Keerthana Koli’s Journey of Raising Autistic Child In Hindi: जब एक औरत मां बनती है, तो उसके सामने कई सारी चुनौतियां होती हैं। खासकर आजकल के दौर में जब महिलाएं ऑफिस में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, तब उनके सामने बच्चों की जिम्मेदारियों को संभालना बड़े टास्क से कम नहीं है। आज की कहानी भी एक ऐसी ही महिला की, जिन्होंने न सिर्फ प्रोफेशनल लाइफ में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है, बल्कि ऑटिज्म से जूझ रही अपनी बेटी को भी बखूबी संभाल रही हैं। ये कहानी है अवाज डॉट एनआईसी की प्रोजेक्ट मैनेजर कीर्थना कोली की। ओन्लीमॉयहेल्थ की 52 वीक्स की स्पेशल मेंटल हेल्थ सीरीज में हम आपको बताने जा रहे हैं कीर्थना कोली ने कैसे ऑटिज्म से पीड़ित बेटी वान्या की देखभाल कर रही हैं, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए जागरूक कर रही हैं।
ओन्लीमॉयहेल्थ के साथ अपनी मदरहुड की कहानी शेयर करते हुए कीर्थना कोली कहती हैं, "मैं बेटी वान्या के जन्म के बाद बहुत खुश थी। वर्किंग मॉम होते हुए भी मैंने अपनी बेटी की जिम्मेदारियों को संभाला। मैं वान्या की हर एक्टिविटी, मेंटल और फिजिकल हेल्थ डेवलपमेंट को करीब से नोटिस करती थी। बेटी की देखभाल के दौरान मैंने देखा कि वह अपने साथ के बच्चों से काफी पीछे है। मेरी बेटी लोगों के पास जाने, उनसे मिलने और बात करने में घबराती थी। वह दूसरों से नजरें चुराती और सिर्फ मेरे ही इर्द-गिर्द घूमती थी।"
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खुद को अलग दुनिया में पाया
अपनी मदरहुड की कहानी बताते हुए कीर्थना कोली कहती हैं, "जब मैंने वान्या के फिजिकल और मेंटल ग्रोथ बाकी बच्चों के मुकाबले स्लो देखी, तो मैं घबरा गई। मैंने डॉक्टर से कंसल्ट किया और अपनी बेटी का ट्रीटमेंट शुरू करवाया। ढाई साल की उम्र के बाद कई सारे मेडिकल टेस्ट होने के बाद मुझे पता चला कि वह ऑटिज्म नाम के मानसिक रोग से पीड़ित है। अपनी बेटी को इस तरह की मानसिक बीमारी से जूझता देख मैं परेशान हो गई। मुझको समझ नहीं आ रहा था कि मैं अब क्या करूं। उस वक्त न तो मुझको ऑटिज्म के बारे में पता था और न ही समझ आ रहा था कि क्या करना सही है। इस दौरान मेरे मन में कई तरह के सवाल थे कि क्या वान्या अब लाइफटाइम ऐसी ही रहेगी? मैं कैसे उसे आगे बढ़ाउंगी। मैं जैसे चारों तरफ से बिखर चुकी थी, लेकिन सवाल मेरी बेटी और उसकी लाइफ का था। मैंने थोड़ा सा वक्त लिया और पहले खुद को संभाला, ताकि अपनी बेटी के लिए ढाल बन सकूं।"
परिवार ने नहीं दिया साथ
कीर्तना आगे कहती हैं, "जब वान्या को ऑटिज्म के बारे में पता चला तब मैं मानसिक तौर पर परेशान थी। इस बारे में जब मैंने परिवार और दोस्तों को बताया, तब उन्होंने मेरा साथ देने की बजाय तिरस्कार किया। फैमिली से सपोर्ट न मिलने के बाद मैंने ठान लिया कि अब पीछे मुड़कर नहीं देखूंगी और ऑटिज्म के बारे में सबको जागरूक करूंगी।" वह आगे कहती हैं, "मैंने ऑटिज्म के बारे में ब्लॉगिंग की शुरुआत की। इस पूरी जर्नी में टेक्नोलॉजी ने मेरा पूरा साथ दिया। वान्या का सही तरीके से इलाज करने और उसे नॉर्मल बच्चों की तरह बनाने के लिए मैंने एलेक्सा और आवाज़ एएसी जैसे ऐप और डिवाइस की मदद ली। उन्होंने कहा, यह डिवाइस और ऐप की मदद से वान्या को नॉर्मल बोलने और सीखने में मदद की।" उन्होंने आगे कहा, "एलेक्सा मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा थी। इस डिवाइस की मदद से मुझे किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। मेरी वान्या इसकी डिवाइस और ऐप की मदद से दूसरों से कैसे संवाद करना है, यह सीखने और बोलने लगी।"
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कीर्थना कोली की कहानी जानने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि ऑटिज्म क्या है और इसके लक्षणों को कैसे पहचाना जा सकता है। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस मानसिक बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में।
ऑटिज्म क्या होता है?- What is Autism Hindi
लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव ने बताया, "ऑटिज्म को आसान भाषा में समझा जाए, तो यह एक मानसिक बीमारी है। इस बीमारी के लक्षण छोटी उम्र के बच्चों में ही देखें जाते हैं। इस मानसिक बीमारी में बच्चा दूसरों से कम्यूनिकेट करने और खुद को एक्सप्रेस करने की क्षमता खो देता है। इसमें दूसरे के व्यवहार और अभिव्यक्ति को समझने की क्षमता कम हो जाती है।"
ऑटिज्म होने का कारण क्या है?
किसी बच्चे या व्यक्ति को ऑटिज्म क्यों प्रभावित करता है, फिलहाल इसकी कोई स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है। UCSF की एक रिपोर्ट बताती है कि ऑटिज्म डिसऑर्डर से पीड़ित 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में यह बीमारी उन बच्चों में ज्यादा देखी जाती है, जिनकी मॉम प्रेग्नेंसी के दौरान डिप्रेशन से जूझ रही थीं।
ऑटिज्म के लक्षण क्या हैं?
डॉ सीमा यादव का कहना है ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में कई तरह के लक्षण देखें देखे जाते हैं। आइए जानते हैं इसके इनके बारे में।
- किसी के बुलाने पर जवाब नहीं देना
- हमेशा अकेले रहने पसंद करना
- दूसरों से आंखें मिलाकर बात करने में परेशानी होना
- सामने वाले इंसान की भावनाएं न समझना
- एक शब्द को बार-बार दोहराना
- बच्चे का देरी से बोलना या सीखना
- खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना।
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ऑटिज्म का इलाज- Treatment of Autism in Hindi
ऑटिज्म जैसी बीमारी का क्लीनिकल उपचार नहीं है पर लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर एंटीसायकोटिक या एंटी-एंग्जायटी दवाओं को लेने की सलाह देते हैं पर सब केस में दवा नहीं दी जाती। वहीं थैरेपी और स्किल्स सीखकर ही ऐसे लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं जिसमें एजुकेशनल प्रोग्राम और बिहेवियरल थैरेपी की मदद ली जा सकती है। ऑटिज्म का हर केस दूसरे से अलग होता है इसलिए आपको लक्षणों के मुताबिक ही उपचार करवाना होता है।
ऑटिज्म से जूझ रहीं बच्चों की परवरिश कैसे की जा सकती है इसके लिए कीर्थना कोली एक मिसाल के तौर पर उभर कर आई हैं। कीर्थना कोली की कहानी हर मां के लिए एक प्रेरणा हैं। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके साथ शेयर कर रहे हैं, ताकि आप हर परिस्थिति में मानसिक तौर पर तैयार रहें। इस सीरीज में हम आपके साथ हर मंगलवार एक स्टार द्वारा फेज किए गए डिप्रेशन और उन्होंने उससे कैसे छुटकारा पाया, इसके बारे में जानेंगे।