मॉनसून आते ही बच्चों को कई तरह की मौसमी बीमारियां परेशान करने लगती हैं। इस मौसम में बच्चों को खांसी, जुकाम और वायरल फीवर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर फ्लू शॉट लगवाने की सलाह देते हैं। बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है, जिस कारण बीमारियां बच्चों को जल्दी चपेट में लेती हैं। ऐसे में कोशिश करें बच्चों को शुरुआत में ही फ्लू शॉट लगवाएं। इससे बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत होगी, साथ ही सर्दी, खांसी और मौसमी बीमारियोंसे बचाव होगा। जन्म के 6 माह के बाद किसी भी बच्चे को फ्लू का टीका लगाया जा सकता है। डॉक्टर के परामर्श से आप ये टीका लगवा सकते हैं।
फ्लू के लक्षण
बच्चों में फ्लू के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं- सिरदर्द, बुखार, खांसी, नाक बहना, उल्टी, पेट खराब और गले में खराश आदि। ध्यान रखें बच्चों में फ्लू के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसे में लक्षण नजर आने पर आप डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाइयां देकर और मॉनसून आने से पहले बच्चों को फ्लू शॉट लगवाकर इन मौसमी बीमारियों से रक्षा कर सकते हैं।
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मॉनसून में बच्चों को फ्लू शॉट लगवाना क्यों है जरूरी
बारिश के समय बच्चों में ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और कई तरह के वायरल इंफेक्शन की समस्या काफी बढ़ जाती है। ऐसे में मॉनसून का मौसम शुरू होने से पहले बच्चों को फ्लू का टीका लगवाना जरूरी हो जाता है। कई बार बच्चों में बुखार की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इस कारण उन्हें दिमागी दौरे भी आ सकते हैं। बच्चों को लगातार जुखाम और खांसी रहने से उन्हें छाती में इंफेक्शन या कफ की समस्या हो सकती है। इससे बच्चा कई दिन तक परेशान रह सकता है। मॉनसून या बदलते मौसम में अस्थमा पीड़ित बच्चों की समस्या काफी बढ़ जाती है, इसलिए और जरूरी हो जाता है कि बच्चों को समय पर फ्लू शॉट मिलें, जिससे मौसमी बीमारियों से बच्चे की रक्षा हो सके। आप अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार फ्लू शॉट बच्चों को दिलवा सकते हैं।
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कैसे काम करती है फ्लू वैक्सीन
फ्लू वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडीज बनाकर, इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करती है। इस टीके में ऐसा प्रोटीन मौजूद है, जो फ्लू से फैली बीमारियों से रक्षा करता है। डॉक्टर के परामर्श अनुसार बच्चे को फ्लू वैक्सीन लगवानी चाहिए। समय पर नहीं लगवाई गई वैक्सीन के कारण बच्चे कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
कैसे रोकें फ्लू इंफेक्शन होने से
- बच्चों को बीमार लोगों के आसपास न जाने दें। क्लास में किसी को इंफेक्शन होने पर स्कूल में सूचित करें।
- बच्चों को बताएं कि छींकते या खांसते समय मुंह पर हाथ या रुमाल रखें।
- समय-समय पर हाथ धोते रहें।
- बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारें में समझाएं।
- बच्चों को बार- बार मुंह पर और आंखों पर हाथ लगाने से मना करें।