शिशुओं की बहुत ज्यादा देखभाल और उनमें पोषण की आवश्यकता का मतलब है उन्हें बहुत सारा खाना खिलाना। जन्म के बाद पहले वर्ष में उनके पोषण का प्रमुख स्रोत मां का दूध होता है, जो उनका पेट अच्छी तरह से भरा रखता है और वह काफी खुश रहते हैं। जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं तो ये हमेशा जरूरी नहीं होता कि उनके शरीर का वजन उनके स्वस्थ होने का मापक या संकेतक हो। उनके पेट में परेशानी के कई लक्षण हो सकते हैं, जिसमें से एक है डिहाइड्रेशन यानी की उन्हें प्यास लगना। बड़े बच्चों की तुलना में शिशुओं के डिहाइड्रेट होने के संकेत काफी कम दिखाई देते हैं इसलिए यह पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है कि उन्हें कब प्यास लगी है। अगर आप भी ऐसी ही किसी स्थिति से गुजर रहे हैं तो इन 4 संकेतों के जरिए जान सकते हैं कि आपका शिशु प्यास है या नहीं।
इन 4 संकेतों से पहचानें आपका शिशु प्यासा है या नहीं
रुखा मुंह और त्वचा
डिहाइड्रेशन के सबसे स्पष्ट लक्षणों में से एक है मुंह के अंदर और आसपास, होंठ व चेहरे पर सूखापन। यह उनकी त्वचा के छिलने का कारण भी बन सकता है। डिहाइड्रेशन से उनके हाथ और पैर सामान्य से अधिक गर्म या ठंडा हो सकते हैं। इस संकेत को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा होता देख रहे हैं, तो उन्हें दूध पिलाने की कोशिश करें और उन्हें सहज महसूस कराएं।
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बिना आंसू के रो रहा आपका शिशु
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं वे रोना और आंसू निकालना शुरू कर देते हैं। बिना आंसू के रोना अक्सर तब होता है जब उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है और आंसू नहीं बन पाते। यह स्पष्ट संकेत है कि आपकी नन्ही सी जान में पोषण की कमी हो गई।
जब डायपर आमतौर के मुकाबले कम गीले होने लगे
अगर आप कुछ दिन पहले ही माता-पिता बने हैं तो शायद आपको पहले से ही बच्चे की शौच की आदतें पता हों। पहले छह महीनों तक दिन में 5 से 6 डायपर बदलना सामान्य माना जाता है। हालांकि, अगर आपको लगता है कि आप इससे कम डायपर बदल रहे हैं तो हो सकता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त भोजन नही मिल रहा है। इसके अलावा शिशु के मूत्र के रंग में बदलाव के संकेत को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डिहाइड्रेशन के कारण पेशाब का रंग पीला हो सकता है, जो कि सामान्य नहीं है।
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ज्यादा सोने लगे शिशु
अन्य वयस्कों की तरह जब आपकी नन्ही सी जान को उचित मात्रा में पोषण नहीं मिलता है, तो वे थक जाते हैं और सामान्य से अधिक सूखा महसूस करते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा आराम और नींद आती है। अपने बच्चे की नींद की दिनचर्या पर नजर रखें। ये संकेत सबसे अधिक बार नजरअंदाज किए जाने वाले संकेतों में से एक हैं। जरूरत से ज्यादा सोने को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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