अधिकतर महिलाओं को पीरियड्स शुरू होने से पहले कुछ लक्षण जैसे मूड में बदलाव, कब्ज, ब्रेस्ट पेन, थकान, सिरदर्द, कमर दर्द व फूड क्रेविंग जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिसे प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहा जाता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि गर्भावस्था की शुरूआत में भी ऐसे ही लक्षण महिलाओं में नजर आते हैं। इस तरह महिलाओं के लिए यह पता लगा पाना थोड़ा कठिन होता है कि वास्तव में उनके पीरियड्स आने वाले हैं या फिर वह गर्भवती हैं। अगर आप भी अक्सर इसी कशमकश से जूझती हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको ऐसे कुछ तरीके बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप इन दोनों स्थिति में आसानी से अंतर कर पाएंगी।
क्या कहती हैं एक्सपर्ट
दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकालॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रंजना शर्मा कहती हैं कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भधारण में एक सबसे बड़ा अंतर यह है कि जहां प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम पीरियड्स शुरू होने से पहले होते हैं और यह पीरियड्स शुरू होने के दस-बारह दिन पहले भी नजर आ सकते हैं, वहीं कंसीव करने पर आपको पीरियड्स के बाद यह लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा गर्भधारण के लिए महिला का सेक्सुअली एक्टिव होना भी बेहद जरूरी है। अगर आप अविवाहित हैं या फिर सेक्सुअली एक्टिव नहीं है तो गर्भधारण होने का चांस ही नहीं है। इसके अलावा अगर आपके पीरियड मिस होते हैं और उसके बाद आपको थकान,, मूड में बदलाव या फूड क्रेविंग्स होती हैं तो यह गर्भवती होने का लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में यूरिन टेस्ट करना अच्छा रहता है। डॉ रंजना बताती हैं कि हालांकि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था की प्रारंभिक अवस्था में अधिकतर लक्षण एक जैसे होते हैं, लेकिन फिर भी कुछ लक्षण सिर्फ गर्भधारण करने के बाद ही नजर आते हैं, जैसे उल्टी होना या पीरियड्स का मिस होना।
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एक समान लक्षण
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लक्षण है, जो दोनों ही स्थिति में देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ हैं-
मूड में बदलाव
अगर आप अपने स्वभाव में चिड़चिड़ापन, एंग्जाइटी, उदासी महसूस करती हैं तो यह गर्भावस्था या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम दोनों में से कुछ भी हो सकता है। जहां प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने पर मासिक धर्म की शुरूआत में ही यह लक्षण गायब हो जाते हैं, वहीं अगर आपके भीतर यह मूड स्विंग्स बने रहते हैं और आपके पीरियड्स भी मिस हो गए हैं तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में आप एक बार प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करें।
कब्ज
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव कब्ज होने का एक मुख्य कारण बनते हैं और पीरियड्स या गर्भावस्था होने पर महिलाओं के भीतर हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसलिए प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था होने पर अधिकतर महिलाओं को कब्ज की शिकायत होती है। गर्भवती महिलाओं को पहले दो ट्राइमेस्टर अर्थात गर्भावस्था के छह माह तक कब्ज होने की संभावना होती है, वहीं पीएमएस होने पर पीरियड्स शुरू होते ही महिलाओं की कब्ज की समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाती है।
ब्रेस्ट पेन
पीएमएस या गर्भावस्था होने पर स्तनों में बदलाव आसानी से महसूस किया जा सकता है। इस स्थिति में महिला को ब्रेस्ट पेन, स्तनों में भारीपन, सूजन या संवेदनशीलता का अहसास होता है। हालांकि पीएमएस होने पर यह बदलावा पीरियड शुरू होने से ठीक पहले महसूस किया जाता है। जबकि एक गर्भवती स्त्री को यह बदलाव गर्भधारण के एक-दो सप्ताह बाद महसूस होते हैं और बच्चे के जन्म तक बने रह सकते हैं।
अन्य लक्षण
इन लक्षणों के अतिरिक्त थकान का अहसास, क्रैम्प, फूड क्रेविंग, सिरदर्द व पीठदर्द कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था दोनों में ही नजर आते हैं। लेकिन इनमें अंतर करने का सबसे आसान तरीका यह है कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने पर यह सभी लक्षण पीरियड्स शुरू होते ही कम होने लगते हैं और मासिक धर्म खत्म होने तक पूरी तरह गायब हो जाते हैं। जबकि गर्भावस्था में यह लक्षण कम से कम शुरूआती तीन माह तक तो बने ही रहते हैं।
कुछ ऐसे करें अंतर
हालांकि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था के लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लक्षण होते हैं, जो सिर्फ गर्भधारण होने पर ही नजर आते हैं और इसलिए आपको उपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त यह लक्षण भी नजर आएं तो समझ लीजिए कि आप गर्भवती हैं। इन लक्षणों में प्रमुख हैं-
पीरियड मिस होना
गर्भधारण के बारे में पता लगाने का सबसे आसान तरीका है पीरियड्स। जहां प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम पीरियडस से पहले के लक्षण होते हैं और इन लक्षणों के नजर आने के एक सप्ताह से पंद्रह दिन के भीतर पीरियड्स आ जाते हैं, जबकि गर्भधारण करने पर पीरियड नहीं आते। इसलिए अगर इन लक्षणों के नजर आने के साथ-साथ आपके पीरियड्स की डेट एक सप्ताह से अधिक हो गई है तो आपको प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लेना चाहिए।
उल्टी या मतली आना
हालांकि पीरियड शुरू होने से पहले कुछ महिलाओं को पाचन संबंधी कुछ हल्की परेशानी हो सकती हैं, लेकिन प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम में स्त्री को उल्टी या मतली का अहसास नहीं होता। यह गर्भावस्था की प्रारंभिक अवस्था के लक्षण होते हैं। अगर आपको उल्टी जैसा अहसास होता है या अक्सर उल्टी होती है तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत हो सकता है।
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निप्पल में बदलाव
यूं तो प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और गर्भावस्था दोनों में ही स्त्री के स्तनों में बदलाव देखा जाता है, लेकिन निप्पल में बदलाव अमूमन गर्भावस्था में ही होता है। अगर आपके ब्रेस्ट में बदलाव के साथ-साथ निप्पल के चारों ओर का कलर्ड एरिया गहरा या बड़ा हो जाता है तो यह गर्भावस्था होने का संकेत हो सकता है। निप्पल में यह बदलाव गर्भधारण के 1 या 2 सप्ताह बाद नजर आता है।
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