Doctor Verified

प्रेग्नेंसी में डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट करवाना क्यों जरूरी होता है? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी में बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए किए जाते हैं डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट। जानें इसके करने के फायदे  
  • SHARE
  • FOLLOW
प्रेग्नेंसी में डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट करवाना क्यों जरूरी होता है? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी की खबर सुनते ही घर में खुशियों का माहौल शुरू हो जाता है। घर के सभी लोग आने वाले मेहमान की तैयारियों में जुट जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को कई तरह के लक्षणों से गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में महिला को खुद के स्वास्थ्य के साथ ही अपने आने वाले बच्चे की सेहत का भी पूरा ध्यान रखना होता है। इस दौरान बच्चा कई तरह के आवश्यक डेवलपमेंट फेस से गुजरता है। इस समय महिलाओं को कई टेस्ट बताए जाते हैं। जिनको कराने से उनकी प्रेग्नेंसी की कॉम्पलीकेशन के बारे में पता लगाया जा सकता है। साथ ही, इन जोखिम कारकों को समय रहते ठीक किया जा सकता है। आगे साईं पॉलीक्लिनिक की वरिष्ठ स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि ये टेस्ट क्यों आवश्यक होते हैं। 

डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट को समझें - What is Double And Triple Marker Test During Pregnancy In Hindi 

डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट को मल्टीपल मार्कर टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। इसमें महिला के खून की जांच की जाती है। ये दोनों ही टेस्ट मुख्य रूप से प्रेग्नेंसी के दूसरे चरण में किए जाते हैं। इन टेस्ट से मां या बच्चे को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। इन टेस्ट्स से महिला के पेट में पल रहे भ्रूण के क्रोमोसोम्स में असमानताओं और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के जोखिम का पता लगाया जाता है। 

डबल मार्कर टेस्ट:

इस टेस्ट में महिला के खून के सैंपल में दो चीजों का आकलन किया जाता है। जिसमें अल्फा-भ्रूणप्रोटीन (एएफपी) और मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) को शामिल किया जाता है। इनका स्तर अधिक होने से या कम होने से गर्भ में पलने वाले बच्चे को समस्या होने का संकेत देता है। 

ट्रिपल मार्कर टेस्ट:

इस टेस्ट में तीन चीजों की चांज की जाती है। इसमें एएफपी, एचसीजी और अनजुगेटेड एस्ट्रिऑल (यूई3) की स्थिति का आकलन किया जाता है। इससे डॉक्टर बच्चे के विकास क्रम को समझ पाते हैं। साथ ही बच्चे की समस्याओं के संंभावित कारणों की भी पहचान कर सकते हैं। 

double marker test in pregnancy in hindi

डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट का महत्व - Importance Of Double And Triple Marker Test In Hindi 

  • क्रोमोसोमल असमानताओं का समय से पता लगना: इन परीक्षणों को कराने का एक प्राथमिक कारण डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18), और पटौ सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 13) जैसी क्रोमोसोमल असामान्यताओं की जांच करना है। इन स्थितियों का शीघ्र पता लगाने से माता-पिता गर्भावस्था से ही आने वाले बच्चे की देखभाल के लिए तैयारी शुरू कर सकते हैं।
  • न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के लिए जोखिम पता चलना: स्पाइना बिफिडा और एनेस्थली जैसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट बच्चे में गंभीर विकलांगता का कारण बन सकते हैं। डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट इन डिफेक्ट्स के बढ़ते जोखिम की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, जिससे समय रहते देखभाल की तैयारी संभव हो सकती है।
  • चिंता कम होना: ये टेस्ट कराने के बाद अभिभावकों को बच्चे को होने वाली कुछ आनुवांशिक बीमारियों की चिंता से मुक्ति मिल जाती है। दूसरी ओर समय से पहले बीमारी के जोखिम का पता लगने से अभिभावक भावनात्मक रूप से मजबूत होकर आने वाले समय की तैयारी शुरू कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें : कुछ महिलाओं को गंभीर मॉर्निंग सिकनेस क्यों हो जाती है? डॉक्टर से जानें कारण

प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह के संभावित खतरे की पहचान होने के बाद, डॉक्टर रोग की पुष्टि होने के लिए डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट को करने से बच्चे के आनुवांशिक रोग होने के जोखिम का पता लगाय जा सकता है। 

Image Credit : FreePik

Read Next

प्रेग्नेंसी के दौरान क्या घर के कामकाज करने से नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है? जानें डॉक्टर की राय

Disclaimer