आजकल वजन कम करने के लिए स्किम्ड मिल्क का चलन काफी बढ़ गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दूध में वसा की मात्रा बेहद कम होती है और इसलिए यह अतिरिक्त वसा घटाने में मददगार होता है। लेकिन एक हालिया शोध इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता।
इस शोध में कहा गया है कि कम कैलोरी वाले डेयरी उत्पाद और कम मसालेदार भोज्य पदार्थ हमें खाऊ बना देते है और हम निश्चित मात्रा में ज्यादा भोजन के सेवन से मोटापे की चपेट में आ जाते है। जेएएमए पेडियेटि्रक्स पत्रिका द्वारा किये गये शोध में यह पाया गया कि जिन बच्चों को बचपन में स्किम्ड दूध पिलाया गया उनमें फुल क्रीम दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षा तेजी से वृद्धि हुई।
वसा कम किये हुए दूध को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें चीनी मिलाई जाती है। कम वसा वाले एक ग्लास चॉकलेट दूध में 158 कैलोरी होती है। जबकि फुल क्रीम दूध मे तीन या चार प्रतिशत तक वसा पायी जाती है। वर्षों से लोग मोटापा कम करने के उपायों के तहत दूध के मलाई वाली परत को हटा देते हैं जबकि शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि स्किम्ड दूध के इस्तेमाल से मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
सरकारी दिशा निर्देश के तहत लोगों को समुचित मात्रा में दूध और डेयरी उत्पादो का इस्तेमाल करने को कहा गया है तथा यह भी कहा गया है कि या तो लोग कम वसा वाले डेयरी उत्पादो का इस्तेमाल करे या कम मात्रा मे वसा वाले उत्पादों को प्रयोग में लाएं। सामान्य तौर पर ऐसा सोचा जाता है कि स्किम्ड दूध के इस्तेमाल से बिना वसा और कैलोरी के विटामिन डी, कैल्शियम तथा प्रोटीन का लाभ लिया जा सकता है पर शोध के लेखक बॉस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डेविड लुडविग तथा हार्वड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वाल्टर विलेट का मानना है कि ये जरुरी नहीं है कि कम वसा तथा कम कैलोरी वाले भोजन कम मात्रा में ही खायी जाएं। अंतत: इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि स्किम्ड दूध में फुल क्रीम दूध की अपेक्षा पोषक तत्व भी कम मात्रा में मौजूद होते हैं।
पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पाद फैट सोल्यूवल विटामिन- ए, डी, ई तथा के के साथ-साथ कैल्शियम और फॉस्फॉरस के भी महत्वपूर्ण स्रोत्र होते है। तथा इनमें बसे खनिज भी विटामिन डी के साथ मिलकर हमारी हड्डी को मजबूत करते हैं।
Read More Health News In Hindi