Kati Basti Therapy in Hindi: आयुर्वेद में किसी बीमारी का इलाज करने के लिए कई तरह के उपाय होते हैं। इसमें जड़ी-बूटियां, मसाज और थेरेपी आदि शामिल होते हैं। मसाज के लिए अक्सर औषधीय तेलों का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, थेरेपी के लिए जड़ी-बूटियों और तेल का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी होती हैं, जो वात, पित्त या कफ को संतुलित करने में मदद करती हैं। इनमें कटि बस्ती थेरेपी भी शामिल है, जिसे वात दोष को ठीक करने में कारगर माना गया है। इसमें गर्म तेल को पीठ के निचले हिस्से में आटे के सांचे के अंदर रखा जाता है। फिर इस तेल को पूरे घेरे तक ले जाया जाता है। आपको बता दें कि कटि बस्ती आयुर्वेद की एक पुरानी तकनीक है। इस थेरेपी को लेने से शरीर और मन शांत होता है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। कटि बस्ती थेरेपी लेने से पीठ के निचले हिस्से के दर्द में आराम मिलता है और रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है। ओनलीमायहेल्थ के 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज में आज हम आपको कटि बस्ती थेरेपी की विधि, फायदे, नुकसान और सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस थेरेपी के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेया शर्मा से बातचीत की-
कटि बस्ती क्या है?- What is Kati Basti in Hindi
कटि बस्ती एक प्रभावकारी आयुर्वेदिक थेरेपी है। इसमें कटि का मतलब, 'पीठ का निचला हिस्सा' और बस्ती का मतलब, 'किसी चीज को अंदर रखना' होता है। यानी इसमें पीठ के निचले हिस्से में आटे के घेरे के अंदर गर्म तेल रखा जाता है। इसमें आटे से एक बड़ी सी रिंग बनाई जाती है, फिर इसमें औषधीय तेल डाला जाता है। इसमें शरीर में गर्मी पैदा होती है, इससे दर्द से राहत मिलती है। कमर और पीठ के दर्द को कम करने में यह थेरेपी काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
कटि बस्ती की प्रक्रिया- Kati Basti Procedure in Hindi
- कटि बस्ती थेरेपी लेने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले पेट के बल लिटा दिया जाता है।
- फिर सिर को तौलिया के रोल से सहारा दिया जाता है।
- इसके बाद पीठ के निचले हिस्से पर आटे से मोटी रिंग बनाई जाती है।
- इसे बड़ा और मोटा बनाया जाता है, ताकि तेल बाहर न निकले।
- फिर औषधीय तेल को गर्म किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक तेल का चयन व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति के अनुसार करते हैं।
- इस तेल को आटे के सांचे में डाला जाता है।
- फिर धीरे-धीरे तेल को घिरे हुए पूरे क्षेत्र तक ले जाया जाता है।
- इस प्रक्रिया को करने में लगभग 40 से 45 मिनट लग जाते हैं।

कटि बस्ती के फायदे- Kati Basti Benefits in Hindi
- कटि बस्ती थेरेपी लेने से पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
- अगर आपको पीठ या कमर में दर्द हो, तो इस थेरेपी को लेना फायदेमंद हो सकता है।
- कटि बस्ती थेरेपी रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इससे दर्द में भी आराम मिलता है।
- इस थेरेपी को लेने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। खासकर, पीठ के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह अच्छी तरह से होने लगता है।
- अगर पीठ के निचले हिस्से या रीढ़ की हड्डी पर सूजन है, तो कटि बस्ती थेरेपी सूजन से भी राहत दिला सकती है।
- कटि बस्ती थेरेपी लेने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
- माइग्रेन, सर्वाइकल, गठिया, फ्रोजन शोल्डर जैसी समस्याएं होने पर भी कटि बस्ती थेरेपी ली जा सकती है।
- इस थेरेपी को लेने से तनाव और चिंता दूर होती है। साथ ही, रात को नींद भी अच्छी आती है।
- कटि बस्ती थेरेपी लेने से मांसपेशियों का ऐंठन कम होने लगता है।
- वात दोष को दूर करने के लिए इस थेरेपी को काफी कारगर माना गया है।
कटि बस्ती के नुकसान- Kati Basti Side Effects in Hindi
अगर कटि बस्ती थेरेपी को पूरी सावधानीपूर्वक की जाती है, तो इससे लाभ ही मिलते हैं। यह एक बेहद प्रभावकारी थेरेपी है, जो रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इस थेरेपी को लेने से मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और पीठ के दर्द से राहत मिलती है। लेकिन कुछ लोगों में कटि बस्ती थेरेपी के सामान्य नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं। इनमें शामिल हैं-
- बुखार
- ज्यादा पसीना आना
- सूजन

कटि बस्ती करते हुए बरतें ये सावधानियां- Kati Basti Precaution in Hindi
- कटि बस्ती एक आयुर्वेदिक थेरेपी है। इसलिए इसे हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर से ही करवाना चाहिए।
- इस थेरेपी के दौरान तेज ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए। इससे त्वचा जल सकती है।
- कटि बस्ती थेरेपी लेने से हिलने-डुलने से बचना चाहिए।
- इस थेरेपी में आटे को अच्छी तरह से चिपकाकर रखें, जिससे तेल का रिसाव न हो।
इस लेख में आपने कटि बस्ती थेरेपी के बारे में विस्तार से पढ़ा। तो अगर आप भी कटि बस्ती थेरेपी लेने का विचार कर रहे हैं, तो पहले आयुर्वेदाचार्य से जरूर परामर्श लें। आयुर्वेद के महत्व को जानने के लिए हमारे 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज के साथ जुड़े रहें। साथ ही, आरोग्य विद आयुर्वेद सीरीज के आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया, तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ जरूर शेयर करें।