Medically Reviewed by Dr Chetna Jain

High Pregnancy में ट्रैवल करना कितना सेफ है? डॉक्टर से जानें सफर करते समय कौन-सी सावधानियां बरतें

High Pregnancy Travel: अगर किसी महिला की प्रेग्नेंसी हाई-रिस्क होती है, तो उसे सफर करना चाहिए या नहीं, इसके बारे में हमने जानी-मानी गायनेकोलॉजी डॉ. चेतना जैन से बात की। उन्होंने हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं के लिए सफर करते समय कुछ बातों का ध्यान रखने की सलाह दी है।
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High Pregnancy में ट्रैवल करना कितना सेफ है? डॉक्टर से जानें सफर करते समय कौन-सी सावधानियां बरतें

High Pregnancy Travel: हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी बहुत ही खास समय होता है और अगर इस दौरान कुछ परेशानी हो जाए, तो डॉक्टर इस तरह की प्रेग्नेंसी को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी कहते हैं। इस दौरान प्रेग्नेंट महिला को अपना खास ध्यान रखना होता है और साथ ही कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। आजकल महिलाएं काम के के सिलसिले में ट्रैवल करती हैं, तो हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में ट्रैवल करना कितना सेफ है, यह जानने के लिए हमने गुरुग्राम के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉ. चेतना जैन (Dr. Chetna Jain, Director Dept of Obstetrics & Gynecology, Cloudnine Group of Hospitals, Sector 14, Gurgaon) से बात की। डॉ. चेतना ने कहा कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किन महिलाओं को हाई प्रेग्नेंसी कैटेगरी में रखा जाता है।


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हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी क्या है?

डॉ. चेतना कहती हैं, “हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी उस कंडीशन को कहते हैं, जिसमें प्रेग्नेंट महिला या गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत नार्मल से ज्यादा रिस्क में होती है। इसके कई कारण होते हैं और प्रेग्नेंट महिलाओं को इन कारणों का ध्यान रखना चाहिए।”

  1. हाई ब्लड प्रेशर या प्री-एक्लेम्पसिया
  2. डायबिटीज - प्रेग्नेंसी से पहले या प्रेग्नेंसी के दौरान
  3. एनीमिया
  4. थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं
  5. पहले मिसकैरेज या प्री-टर्म डिलीवरी की हिस्ट्री
  6. जुड़वां या ट्रिपलेट्स होना
  7. प्लेसेंटा प्रीविया या प्लेसेंटा से जुड़ी अन्य समस्याएं
  8. समय से पहले डिलीवरी का रिस्क

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क्या हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में सफर किया जा सकता है?

डॉ. चेतना कहती हैं, “इसका हां या नहीं में जवाब देना मुश्किल है। दरअसल, हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में सफर करना पूरी तरह मना नहीं किया जाता, लेकिन यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि प्रेग्नेंट महिला का मेडिकल कंडीशन कैसी है, प्रेग्नेंसी का कौन-सा ट्राइमेस्टर चल रहा है और इन सभी स्थितियों को देखते हुए डॉक्टर ने क्या सलाह दी है। अगर प्रेग्नेंसी कंट्रोल में है और कोई रिस्क नहीं है, तो छोटी और बहुत जरूरी सफर करने दिया जाता है, लेकिन बिना वजह लंबी, थकाने वाली या रिस्क वाले सफर से आमतौर पर बचने की सलाह दी जाती है।”

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में किन कंडीशन में सफर बिल्कुल नहीं करना चाहिए?

डॉ. चेतना कहती हैं, “अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को बार-बार पेट में दर्द या क्रैम्प्स होना, वेजाइनल ब्लीडिंग हो, पानी आना या लीक होना, अचानक तेज सूजन होना, बहुत ज्यादा थकान या चक्कर आना, हाई ब्लड प्रेशर का अनकंट्रोल्ड होने पर प्रेग्नेंट महिलाओं को सफर करने की बिल्कुल सलाह नहीं दी जाती। अगर डॉक्टर को लगता है कि महिला को प्री-टर्म लेबर हो सकता है या खासतौर पर तीसरी तिमाही में सफर करना रिस्की हो सकता है।”

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में सफर करते समय सावधानियां

डॉ. चेतना ने बताया कि अगर प्रेग्नेंट महिला को सफर करना जरूरी है, तो कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए।

  1. सफर करने से पहले अपनी गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें और इस बात का ध्यान रखें कि डॉक्टर की लिखित अनुमति जरूर हो।
  2. लंबी दूरी, खराब सड़कें और ज्यादा झटके वाले सफर से बचें। दूरी वाले सफर में ब्रेक जरूर लें।
  3. सफर के दौरान पर्याप्त पानी पीते रहें। डिहाइड्रेशन से प्री-टर्म लेबर का रिस्क बढ़ सकता है।
  4. ढीले, कॉटन कपड़े और सपोर्टिव फुटवियर पहनें ताकि सूजन न हो।
  5. हर एक से दो घंटे में थोड़ा चलें या पैर हिलाएं ताकि ब्लड क्लॉट बनने का रिस्क कम हो।
  6. समय पर अपनी दवाइयां लें। साथ ही प्रिस्क्रिप्शन, अल्ट्रासाउंड और रिपोर्ट्स हमेशा साथ रखें।
  7. जिस जगह जा रही हों, वहां के नजदीकी अच्छे अस्पताल और इमरजेंसी नंबर पहले से नोट कर लें।
  8. कोई भी भारी बैग या वजन उठाने से बचें, चाहे वह छोटा ही क्यों न लगे।

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प्लेन में सफर करते समय बरतें सावधानी

डॉ. चेतना कहती हैं कि अगर हाई-रिस्क प्रेग्नेंट महिला एयर ट्रैवल कर रही हैं, तो इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

  1. हर एयरलाइन की अपनी प्रेग्नेंसी से जुड़ी गाइडलाइंस होती हैं।
  2. यह जरूर जांच लें कि किस जस्टेशनल एज तक सफर किया जा सकता है।
  3. ज्यादातर मामलों में डॉक्टर का फिट-टू-फ्लाई सर्टिफिकेट महत्वपूर्ण होता है।
  4. यह सर्टिफिकेट आमतौर पर उड़ान से तीन दिन के अंदर ही जारी किया जाना चाहिए।
  5. एयर ट्रैवल से पहले एयरलाइन और डॉक्टर दोनों से कन्फर्मेशन बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष

डॉ. चेतना कहती हैं कि अगर सफर करना ही पड़े, तो दूसरी तिमाही को ज्यादा सेफ माना जाता है। बस प्रेग्नेंट महिला को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। पहली और तीसरी तिमाही में सफर करने पर रिस्क थोड़ा ज्यादा बढ़ जाता है। वैसे भी हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में सफर करने को हल्के में नहीं लेना चाहिए। महिला को डॉक्टर से मिलकर अपनी मेडिकल स्थिति के बारे में जरूर बात करनी चाहिए। इससे मां और बच्चा दोनों ही सेफ रहते हैं।

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  • Dec 27, 2025 10:17 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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