गर्मियों के मौसम में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही गंभीर परिणाम का कारण बन सकती है। ऐसे मौसम में जितना जरूरी अपने शरीर की बाहरी देखभाल होती है उतनी ही आंतरिक रूप से भी देखभाल की जरूरत पड़ती है। भीषण गर्मी में बाहर निकलने के चलते उल्टी-दस्त व डिहाइड्रेशन के मामले काफी तेजी से बढ़ते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर ऐसे मौसम में खुद को हाइड्रेट रखने और हेल्दी डाइट को अपनाने की सलाह देते हैं। आज हम आपको भीषण गर्मी में बाहर निकलने से पहले बरती जा जाने वाली कुछ जरूरी चीजों के बारे में बता रहे हैं।
ये हैं लू लगने के लक्षण
- खड़े होने पर चक्कर आना
- सिर में तेज दर्द होना
- जी मचलना
- शरीर में दर्द होना
- ब्लोटिंग होना या पेट में भारीपन होना
- ये सभी लू लगने के लक्षण हैं। इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और जितना हो सके खुद को हाइड्रेट रखें।
तली भुनी और मसालेदार चीजों से परहेज करें
गर्मियों के मौसम में घर के बने सिंपल भोजन का ही सेवन करना चाहिए। खासकर जब आप घर से बाहर निकल रहे हैं तो किसी भी ऐसी चीज का सेवन न करें जो खाने में बहुत हैवी हो। दूषित पानी और बाजार की तली हुई खाद्य वस्तुएं खाने से पेट संबंधी बीमारियां गर्मियों में अधिक होती हैं। इससे बचाव करें, तली मसालेदार वस्तुओं का सेवन न करें। नींबू पानी जरुर पियें। अगर आराम नहीं मिलता तो जिला अस्पताल आकर परीक्षण करा लें। चिकित्सक से परामर्श लेकर दवाओं का सेवन करें।
विशेष टिप्स
डॉक्टर्स कहते हैं कि गर्मियों के मौसम में तेज धूप में निकलने से बचें। अगर जरूरी हो तो खूब पानी पीकर व खाना खाकर निकलें। इसके साथ ही अपने साथ पेय पदार्थ जैसे कि पानी, जूस या छाछ लेकर निकलें। धूप से आने के बाद तुरंत चेहरा न धोएं, न ही पानी पीएं। जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके तरबूज, खरबूज, खीरा व ककड़ी का सेवन करें। चेहरे व सिर पर सीधे धूप पड़ने से बचाएं। इन उपायों को गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
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नियमित करें ये 3 योगासन
हलासन: गर्मियों में पेट संबंधी रोग बहुत परेशान करते हैं। ऐसे में हलासन योग करने से कई तकलीफों का उपचार हो सकता है। इसे सुबह-सुबह करें। फर्श पर योग मैट या चटाई बिछा लें। चटाई पर पीठ के बल सीधे सुकून और आराम से लेटें। दोनों हाथों को पैरों की सीध में सीधे रखें। धीरे-धीरे फेफडों में सांस भरें। अब पैरों और हिप्स को ऊपर उठाएं। पैर सिर की ओर ऐसे ले जाएं कि पंजे ज्ामीन को छू सकें। डेढ-दो मिनट तक इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोडते हुए पूर्व स्थिति में वापस आएं। हलासन से एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
नौकासन: गर्मियों में सुस्ती, बेचैनी और आलस्य भी बहुत घेरता है। ऐसे में सुबह-सुबह नौकासन करने से पूरे दिन के लिए ऊर्जा मिलती है। यह शरीर के पूरे सिस्टम को ऐक्टिव करने में कारगर है। इसे बोट पोज भी कहते हैं। जमीन पर चटाई बिछा कर लेटें। सांस अंदर खींचें। दोनों पैरों को सीधा मिला कर रखें। हाथों को पैरों की सीध में घुटने से मिला कर रखें। अब धीरे-धीरे अपने सिर और पैरों को एक साथ ऊपर की ओर उठाएं। पैर इतने उठें कि 45 डिग्री का कोण बने। सिर को भी ऊपर की तरफ उठाएं। अब धीरे-धीरे सांस छोडें और पूर्व अवस्था में लौटें। नौकासन से पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव पडता है। इसे पांच से दस बार तक करें।
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भुजंगासन: पेट के बल लेटें। दोनों पैरों, एडिय़ों एवं पंजों को आपस में मिलाएं और फर्श पर पैर सीधे रखें। हाथों को कंधे के सामने जमीन पर रखें। हाथों के बल नाभि से ऊपर शरीर को जितना संभव हो, ऊपर की ओर उठाएं। सिर सीधा और ऊपर की ओर रहे। इसे पांच से दस बार तक दोहराएं। इस आसन से कब्ज, गैस और अपच दूर होता है। स्त्रियों के लिए यह अत्यंत लाभदायक आसन है। पीरियड्स संबंधी गडबडिय़ों के अलावा यह वजन को नियंत्रित रखता है। कमर दर्द में भी यह राहत प्रदान करता है।
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