गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर को खराब स्वास्थ्य के चलते मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह अग्नाशय शोथ की समस्या से पीडि़त है। भाजपा के एक मंत्री के मुताबिक, पर्रिकर को 11 दिन पहले ही अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। हालांकि, परिकर की बीमारी की वजह से विधाससभा सत्र केवल चार दिन ही चल पाया। बाद में उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उन्हें जांच के लिए मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिकर ने सोमवार को कहा था कि जरूरत पड़ी तो वह आगे के इलाज के लिए विदेश भी जा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाज के लिए परिकर अमेरिका रवाना हो चुके हैं। हम आपको इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं कि अग्नाशय शोथ या पैन्क्रियेटाइटिस रोग क्यों होता है और इसके लक्षण और बचाव क्या हैं।
क्या है अग्नाशय शोथ
अग्नाशयशोथ अग्नाशय का सूजन है जो दो बिलकुल ही अलग रूपों में उत्पन्न होता है। एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस (तीव्र अग्नाशयशोथ) अचानक होता है जबकि क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस की विशेषता "वसा पदार्थ के अधिक बहाव या मूत्रमेह के साथ या बिना बार-बार या निरंतर होने वाला पेट दर्द है।
अग्नाशय का कार्य
अग्नाश्य पेट के ऊपरी हिस्से और पसलियों के ठीक नीचे थोड़ी बांयी और स्थित एक ग्रंथि है, जो छोटी आंत के बिलकुल नजदीक होती है। अग्नाश्य हमारे शरीर में दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाता है, एक तो आहार को पचाने के लिए पाचक जूस का निर्माण करना और दूसरा रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने के लिए इन्सुलिन का निर्माण करना। जहां एक और अग्नाश्य पाचक रस का निर्माण कर उसे छोटी आंत में भेजता है, वहीँ दूसरी और इन्सुलिन का निर्माण कर उसे रक्त में भेज देता है और यहाँ से यह दोनों तत्व अपना-अपना काम शुरू करते हैं। यदि अग्नाश्य यह एंजाइम नहीं बना पाता, यानी उसमें किसी तरह की समस्या पनप चुकी है। अग्नाश्य की बिमारी को अग्नाशय शोथ (पैन्क्रियेटाइटिस) के नाम से जाना जाता है।
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क्या है लक्षण
अग्नाशयकोप या पैन्क्रियेटाइटिस में, रोगी के अग्नाश्य में सूजन आ जाती है। दरअसल होता यह है कि जब हम कुछ भी खाते हैं, और अग्नाश्य उसे पचाने के लिए एजनाइम्स या पाचक जूस का निर्माण करता है, तो यह एंजाइम छोटी आंत में पहुंचने के बाद ही सक्रीय होते हैं। लेकिन यदि किसी वजह से अग्नाश्य में सूजन आ जाए तो यह छोटी आंत में पहुंचने से पहले ही अग्नाश्य में ही सक्रीय जाते हैं और अग्नाश्य पर आक्रमण करना शुरू कर देते हैं, इससे अग्नाश्य प्रभावित होता है और उस पर सूजन आ जाती है।
क्रोनिक- यह प्रक्रिया बेहद धीमी होती है और शुरुआत में इसकी जानकारी मरीज को नहीं मिल पाती। क्रोनिक पैन्क्रियेटाइटिस जहाँ एक और धीरे-धीरे पनपती है और लोगों को इसका पता भी काफी बाद में चल पाता है, और एक बार होने के बाद रोगी को हमेशा इसका उपचार जारी रखना पड़ता है।
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एक्यूट- इस प्रकार पैन्क्रियेटाइटिस में रोगी के अग्नाश्य में अचानक से सूजन आ जाती है और इसके लक्षण भी साथ के साथ दिखने लगते हैं। यह समस्या जहाँ तेजी से पनपनी है, वहीँ यह उपचार के बाद तेजी से ठीक भी हो जाती है। लेकिन वहीं दूसरी और कभी-कभी यदि समस्या काबू में आए तो घातक भी हो सकती है। पैन्क्रियेटाइटिस के रोगी को दो तरह की समस्याएं हो सकती हैं। एक तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ना और दूसरा शरीर में आहार का पाचन ने होने से अपच, उल्टी, मतली, पेट में दर्द और गंभीर कमजोरी हो जाना।
बचाव
- पित्ताशय की थैली को हटाना।
- चूंकि शराब और धूम्रपान अग्नाशयशोथ के जोखिम कारक हैं, इसलिए रोगियों को धूम्रपान नहीं करना चाहिए और शराब नहीं पीनी चाहिए।
- अगर आप भारी मात्रा में शराब पीते हैं, तो अपने चिकित्सक से इसकी लत्त हटाने के उपाय के बारे में बात करें।
- कम फैट वाले आहार खाना और स्वस्थ वजन बनाए रखने से पित्ताशय की बीमारियों के विकास का खतरा कम हो सकता है जो कि अग्नाशयशोथ का एक प्रमुख कारण है।
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