जेट एयरवेज के विमान में गुरुवार सुबह करीब 30 यात्रियों ने नाक-कान से खून बहने और सिरदर्द की शिकायत की थी। ऐसा केबिन का एयरप्रेशर कम होने की वजह से हुआ था। विमान जयपुर जा रहा था, इसके बाद विमान को वापस मुंबई लाया गया। पांच यात्रियों का इलाज किया जा रहा है। जेट एयरवेज ने इस मामले में क्रू की गलती मानी है और उसे जांच होने तक ड्यूटी से हटा दिया है। डीजीसीए के एक अधिकारी के मुताबिक, क्रू एयर प्रेशर कंट्रोल करने वाला ब्लीड स्विच ऑन करना भूल गया था, जिसकी वजह से ऐसा हुआ।
क्यों जरूरी है एयर प्रेशर कंट्रोल
हवाई यात्रा को सुगम और आरामदायक माध्यम माना जाता है लेकिन धरती से हजारों फुट ऊंचाई पर विमान के अंदर एक स्विच भी इंसान की जान के लिए बहुत अहमियत रखता है। दरअसल, फ्लाइट के उड़ान भरने पर केबिन के अंदर हवा का दबाव कम होने लगता है जिसे इस स्विच के जरिए सामान्य स्तर पर रखा जाता है। टरबाइन आसमान से ऑक्सीजन को कंप्रेस कर अंदर लाते हैं और ब्लीड वॉल्व बंद कर इसे अंदर स्टोर कर लिया जाता है। अगर ये वॉल्व खुले रह जाएं तो ऑक्सीजन वापस बाहर निकलने लगती है।
विमान के अंदर हवा के दवाब को सामान्य स्तर पर रखा जाता है जिससे यात्रियों और चालक दल को सांस लेने में परेशानी न हो। विमान के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं रखे जा सकते हैं लिहाजा विमान के इंजन से जुड़े टरबाइन आसमान में मौजूद ऑक्सीजन को कंप्रेस कर अंदर लाते हैं। इंजन से होकर गुजरने की वजह से हवा का तापमान अधिक हो जाता है ऐसे में कूलिंग तकनीक के जरिए इसे ठंडा किया जाता है।
प्रेशर कम होने पर क्या होता है
- दबाव कम होने पर सांस लेने में परेशानी होती है।
- हवा में आद्रता (नमी) कम होने होने से ज्यादा प्यास लगती है।
- स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता 30 फीसद घट जाती है।
- शरीर में रक्त के बहाव में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है जो जोड़ों में दर्द, लकवा और मौत का कारण भी बन सकती है।
ऑटोमैटिक केबिन प्रेशर मशीन
विमान में दो ऑटोमैटिक केबिन प्रेशर मशीन ऑक्सीजन के दबाव को नियंत्रित रखती हैं। एक मशीन सामान्य तौर पर काम करती है जबकि दूसरी आपात स्थिति के लिए होती है। इसके अलावा एक गैर स्वचालित मोटर होता है। दोनों ऑटोमैटिक मशीनों के बंद होने पर इस मोटर का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Health News In Hindi