फिजिकल एक्टिविटी के मामले में भारतीय बच्चे 8वें स्थान पर, WHO ने जारी की रिपोर्ट

डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च रिपोर्ट की मानें, तो भारतीय किशोरों में शारीरिक गतिविधियां बड़ी तेजी से कम हो रही है।
  • SHARE
  • FOLLOW
फिजिकल एक्टिविटी के मामले में भारतीय बच्चे 8वें स्थान पर, WHO ने जारी की रिपोर्ट


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा किए गय एक रिसर्च की मानें, तो भारत में किशोर उम्र के बच्चे धीरे-धीरे सुस्त हो रहे हैं। भारत में किशोरों के बीच अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के न्यूनतम स्तर के साथ शीर्ष दस रैंकिंग वाले देशों में से भारत आठवें स्थान पर है। इस सूची में बांग्लादेश सबसे ऊपर है, जबकि अमरीका के किशोर 146 देशों की सूची में चौथे स्थान पर हैं। वहीं भारत में किशोर उम्र के बच्चे में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के कुल प्रसार में भारत 73.9 प्रतिशत के साथ आठवें स्थान पर है। इस तरह ये खबर भारतीयों के लिए ये एक वार्निंग सिगनल है कि उनके बच्चों में शारीरिक गतिविधियों के लगातार कम होने वे कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

Inside_who report adults

डब्लूएचओ के नए अध्ययन में पाया गया है कि विश्व स्तर पर 80 प्रतिशत से अधिक स्कूल जाने वाले किशोर प्रति दिन कम से कम एक घंटे के लिए भी कोई शारीरिक गतिविधि में भाग नहीं लेते हैं। इन किशोरों में से 85 प्रतिशत लड़कियां और 78 प्रतिशत लड़के शामिल हैं। फिर भी, 146 देशों में लड़कों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि का सबसे कम स्तर बांग्लादेश, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाया गया। 2016 में फिलीपींस लड़कों (93 प्रतिशत) के बीच अपर्याप्त गतिविधि का सर्वाधिक प्रसार वाला देश था।

 इसे भी पढ़ें : जिद्दी टीनएजर्स के साथ कैसे डील करें, पढ़ें ये टिप्स

शुक्रवार को द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित होने वाले अध्ययन के लेखकों ने उल्लेख किया है कि बांग्लादेश और भारत में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के निचले स्तर यानी कि 63 प्रतिशत लड़कियां और 72 प्रतिशत लड़के 2016 में अपर्याप्त रूप से सक्रिय थे और क्रिकेट जैसे राष्ट्रीय खेलों में भाग ले रहे थे। पर अब ये आंकड़े नीचे आ गया हैं। वहीं भारतीय स्कूलों में अच्छी शारीरिक शिक्षा, खेलों की व्यापक मीडिया कवरेज और खेल क्लबों (जैसे हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल या बेसबॉल) की अच्छी उपलब्धता से संचालित नहीं होने की वजह से इन बच्चों में शारीरिक गतिविधियां लगातार कम हो रही है।  

मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य से जुड़े विभागों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ के इस अध्ययन के प्रमुख लेखक  गुटहोल्ड ने बताया कि भारत में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि का प्रतिशत 74 प्रतिशत है। और इस तरह जब भारत वैश्विक औसत से नीचे है, तब भी भारतीय किशोरों को पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं मिल रही है। शारीरिक गतिविधियों में वैश्विक प्रवृत्ति की बात करें, तो 2001 के बाद से भारतीय लड़कों में शारीरिक गतिविधियों में अचानक से कमी आई है लेकिन लड़कियों में ये आंकड़े बेहतर हुए हैं।

Inside_who report on child

इसे भी पढ़े : बड़ों की तुलना में बच्चे और किशोर ज्यादा है एनीमिया के शिकार, जानें क्यों

अन्य देशों की तुलना में भारत में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के कुछ हद तक कम प्रसार के लिए संभावित स्पष्टीकरण क्रिकेट (विशेष रूप से लड़कों के लिए) जैसे राष्ट्रीय खेलों का महत्व हो सकता है, अगर भारतीय किशोरों पर पढ़ाई का जोर ज्यादा न दिया जाए और उन्हें खेल के लिए प्रोत्साहित किया जाए, तो वे और बेहतर कर सकते हैं। वहीं भारत में लड़कियों की बात की जाए तो वे घरेलु कामों में ज्यादा सक्रिय हैं। वहीं इनके स्वास्थ्य की बात की जाए तो इनमें पोषण की भी कमी है। अध्ययन में पहली बार अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और अनुमानित अनुमानों का व्यापक प्रसार प्रस्तुत किया गया है। 2001 से 2016 तक वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाने पड़ सकते हैं। इस तरह सभी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में सक्रिय खेलों को शामिल करना पड़ेगा। इसके अलावा मनोरंजन, सक्रिय घरेलू काम, पैदल चलना और साइकिल चलाना या अन्य प्रकार के सक्रिय परिवहन, शारीरिक शिक्षा और व्यायाम आदि के लिए भी बच्चों को प्रोत्साहित करना होगा।

Read more articles on Health-News in Hindi

Read Next

महीने में सिर्फ 1 दिन का उपवास रखेगा आपको सेहतमंद और बढ़ा देगा आपकी जिंदगी: रिसर्च

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version