
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बच्चों और माता पिता का रिश्ता बहुत खास और गहरा होता है। न ही बच्चे माता पिता के बिना रह पाते हैं और न ही माता पिता अपने बच्चों को अपनी नजरों से ओझल कर पाते हैं। दैनिक जीवन में नोक झोंक होने के बावजूद दोनों एक दूसरे की तरफ खिचे चले जाते हैं। लेकिन यह भी सच है कि अब वक्त बदल रहा है। आजकल के बच्चे न सिर्फ शरारती हैं बल्कि उनके अंदर काफी इगो भी है। उन्हें सिर्फ बड़ों से प्यार ही नहीं बल्कि अपने लिए सम्मान भी चाहिए होता है। लेकिन जब पेरेंट्स की तरफ से उन्हें ऐसा नहीं मिलता तो वह उनसे दूर होने का फैसला तक ले लेते हैं। आलम यह है कि अब स्कूलों में होने वाली पेरेंट्स मीटिंग माता पिता और बच्चों के रिश्ते में अहम भूमिका निभाती है। हर बच्चा चाहता है कि जब उसके पेरेंट्स स्कूल में आए तो वह काफी अच्छे दिखें और साथ ही उनका बातचीत का बर्ताव भी बहुत खास होना चाहिए। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर माता पिता बच्चों की उम्म्मीद खरा उतर पाए। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं जिनसे आप बच्चों की पेरेंट्स मीटिंग में बेस्ट पेरेंट्स साबित हो सकते हैं।
सब से हंसकर बात करें
बच्चे इस चीज को जरूर नोटिस करते हैं कि उनके पेरेंट्स स्कूल आकर किस से कैसे बात कर रहे हैं। बच्चे भले ही दूसरे पेरेंट्स से या अपनी क्लास के हर बच्चे से ज्यादा बात न करते हों लेकिन अपने पेरेंट्स के बात करने के ढंग को बहुत बारीकी से देखते हैं। इसलिए जब भी आप पेरेंट्स मीटिंग में स्कूल जाएं तो टीचर्स के साथ ही दूसरे पेरेंट्स और बच्चों से भी हंसकर बात करें।
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अच्छे कपड़े पहनकर जाएं
बच्चे चाहते हैं कि उनके पेरेंट्स ऐसी पर्सनेलिटी के साथ स्कूल आएं जिससे हर कोई उनकी तारीफ करें। इसलिए यह समझकर मीटिंग में कुछ भी पहनकर न चले जाएं कि आपको आधे घंटे में घर आना है। बल्कि पेरेंट्स मीटिंग में जाते वक्त खुद को अच्छी तरह से ड्रेसअप कर के जाएं। आजकल के बच्चों को अपनी मम्मी पर वेस्टर्न ड्रेसेस ज्यादा पसंद आती हैं।
इंग्लिश में बात करें
इस बात में कोई शक नहीं है कि अंग्रेजी बोलने वाले को आज भी काफी पढ़ा लिखा और विद्वान माना जाता है। बच्चे भी चाहते हैं कि उनके पेरेंट्स जब स्कूल आएं तो टीचर्स से अंग्रेजी में बात करें। अगर यह आपके लिए संभव हो तो ऐसा जरूर करें।
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बच्चों की बुराई न करें
आप पेरेंट्स मीटिंग में जो भी कहेंगी वह आपका बच्चा भी सुनता है। इसलिए कभी भी बच्चों की बुराई न करें। इससे उनके अंदर हीन भावना आती है।
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