शरीर में होने वाले दुष्प्रभाव कई तरह के रोगों का मुख्य कारण बन सकते हैं। आज के समय में लोगों ने अपनी लाइफस्टाइल को अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लिया है। सिगरेट और शराब के बिना आज हर पार्टी अधूरी मानी जाती है। लेकिन, डॉक्टर्स की मानें तो धूम्रपान या सिगरेट का नशा आपकी स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। कई रिचर्स बताती हैं कि धूम्रपान से लंग्स कैंसर होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। डॉक्टर्स का कहना है कि यदि समय पर इस रोग की पहचान कर ली जाए, तो आसानी से ठीक किया जा सकता है। वहीं, आज के समय में जेनेटिक टेस्टिंग के आधार पर लंग्स कैंसर होने की संभावनाओं को आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे में जीन म्यूटेशन के कारण होने वाले कैंसर को समझने और उसके उपचार की योजना बनाने में आसानी होती है। इस विषय पर न्यूबर्ग सेंटर फॉर जीनोमिक सेंटर के मोलिक्यूलर ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट (molecular oncopathologist) डॉ. कुंजल पटेल ने बताया कि जेनेटिक टेस्टिंग किस तरह से लंग्स कैंसर में मददगार हो सकती है।
लंग्स कैंसर के लिए जेनेटिक टेस्ट क्यों किए जाते हैं?
जेनेटिक टेस्टिंग, जिसे मोलिक्यूलर टेस्ट या बायोमार्कर टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट में मरीज के ट्यूमर में कैंसर सेल्स की जेनेटिक डेवल्पमेंट की जांच की जाती है। फेफड़ों के कैंसर में कुछ विशेष जीन और म्यूटेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह बता सकते हैं कि कैंसर कैसे बढ़ता है और विभिन्न उपचारों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है। इन जेनेटिक्स म्यूटेशन की पहचान करके, डॉक्टर मरीज के लिए सही उपचार खोज सकते हैं। जिससे कैंसर के जल्द ठीक होने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
लंग्स कैंसर के लिए जेनेटिक्स टेस्ट क्यों महत्वपूर्ण है?
लंग्स कैंसर के उपचार के पुराने तरीके जैसे- कीमोथेरेपी और लेजेर थेरेपी तेजी से कैंसर बनाने वाली सेल्स पर तेजी से खत्म करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। लेकिन, ये उपचार के इन तरीकों से हेल्दी सेल्स को भी नुकसान हो सकता है। जिससे शरीर पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जेनेटिक्स टेस्टिंग डॉक्टरों को मरीज के लंग्स कैंसर के सही कारणों का पता लगाने में मदद करती है। जिसे जानकार डॉक्टर मरीज को ऐसे इलाज देते हैं, जिससे उनके हेल्दी सेल्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही, कैंसर के सेल्स को तेजी से कम किया जा सकता है। इस टेस्टिंग के बाद इलाज का प्रभाव बढ़ सकता है और साइड इफेक्ट होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
जेनेटिक टेस्टिंग पर किसे विचार करना चाहिए?
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी), जो लंग्स कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है। इससे पीड़ित मरीजों के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की जा सकती है। स्मॉल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) के कुछ मामलों के लिए भी इस पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों के परिवार में पहले से ही किसी को कैंसर हुआ हो, ऐसे व्यक्ति भी जेनेटिक टेस्ट करा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें : इन जेनेटिक डिसऑर्डर में डॉक्टर दे सकते हैं आईवीएफ करवाने की सलाह, जानें कैसे काम करती है यह साईकिल
लंग्स में किसी भी तरह की परेशानी होने पर या सांस लेने में दिक्कत होने पर आपको तुंरत किसी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे गंभीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।