शरीर के हर दर्द में काम आती है हीट एंड कोल्ड थेरेपी, जानें कब और कैसे करें इसका इस्तेमाल

किसी भी चोट या दर्द का पहला इलाज लोग अक्सर अपने घर में ही करना चाहते हैं। ऐसे में पहला काम वे यही करते हैं कि गर्म पानी या बर्फ से अपने चोट या सूजन की सिकाई करते हैं। जबकि यह दोंनों ही अलग- अलग तरीकों के दर्द के इलाज के लिए बने हैं। आइए हम आपको बताते हैं हीट एंड कोल्ड थेरेपी के सही इस्तेमाल के बारे में।   
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शरीर के हर दर्द में काम आती है हीट एंड कोल्ड थेरेपी, जानें कब और कैसे करें इसका इस्तेमाल


हम सभी समय-समय पर दर्द और चोटों के शिकार होते रहते हैं। तो कभी डेस्क पर घंटों बैठे रहने के कारण पीठ, घुटनों और अन्य जोड़ों में दर्द से परेशान हो जाते हैं। ऐसे में अधिकांश लोग दर्द से राहत पाने के लिए बाम या दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। तो कुछ लोग हीट और कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। इन दोनों थेरेपी में लोग सूजन या जोड़ों के दर्द पर बर्फ या गर्म पानी से सिकाई करते हैं। पर कभी आपने सोचा है कि हमें कब हीट थेरेपी का इस्तेमाल करना चाहिए और कब कोल्ड थेरेपी का। आइए हम आपको बताते हैं इन दोनों थेकेपी के बारे में और साथ में यह भी कि आपको इन में कौन सी थेरेपी कब और कैसे करना चाहिए।

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कोल्ड थेरेपी-

आइस थेरेपी मुख्य रूप से तीव्र दर्द, सूजन और किसी भी तरह की नई चोटों के लिए होता है। जैसे कि यदि आप फुटबॉल खेलते या दौड़ते समय चोटिल या घायल हो जाते हैं, तो आपको कोल्ड आइस थेरेपी का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि ऐसी चोटों में जब सूजन वाले क्षेत्र पर बर्फ लगाया जाता है, तो यह सूजन को कम करने में मदद करता है। यह जिम जाने के बाद या भारी भरकम एक्सरसाइज से हो जाने वाले सूजन के उपचार के लिए भी बेहतर विकल्प है। इस तरह की चोटों में हीट थेरेपी का कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में गर्मी लागू करने से बैकफ़ायर हो सकता है यानी कि यह सूजन को बढ़ा सकता है, जिससे आपकी मांसपेशियों का दर्द बढ़ सकता है।

 कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल कब न करें?

  • जब आपके मांसपेशियों में ऐंठन जैसा दर्द हो तो इससे बचना चाहिए क्योंकि बर्फ इसे और भी बदतर बना सकती है।
  • खुले घाव या फफोले वाली त्वचा पर बर्फ न लगाएं।
  • गठिया से पीड़ित लोगों के लिए बर्फ की सिफारिश नहीं की जाती है।

कैसे करें कोल्ड थेरेपी-

  • इसके दो तरीके हैं। पहला सील बैग में बर्फ के टुकड़े डालकर चोट की सिकाई करें।
  •  दूसरा 15 मिनट के लिए फ्रीजर में गीला तौलिया रखें और फिर उससे चोट की सिकाई करें।
  • आइस थेरेपी के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि जब आप आइस थेरेपी करते हैं, तो एक बार में 20 मिनट से ज्यादा सिकाई न करें। दो सत्रों के बीच एक घंटे का अंतर रखें और बर्फ को सीधे अपनी त्वचा पर न लगाएं।

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हीट थेरेपी

हीट थेरेपी पुरानी दर्द और चोट के लिए बेहतर उपाय है। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि सूजन वाला जगहों पर हीट थेरेपी का प्रयोग न करें क्योंकि इससे सूजन बदतर हो सकती है। अगर आपकी मांसपेशियों में तनाव है या कठोर हैं, तो हीट ट्रीटमेंट बेहतरीन काम करता है। यह लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन व्यायाम करने के बाद हीट थेरेपी न लें। हीट थेरेपी तापमान को बढ़ाकर दर्द वाली जगह पर ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करती है। 

हीट थेरेपी का इस्तेमाल कब न करें ?

  • अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं
  • यदि आपको डर्मेटाइटिस है
  • इसके अलावा, यदि आप हृदय रोग या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीड़ित हैं, तो हीट थेरेपी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

कैसे करें हीट थेरेपी-

  • हीट थेरेपी के दो तरीके हैं।पहला सूखी गर्मी जैसे हीटिंग पैड, ड्राई हीटिंग पैक का इस्तेमाल करके।
  • दूसरा उबले हुए तौलिया, नम हीटिंग पैड से सिकाई करके या गर्म पानी से नहा कर।
  • इसे करते वक्त ध्यान रखें कि 15 मिनट के लिए ही मांसपेशियों को हीट थेरेपी दें और फिर एक घंटे का ब्रेक लें।

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हीट और कोल्ड दोनों ही थेरेपी का इस्तेमाल कब कर सकते हैं?

पीठ दर्द में-

डेस्क जॉब वाले लोगों में पीठ दर्द बहुत आम है। पूरे दिन एक ही जगह पर बैठे रहने से आपकी पीठ के ऊपरी हिस्से में झुकने, मरोड़, अकड़न हो सकती है। ऐसे में राहत के लिए आप इन दोनों थेरेपी का अपने सुविधा अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं।

सिर दर्द या माइग्रेन में-

बहुत ज्यादा सिरदर्द और माइग्रेन में आइस थेरेपी बेस्ट होती है, जबकि गर्दन की ऐंठन के कारण होने वाले सिरदर्द के लिए हीट थेरेपी एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

मोच या घुटने के दर्द में-

यदि आपके घुटने में सूजन है या कहीं पर मोच आ गई है तो आप इन दोनों थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले आप कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करें और सोते वक्ट हीट थेरेपी से मोच या सूजन की सिकाई करें।

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