Doctor Verified

Khushkhabri With IVF: पुरुषों की फर्टिलिटी का आईवीएफ ट्रीटमेंट पर क्या प्रभाव होता है? डॉक्टर से जानें

आईवीएफ ट्रीटमेंट में पुरुष और महिला की दोनों की फर्टिलिटी का अहम रोल होता है। इस लेख में आगे जानते हैं कि पुरष की फर्टिलिटी आईवीएफ ट्रीटमेंट को किस तरह से प्रभावित कर सकती है।
  • SHARE
  • FOLLOW
Khushkhabri With IVF: पुरुषों की फर्टिलिटी का आईवीएफ ट्रीटमेंट पर क्या प्रभाव होता है? डॉक्टर से जानें


Khushkhabri with IVF: आज के समय में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना अधिकतर युवाओं की पहली प्राथमिकता होती है। ऐसे में उनको शादी का फैसला लेने में ज्यादा समय बीत जाता है। अधिक उम्र में शादी करने के बाद महिला व पुरुष को फर्टिलिटी से जुड़ी कई समस्याओं को सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई प्रयास करने और डॉक्टर का इलाज करवाने के बाद भी जो दंपत्ति संतान सुख पाने में नहीं पाते हैं, उनको डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं। संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपत्ति के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट किसी वरदान से कम नहीं है। आईवीएफ ट्रीटमेंट में महिलाओं की मौजूदा हेल्थ कंडीशन और प्रजनन क्षमता का महत्वपूर्ण रोल होता है। लेकिन, इस ट्रीटमेंट (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन - IVF) में महिलाओं के साथ ही पुरुषों की फर्टिलिटी हेल्थ का बेहतर होना  बेहद आवश्यक होता है। आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले पुरुषों की फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं का दूर होना जरुरी होता है। आईवीएफ के दौरान पुरुषों की फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं इस ट्रीटमेंट की सफलता दर को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में आपको पुरुषों की फर्टिलिटी का आईवीएफ ट्रीटमेंट में पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया है। 

लोगों को आईवीएफ से जुड़ी सटिक जानकारियां प्रदान करने के लिए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF सीरीज शुरु की है। इस सीरीज में आईवीएफ से संबंधित अस्पतालों के डॉक्टरों की टीम से संपर्क कर लोगों के मन में उठने वाले सवालों का जवाब दिया जाता है। आज की सीरीज में डॉ. स्नेहा मिश्रा, कंसलटेंट इंफर्टिलिटी और आईवीएफ, यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कड़कड़डूमा ने पुरुषों की फर्टिलिटी का आईवीएफ ट्रीटमेंट पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उपचार की सफलता में पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता, गति और संख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आगे जानते हैं इससे जुड़ी समस्याएं और उनका समाधान। 

पुरुष फर्टिलिटी और उससे जुड़ी समस्याएं 

पुरुष प्रजनन क्षमता मुख्य रूप से शुक्राणुओं (स्पर्म) की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करती है। स्पर्म की क्वालिटी और उनकी गतिशिलता में कमी या उनकी संख्या का कम होना, पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। ये आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर को प्रभावित करते हैं। यदि पुरुष के शुक्राणुओं की क्वालिटी और संख्या में कोई समस्या है, तो यह आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया को अधिक जटिल बना सकता है।

शुक्राणुओं (स्पर्म) की गुणवत्ता से जुड़ी समस्या

आईवीएफ ट्रीटमेंट में, महिलाओ के एग्स को फर्टिलाइज करने के लिए हेल्दी और गतिशील स्पर्म की आवश्यकता होती है। यदि शुक्राणु (स्पर्म) की क्वालिटी खराब है, तो महिलाओं से प्राप्त एग्स के फर्टाइल होने की संभावना कम हो जाती है। इसके चलते फिटस (भ्रूण) भी प्रभावित हो सकता है, ऐसे में प्रेग्नेंसी की सफलता दर घट सकती है। खराब क्वालिटी वाले स्पर्म डीएनए डैमेज का कारण बन सकते हैं, जिससे भ्रूण के विकास में समस्याएं हो सकती हैं।

how male fertility affets with iVF Treatment

शुक्राणु की संख्या से जुड़ी समस्याएं और आईवीएफ ट्रीटमेंट

शुक्राणुओं की संख्या भी आईवीएफ की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि शुक्राणुओं की संख्या कम है, तो महिलाओं के एग्स तक स्पर्म नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती है। आईवीएफ ट्रीटमेंट में, पुरुषों के स्पर्म की संख्या का सही होना बेहद आवश्यक होता है। 

इसे भी पढ़ें: आईवीएफ कराने से पहले प्री-इमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग कराना क्योंं है जरूरी, जानें

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले पुरुष प्रजनन क्षमता की जांच कैसे की जाता है? 

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले, पुरुष प्रजनन क्षमता की जांच की जाती है। इसमें शुक्राणुओं (Sperm) की संख्या, गतिशीलता, और संरचना की जांच शामिल होती है। इसके अलावा, डीएनए फ्रेग्मेंटेशन परीक्षण भी किया जा सकता है ताकि शुक्राणुओं की गुणवत्ता और डीएनए की स्थिति का आकलन किया जा सके। यह जांच उपचार की योजना बनाने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि आईवीएफ प्रक्रिया के लिए अच्छी क्वालिटी वाले स्पर्म का उपयोग किया जाए। 

पुरुषों की फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या में उपचार के अन्य विकल्प क्या हो सकते हैं? 

यदि पुरुष प्रजनन क्षमता में किसी तरह की समस्याएं पाई जाती हैं, तो आईवीएफ प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने के लिए विभिन्न विकल्प चुने जा सकते हैं। आईसीएसआई (Intracytoplasmic Sperm Injection) एक ऐसी तकनीक है जिसमें स्पर्म को सीधे महिला के एग्स के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। यह तकनीक कम संख्या या कम गुणवत्ता वाले स्पर्म के मामले में विशेष रूप से उपयोगी होती है।

इसके अलावा, पुरुषों के लिए जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव को दूर करने के लिए उपाय अपनाने से शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या में सुधार ला सकते हैं। वहीं, धूम्रपान और शराब का सेवन कम करना, और पर्याप्त नींद लेना भी प्रजनन क्षमता को सुधारने में मदद कर सकता है।

इसे भी पढ़ें:  PCOS के कारण कंसीव नहीं कर पा रही थीं स्वाति मिश्रा, IVF की मदद से मिली खुशखबरी

पुरुष प्रजनन क्षमता का आईवीएफ उपचार पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या, दोनों ही आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर को प्रभावित करते हैं। पुरुष की फर्टिलिटी की विस्तृत जांच और ट्रीटमेंट के विकल्पों का सही तरीके से उपयोग करने से आईवीएफ की सफलता दर में सुधार किया जा सकता है। यही कारण है कि आईवीएफ में महिला के साथ ही पुरुष की फर्टिलिटी भी महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।  

Read Next

क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान वजन बढ़ सकता है? एक्सपर्ट से जानें वेट लॉस टिप्स

Disclaimer