पति-पत्‍नी की अनबन और तलाक होने पर इन 4 तरीकों से रखें बच्‍चों का ख्‍याल ताकि न हो उनका भविष्य खराब

Parenting Tips: बच्‍चों की देखभाल में सबसे जरूरी बात है कि मां-बाप के बीच कितनी भी लड़ाईयां क्‍यों न हों, लेकिन उनका असर बच्‍चे पर न पड़े। आइए आपको यहां बताते हैं कि यदि आपकी बात तलाक तक पहुंच जाए, तो कैसे बच्‍चे का ख्‍याल रखें

Sheetal Bisht
Written by: Sheetal BishtUpdated at: Nov 13, 2019 13:16 IST
पति-पत्‍नी की अनबन और तलाक होने पर इन 4 तरीकों से रखें बच्‍चों का ख्‍याल ताकि न हो उनका भविष्य खराब

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जिंदगी में कई ऐसे पड़ाव आते हैं, जब काफी बुरे दौर से गुजरते हैं। अब जैसे दो शादीशुदा लोगों का अलग हो जाना, यानि डिवोर्स हो जाना, न केवल उन दो लोगों की जिंदगी को प्रभावित करता है, बल्कि यदि उनका बच्‍चा है तो उसके जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। अक्‍सर माता-पिता के बीच लड़ाईंया या अलगाव का बच्‍चे और उसकी जिंदगी पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में बच्‍चा अकेला और असहाय महसूस करने के साथ चीजों को लेकर कंफ्यूज रहता है। इसलिए यदि आपका डिर्वोस हुआ है या आप दोनों पति-पत्‍नी में तनातनी चल रही है, तो हमेशा कोशिश करें कि आपके बच्‍चे के विकास पर उसका असर न पड़े। आइए हम आपको यहां बताते हैं कि डिर्वोस के बाद सिंगल मदर या फादर को अपने बच्‍चे का किस तरह ख्‍याल रखना चाहिए।

मतभेद को पीछे रखकर करें बच्‍चे की अच्‍छी परवरिश 

हर माता-पिता अपने बच्‍चे की अच्‍छी परवरिश करना चाहते हैं, लेकिन कई बार आपसी मतभेद और लड़ाईयों के चलते आप बच्‍चे पर ध्‍यान नहीं देते। इसलिए कोशिश करें कि आप अपने आपसी झगड़ों को बच्‍चे के सामने ना करें और इसके चलते बच्‍चे की परवरिश में कोई कमी न करें। क्‍योंकि आपकी लड़ाईयों का आपके बच्‍चे पर बुरा असर पड़ सकता है। 

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डिर्वोस के बाद भी रखें बच्‍चे से संपर्क 

अक्‍सर देखा जाता है कि माता-पिता के बीच तनाव के चलते तलाक के बाद बच्‍चा दोनों में से किसी एक के साथ रहता है। ऐसे में दूसरा पैरेंट अपने बच्‍चे से जुड़ी जानकारी, तो रखता है लेकिन हालातों के चलते बच्‍चे से संपर्क नहीं बनाए रखता। ऐसे में सबसे अच्‍छा तरीका है कि आप अपने बच्‍चे की सही देखभाल के लिए उससे कनेक्‍ट रहें। आप दूर रहकर भी बच्‍चे को कुछ नोट लिखकर उसके फ्यूचर को लेकर एडवाइज, कुछ पॉजिटिव बातें कर अपना प्‍यार उस तक पहुंचा सकते हैं। (पेरेंट्स और बच्‍चे के रिश्‍तों को प्रभावित करती है 'कोडिपेंडेंट पेरेंटिंग', जाने क्‍या है ये और इसके संकेत)

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कॉल या वीडियो कॉल करें

यदि किसी पति-पत्‍नी में लड़ाईयां होती हैं और बात तलाक तक आती है, तो दोनों को ये समझने की जरूरत है कि बच्‍चा किसी के साथ भी रहे लेकिन उसे मां-बाप दोनों की जरूरत होती है। ऐसे में आप अपने बच्‍चे को दूसरे पैरेंट से जुड़ाव या बात करने से न रोकें। इसके अलावा, आप यदि बच्‍चे के दूसरे पैरेंट हैं, जो उसके साथ नहीं रह रहे, तो आप उसे कॉल और वीडियो कॉल कर सकते हैं। ऐसे में आपके बच्‍चे को अच्‍छा महसूस होगा और वह खुश रहेगा। यहां तक कि हो सकता है वह आप दोनों पति-पत्‍नी के बीच के मनमुटाव को दूर कर दे।  

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बच्‍चे को समझें 

कई बार हो सकता है कि आपके बच्‍चे के दिमाग में आपके प्रति गलत धारण हों। ऐसे में आप अपने बच्‍चे को बेहतरीन तरीके से समझने और सभी गलतफहमियों को दूर करने के लिए उसके दोस्‍तों से मिलें। कोशिश करें कि अपने बच्‍चे के दोस्‍तों के जरिए अपने बच्‍चे से मेल-मिलाप बढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी करीबियां बढेंगी और बच्‍चे के मन आपके प्रति गलत सोच दूर होगी। 

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