Male Fertility in IVF: आजकल अधिकतर लोग इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से कई कपल्स नेचुरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं। जब कोई प्राकृतिक रूप से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाता है, तो ऐसे में आईवीएफ एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आजकल इनफर्टिलिटी से परेशान कपल्स के बीच, आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसे तकनीकों का महत्व भी बढ़ा है। इनफर्टिलिटी के कई कारण हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी हो या आईवीएफ, सफलता के लिए मेल और फीमेल फर्टिलिटी का बेहतर होना जरूरी होता है। आईवीएफ की सफलता के लिए मेल फर्टिलिटी का बेहद महत्व होता है।
आईवीएफ में सबसे पहले अंडाणु और शुक्राणु को लिया जाता है। इन्हें टेस्ट ट्यूब में डालकर प्रयोगशाला में रखा जाता है। फिर जब अंडाणु और शुक्राणु निषेचित हो जाते हैं, तो फिर इसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। आईवीएफ के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस (World IVF Day) मनाया जाता है। आइए, आज इसी मौके पर ओएसिस फर्टिलिटी की को-फाउंडर और मेडिकल डायरेक्ट डॉ. दुर्गा जी. राव से जानते हैं आईवीएफ ट्रीटमेंट में मेल फर्टिलिटी क्यों महत्वपूर्ण है? साथ ही, मेल इनफर्टिलिटी आईवीएफ की सफलता दर को कैसे प्रभावित करती है?
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IVF ट्रीटमेंट में मेल फर्टिलिटी का महत्व
- डॉ. दुर्गा बताती हैं, ‘लगभग 20 साल पहले पुरुषों में इनफर्टिलिटी के मामले कम ही देखने को मिलते थे। हालांकि, पिछले 2 दशकों से पुरुषों में इनफर्टिलिटी के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। खराब लाइफस्टाइल, खान-पान, धूम्रपान, स्ट्रेस, अधिक वजन, अनिद्रा, शराब का सेवन आदि मेल इनफर्टिलिटी के कारण हो सकते हैं। गर्भधारण करने के लिए पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी बेहतर होनी चाहिए। आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान भी शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’
- आईवीएफ में पुरुषों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता के लिए पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता अच्छी होनी जरूरी होती है। खराब क्वालिटी के स्पर्म, आईवीएफ की सफलता को कम कर सकते हैं। अगर शुक्राणुओं की गुणवत्ता सही होती है, तो आईवीएफ के सफल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
- आईवीएफ की सफलता के लिए शुक्राणु की गतिशीलता सही होनी चाहिए। दरअसल, गतिशील स्पर्म, अंडाणु तक पहुंचने और फर्टिलाइज होने में सक्षम होते हैं।
- आईवीएफ को सफल बनाने के लिए शुक्राणुओं की संख्या भी अधिक होनी चाहिए। वीर्य में शुक्राणुओं की कम संख्या आईवीएफ को प्रभावित कर सकती है। स्पर्म की कम संख्या भी आईवीएफ ट्रीटमेंट को प्रभावित कर सकती है।
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मेल इनफर्टिलिटी आईवीएफ की सफलता दर को कैसे करती है प्रभावित?
- आईवीएफ को सफल बनाने के लिए मेल फर्टिलिटी का बेहतर होना जरूरी होता है। पुरुषों की खराब प्रजनन क्षमता आईवीएफ की सफल होने की संभावना को कम कर सकती है।
- आपको बता दें कि स्वस्थ शुक्राणु फर्टिलाइजेशन में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जब शुक्राणु की संख्या या गुणवत्ता कम हो जाती है, तो इससे फर्टिलाइजेशन रेट कम हो जाता है। इससे आईवीएफ की सफलता दर कम हो सकती है।
- अच्छी गुणवत्ता वाले स्पर्म से बने एम्ब्रयो हेल्दी होते हैं। अच्छी क्वालिटी के स्पर्म गर्भ में अच्छी तरह विकसित हो जाते हैं। वहीं, अगर स्पर्म की गुणवत्ता खराब या कमजोर होती है, तो इससे गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।
- वहीं, अगर स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी अच्छी होती है, तो गर्भधारण के दर की संभावना अधिक होती है।
- आपको बता दें कि खराब स्पर्म क्वालिटी, एम्ब्रयो से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में आईवीएफ असफल हो सकता है।
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