
Uranium in Breast Milk Study in Bihar: ब्रेस्ट मिल्क हमेशा ही सबसे सुरक्षित मिल्क माना जाता है और इससे मिलने वाले न्यूट्रिशन शिशु को विकास में मदद करते हैं। इसलिए डॉक्टर हमेशा जन्म के पहले 6 महीने शिशु को सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क की सलाह देते हैं, लेकिन हाल ही में बिहार के 6 जिलों में ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम (Uranium contamination breast milk) जैसे हेवी मेटल मिलने की स्टडी सामने आई। इस स्टडी में बिहार के कटिहार, भोजपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, नालंदा और बेगूसराय के जिलों को शामिल किया गया, जिसमें 17 से 35 साल की 40 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क का सैंपल लिया गया। स्टडी से बिहार में ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई तरह की सवाल उठने लगे हैं, जैसे ब्रेस्ट मिल्क कराना चाहिए या नहीं या फिर इससे शिशु की हेल्थ पर क्या असर पड़ेगा? इन्हीं सवालों के जवाब पाने के लिए हमने स्टडी के को-इन्वेस्टिगेटर और AIIMS के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अशोक शर्मा से एक्सक्लूसिव बात की। उन्होंने स्टडी, शिशुओं की हे्ल्थ के साथ-साथ मां की हेल्थ से जुड़े कई सवालों के जवाब बेबाकी से दिए।
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सवाल 3: क्या ब्रेस्ट मिल्क को लेकर WHO या किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय मानक तय किए गए है?
सवाल 4: ब्रेस्ट मिल्क में जो यूरेनियम मिला है, वह महिलाओं में कहां से आया है?
सवाल 5: क्या आपको लगता है कि हैवी मेटल मिलने के चलते ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देनी चाहिए?
सवाल 7: क्या इस स्टडी से मां और शिशु की हेल्थ पर भी सवाल उठते हैं?
ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम स्टडी से जुड़े सवाल और जवाब
सवाल 1: ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम होने वाली इस स्टडी में बिहार को ही क्यों चुना गया और क्या ऐसी स्टडी पहले भी हुई है?
डॉ. अशोक शर्मा: दरअसल, यह एक रूटीन स्टडी थी, जिसमें पटना का महावीर कैंसर संस्थान मेन नोडल सेंटर था। इसलिए यह कहना गलत है कि हमने बिहार को इसलिए चुना क्योंकि हमें वहां कोई शक था। ऐसा कुछ भी नहीं था। यह अलग बात है कि स्टडी के दौरान हमें ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम जैसे हेवी मेटल होने का पता चला। इस स्टडी में ब्रेस्ट मिल्क में सबसे कम 2.35 माइक्रोग्राम/लीटर नालंदा में मिला और सबसे ज्यादा कटिहार-खगड़िया जिले में 5.36 माइक्रोग्राम/लीटर मिला। इसके साथ यह भी बता दूं कि स्टडी देश में हैवी मेटल्स का ह्यूमन हेल्थ पर असर समझने के लिए की गई थी। मतलब लेकिन इसके साथ आपको बता दें कि ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम मिलने की यह भारत ही नहीं, दुनिया की भी पहली रिपोर्टेड स्टडी है। इससे पहले पंजाब और राजस्थान के भूमिगत पानी में यूरेनियम मिल चुका है, लेकिन ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम जैसी स्टडी पहली यही है और यही इसे इतना महत्वपूर्ण बनाती है।

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सवाल 2: स्टडी में करीब 70% नवजात बच्चों में यूरेनियम मिलने का रिस्क पाया गया है। इसका शिशु पर क्या असर होगा?
डॉ. अशोक शर्मा: इस आंकड़े की वजह से सबसे ज्यादा चिंता हुई है, लेकिन इससे कैंसर का कोई रिस्क अभी निकलकर सामने नहीं आया है। इसमें ‘नॉन-कार्सिनोजेनिक रिस्क’ निकला है, जिसका मतलब है कि इससे शिशु को भविष्य में न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट, IQ लेवल, कॉग्निटिव फंक्शन, किडनी फंक्शन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर हैवी मेटल्स का असर इसी तरह का होता है, हालांकि मैं फिर कहूंगा कि इस असर के बारे में कहना भी जल्दबाजी होगा, लेकिन आमतौर पर इसी तरह के असर देखने को मिल सकते हैं।
सवाल 3: क्या ब्रेस्ट मिल्क को लेकर WHO या किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय मानक तय किए गए है?
डॉ. अशोक शर्मा: WHO ने ड्रिंकिंग वाटर लिमिट के मानक तो तय किए है, लेकिन ब्रेस्ट मिल्क को लेकर कोई अंतरराष्ट्रीय तय मानक ही मौजूद नहीं है। इसलिए आगे की स्टडी की जरूरत है और यह स्टडी अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानको को भी तय करने के लिए अगले फेज में काम कर सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस स्टडी के माध्यम से पानी और पर्यावरण को सुरक्षित बनाने की पहल है और साथ ही शिशुओं की हेल्थ पर बात करने की जरूरत है।
सवाल 4: ब्रेस्ट मिल्क में जो यूरेनियम मिला है, वह महिलाओं में कहां से आया है?
डॉ. अशोक शर्मा: यही इस रिसर्च का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहले गांवों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग होती थी। तालाब, पोखर और प्राकृतिक जल सहेजकर रखा जाता था जो 10 से 15 फुट में ही मिल जाता था। अब ग्राउंडवॉटर 100–300 मीटर नीचे चला गया है। नीचे चट्टानों में हैवी मेटल्स होते हैं और वही पानी हम बोरिंग करके पी रहे हैं। यही असली वजह है।

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सवाल 5: क्या आपको लगता है कि हैवी मेटल मिलने के चलते ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देनी चाहिए?
डॉ. अशोक शर्मा: कई बार यह सवाल पूछा गया और हर बार यही जवाब देता हूं कि सभी महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग बिल्कुल बंद नहीं करनी है। मां का दूध अमृत है। नवजात शिशु की इम्युनिटी, ग्रोथ और मूल पोषण का यही एकमात्र स्रोत है। डरने की कोई जरूरत नहीं है। जब तक डॉक्टर मना न करे, फीडिंग जारी रखें।
सवाल 6: क्या इससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है?
डॉ. अशोक शर्मा: अभी इस बारे में कहना जल्दबाजी होगी। कोई भी वैज्ञानिक बिना सबूत के ऐसी बात नहीं कह सकता। पैनिक फैलाना गलत होगा और इस स्टडी को आगे बढ़ाने की जरूरत है। कई और पहलुओं पर भी रिसर्च करना जरूरी है। इसके अलावा, ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए।
सवाल 7: क्या इस स्टडी से मां और शिशु की हेल्थ पर भी सवाल उठते हैं?
डॉ. अशोक शर्मा: बिल्कुल नहीं, इस स्टडी का उद्देश्य खतरा बताना नहीं है, पॉलिसी सुधार के लिए डेटा देना है और भविष्य में बेहतर पानी और स्वास्थ्य सुरक्षा विकसित करना है। इसके अलावा, इस स्टडी के माध्यम से हम चाहते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को वापस मजबूत हो, इससे बोरिंग वॉटर की जरूरत को खत्म किया जा सकता है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत को जागरूक करना है।
निष्कर्ष
डॉ. अशोक शर्मा ने खासतौर पर जोर दिया कि महिलाओं को ब्रेस्टफीड कराते रहना चाहिए और इस स्टडी को सिर्फ जागरूकता बढ़ाने के तौर पर देखना चाहिए। इस स्टडी में जो ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम पाया गया है, उससे अगले फेज में रिसर्च करने में आसानी होगी। फिलहाल वैज्ञानिक इसके अलग-अलग पहलूओं पर काम कर रहे हैं और इसके बाद ही किसी भी तरह के मानक तय किए जाएंगे।
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Nov 27, 2025 16:57 IST
Published By : Aneesh Rawat