आप मोटापे से परेशान हैं और अपनी कैलोरी को नियंत्रित करके वजन घटाना चाहते हैं तो इसमें कैलोरी की गिनती का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि हर इंसान की पाचन शक्ति अलग-अलग होती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान जितनी कैलोरी लेता है उसकी गिनती से यह सोचकर संतुष्ट होना ठीक नहीं कि हमने पर्याप्त मात्रा में कैलोरी ले ली है। उनके मुताबिक कई बार गिनती के हिसाब से हम जितनी कैलोरी लेते हैं हमारा शरीर उसे उस स्तर पर हासिल नहीं करता।
इसकी एक वजह यह है कि भोजन का सेवन तो हम कर लेते हैं, लेकिन उसका पाचन सही से नहीं हो पाता। इसलिए गिनती के आधार पर कैलोरी लेना सही नहीं होता। एक शोध से पता चला है कि एक औस बादाम के सेवन से 170 कैलोरी मिलती है, लेकिन हमारा शरीर सही मयाने में उससे सिर्फ 129 कैलोरी ही हासिल कर पाता है।
दूसरी तरफ यदि हम डिब्बा बंद परिष्कृत भोजन करते हैं तो उसमें दी गई मात्रा से अधिक कैलोरी हमारे शरीर में पहुंच जाती है। इस तरह के भोजन पर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या रासायनिक फूड पैकेजिंग से बच्चों में मोटापा बढ़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कमर का साइज बढ़ जाता है।
इस तरह के भोजन के सेवन से बच्चों में बड़े होकर या कुछ समय बाद ही मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस तरह यदि कैलोरी की गणना की जाए तो उसके अनुरूप पूरी कैलोरी मिलने की संभावना नहीं रहती। बादाम खाने से मिलने वाली कैलोरी 25 प्रतिशत कम होती है।
वजन कम करने के लिए कैलोरी घटाने की बजाए यदि आसानी से पाचन होने वाले पौष्टिक भोजन की मात्रा पर ध्यान दिया जाए तो इससे आप स्वस्थ रहेंगे और मोटापा भी घटेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि कैलोरी की गिनती का जो सिस्टम है वह पुराना पड़ चुका है और आज के संदर्भ में वह आधारहीन हो गया है।
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