तेज आवाज आपके कानों के लिए खतरनाक होती है और आपके सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। ज्यादा शोर-शराबे में रहने, लगातार तेज आवाज में हेडफोन पर गाने सुनने या ट्रैफिक में लगातार तेज हॉर्न की आवाज से आपके कान के पर्दे असंवदेशील हो सकते हैं। इससे आपको कम या मध्यम आवाजों को सुनने में परेशानी हो सकती है। आमतौर पर लोगों में सुनने की समस्याएं 60-65 साल की उम्र के बाद शुरू होती हैं। मगर आजकल युवाओं में हेडफोन्स, डिस्को म्यूजिक और तेज आवाज वाले मनोरंजन साधनों का प्रयोग बढ़ने से कम उम्र में ही सुनने की समस्याएं शुरू हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लगभग 46.6 करोड़ लोगों को सुनने में कठिनाई होती है। चिकित्सकों का मानना है कि अगर कोई उपाय नहीं किया गया, तो 2050 तक यह संख्या बढ़कर 90 करोड़ हो जाएगी।
किन कारणों से घटती है सुनने की क्षमता
सुनने की क्षमता कई कारणों से प्रभावित हो सकती है। आमतौर पर ज्यादा उम्र होने पर सुनने की क्षमता कम हो जाती है। कई बार अनुवांशिक कारणों, दवाओं के गलत प्रयोग, कान के इंफेक्शन या लगातार तेज आवाज में रहने के कारण भी व्यक्ति के सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है। अनुवांशिक समस्याओं को टीकाकरण के द्वारा कुछ हद तक रोका जा सकता है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
हेल्थ केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि बहुत तेज शोर से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। जोरदार शोर के बीच लगातार रहने से संवेदी तंत्रिका को नुकसान हो सकता है। 90 डीबी (जो कि लॉन में घास काटने की मशीन या मोटरसाइकिल से निकलने वाले शोर के बराबर है) के संपर्क में 8 घंटे, 95 डीबी में 4 घंटे, 100 डीबी में 2 घंटे, 105 डीबी (पॉवर मॉवर) में एक घंटा और 130 डीबी (लाइव रॉक संगीत) में 20 मिनट से कम समय तक रहना सुरक्षित है।
30 मिनट से ज्यादा हेडफोन का प्रयोग खतरनाक
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि 110-120 डीबी पर बजने वाले संगीत में आधे घंटे से ज्यादा समय तक रहने पर कान को नुकसान पहुंच सकता है। पटाखों की आवाज या छोटे-मोटे ब्लास्ट (120 से 155 डीबी) से अधिक शोरसे गंभीर सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस, दर्द या हाइपरकेसिस (तेज शोर से जुड़ा दर्द) हो सकता है। अधिकांश बम 125 डीबी से अधिक का शोर पैदा कर सकते हैं। जो लोग लगातार 85 डीबी से अधिक के शोर के बीच में रहते हैं, उन्हें मफ या प्लग लगाकर रहना चाहिए।
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एचसीएफआई के कुछ सुझाव
- स्कूलों और अस्पतालों जैसे क्षेत्रों के आसपास यातायात का प्रवाह जितना संभव हो, कम से कम किया जाना चाहिए। ऐसे स्थानों के पास साइलेंस जोन और हॉर्न का प्रयोग न करें, जैसे साइनबोर्ड लगाए जाने चाहिए।
- मोटरबाइक में खराब साइलेंसर नहीं होने चाहिए और शोर मचाने वाले ट्रकों को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए।
- पार्टियों और डिस्को में लाउडस्पीकरों के उपयोग, सार्वजनिक घोषणा में तेज आवाज का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
- साइलेंस जोन में शोर संबंधी नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
- सड़कों और आवासीय क्षेत्रों में पेड़ लगाने से ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है, क्योंकि वृक्ष ध्वनि को अवशोषित करते हैं।
इनपुट्स- आईएएनएस
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