What Are The Signs Of An Adult With Autism in Hindi: ऑटिज्म, जिसे मेडिकल की भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं, एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। इस समस्या बच्चों से लेकर बड़े किसी भी उम्र में हो सकती है। इस डिसऑर्डर के कारण पीड़ित व्यक्ति या बच्चे को समाज में रहने और घुलने-मिलने में कई तरह की समस्या होती है। हालांकि ऑटिज्म के लक्षण बचपन से ही व्यक्ति में नजर आने लगते हैं। लेकिन, कई बार बड़े होने के बाद वयस्कों में इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं, खासकर जब बचपन में नजर आने वाले इसके लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए। आज के इस लेख में हम हैदराबाद स्थित इनसिंक चाइल्ड डेवलपमेंट एंड ऑटिज्म थेरेपी सेंटर में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट शुभांगी गुप्ता से बड़ों में नजर आने वाले ऑटिज्म के संकेतों के बारे में जानेंगे-
बड़ों में ऑटिज्म के संकेत - Signs Of Autism in Adults in Hindi
अगर बचपन में बच्चों के अंदर ऑटिज्म के लक्षण नजरअंदाज किए जाए तो बड़े होकर उनके ऑटिस्टिक होने के संकेत आप इन लक्षणों से पहचान सकते हैं-
1. सामाजिक बातचीत में मुश्किल होना
ऑटिज्म से प्रभावित बड़ों में सबसे बड़ी मुश्किल या चुनौती लोगों से बातचीत करना है। ऐसे व्यक्ति आमतौर पर आंखों में आंखे डालक बात नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोग दूसरे लोगों के इशारों और आवाज को सही तरीके से समझ (autism symptoms in adults) नहीं पाते हैं, जिस कारण उनको जवाब देने में इन्हें समस्या हो सकती है।
इसे भी पढ़ें: डाउन सिंड्रोम VS ऑटिज्म: क्या है दोनों में अंतर, डॉक्टर से जानें पूरी जानकारी
2. सोशल इंटरएक्शन में परेशानी होना
ऑटिज्म से पीड़ित बड़ों को दूसरे व्यक्ति से दोस्ती करने में मुश्किल होती है। वे अकेले रहना ज्यादा करते हैं और खुद को सोशल गैदरिंग से भी दूर रखते हैं। अगर वे किसी पार्टी या भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाते हैं तो उन्हें वहां असुविधा महसूस होने लगती है। ऑटिज्म से पीड़ित बड़े लोग अक्सर पार्टी या ज्यादा लोगों के बीच जाने से बचने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें ये समझ नहीं आता है कि वे किसी से दोस्ती करने या बातचीत करने के लिए क्या करें।
3. अपनी चीजों को दोहराना
ऑटिज्म से पीड़ित बड़े लोगों में अपनी बातों या चीजों को दोहराना एक आम लक्षण है। जैसे शरीर को बार-बार झूलाना या किसी एक ही चीज पर फोकस किए रहना या अपनी बात को कई बार दोहराना। अगर उनके डेली रूटीन में किसी तरह का बदलाव हो जाए तो भी उन्हें समस्या हो सकती है, जिस कारण वे एक ही काम को कई बार कर सकते हैं।
4. तेज आवाज या रोशनी से सेंसिटिविटी
ऑटिज्म से प्रभावित बड़े अपने आसपास के लोगों के प्रति सेंसिटिव हो सकते हैं। उन्हें तेज आवाज, तेज रोशनी, बदबू या तापमान बढ़ने में बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है। ऑटिज्म से पीड़ित लोग इन चीजों से बचने की कोशिश करते हैं, क्योंकि तेज आवाज या रोशनी के कारण उन्हें असुविधा हो सकती है, जिससे वे बैचेन हो जाते हैं।
इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान सही डाइट से कम किया जा सकता है बच्चे में ऑटिज्म का खतरा, डॉक्टर दे रहे हैं जरूरी सलाह
5. कम चीजों में रुचि होना
ऑटिज्म से पीड़ित बड़े लोगों में रुचि बहुत सीमित होती है। वे किसी खास चीज में बहुत ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रखते हैं। वे किसी एक ही चीज में इतना खो जाते हैं कि उन्हें किसी दूसरे काम को करना का मन नहीं होता है। ऐसे लोग आमतौर पर दूसरे लोगों के साथ अपना इंटरेस्ट नहीं शेयर करते हैं और खुद में ही खोए रहते हैं।
6. इमोशनल समस्याएं
ऑटिज्म से प्रभावित लोगों को अक्सर अपनी भावनाएं दूसरे को बताने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग जब परेशान होते हैं या किसी समस्या का सामना करते हैं, तो यह सामने वाले को बताने में उन्हें मुश्किल होती है, जिससे उनमें तनाव, घबराहट या दुख की भावना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, इस समस्या के कारण कभी-कभी ये लोग अपने आप को असहज महसूस करते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।
7. अलग तरीके से सीखना और रिएक्शन देना
ऑटिज्म से प्रभावित बड़े लोगों के सीखने की प्रक्रिया अन्य लोगों की मुकाबले अलग होती है। ऐसे लोग किसी भी नई चीज को बहुत धीरे-धीरे सीखते और समझते हैं। इसके अलावा, ऑटिज्म से पीड़ित लोग किसी नई स्थिति पर रिएक्टशन भी अन्य लोगों के मुकाबले अलग तरीके से देते हैं। इस तरह के लोगों को किसी भी नए बदलाव को अपनाने में समस्या हो सकती है।
निष्कर्ष
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण बड़ों में अलग होते हैं और ये लक्षण बच्चों की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बड़े लोगों में ऑटिज्म के लक्षणों में लोगों से बातचीत में समस्या, अपनी बाते या चीजें दोहराना आदि। हालांकि अगर बड़ों के इन लक्षणों को समय रहते पहचाना जाए तो उनके साथ तालेमेल बैठाकर उनकी उन समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
Image Credit: Freepik
FAQ
ऑटिज्म होने का मुख्य कारण क्या है?
ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक दोनों शामिल हैं। कुछ मामलों में ऑटिज्म रेट सिंड्रोम या फ्रजाइल एक्स सिंड्रोम से जुड़ा हो सकता है। जबकि अन्य मामलों में, यह जेनेटिक कारणों से जुड़ा होता है।ऑटिज्म की पहचान कैसे की जाती है?
ऑटिज्म की पहचान के लिए डॉक्टर या एक्सपर्ट द्वारा बच्चों के व्यवहार और विकास पर फोकस किया जाता है, उनके बातचीत बोलने या चीजें करने की प्रक्रिया पर फोकस किया जाता है।ऑटिस्टिक बच्चा कैसे व्यवहार करता है?
ऑटिस्टिक बच्चे का व्यवहार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन उनमें कुछ सामान्य विशेषता होती है, जिसमें लोगों से घुलने-मिलने में मुश्किल होना, अपनी चीजों को दोहराना और बातचीत में पेरशानी होना शामिल है।