेंट खोजने के लिए बच्चे गेम की लत का शिकार हो जाते हैं, इसे हम गेम डिसआर्डर कहते हैं। इस लत के चलते न सिर्फ उनकी मानसिक सेहत खराब होती है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। बच्चे तनाव और अवसाद के शिकार हो जाते हैं।
आपके बच्चे में भी ऐसे लक्षण नजर आएं तो सतर्क हो जाएं और बच्चे को डांटने या मारने की गलती न करें, उसे प्यार से समझाएं या डॉक्टर व काउंसलर की मदद लें।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version