कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में कामकाज के नए चलन 'वर्क फ्रॉम होम' की शुरुआत हुई। महामारी के कारण पैदा हुई स्थितियों, इन्फेक्शन के खतरे और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम यानि की घर से काम करने की इजाजत अपने कर्मचारियों को दी। इस बात में कोई दो राय नही है कि वर्क फ्रॉम होम के कारण लोगों को तमाम फायदे हुए हैं। रिपोर्ट्स बताती है कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों की काम करने की क्षमता में कोई कमी नही देखी गयी है। घर से काम करने को लेकर आई तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों की काम करने के क्षमता और उनकी प्रोडक्टिविटी वर्क फ्रॉम होम के दौरान बढ़ गई है, गूगल और ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियों ने तो स्थाई रूप से वर्क फ्रॉम होम की अनुमति देने की सिफारिश भी की थी। लेकिन इस घर से काम करने की चलन ने वर्किंग वीमेन यानि कि कामकाजी महिलाओं के उपर बड़ा प्रभाव डाला है। वर्क फ्रॉम होम के कारण वर्किंग विमेंस के स्वास्थ्य पर किस प्रकार का असर हुआ है और महिलाएं अपनी कामकाज और निजी ज़िन्दगी को कैसे संतुलित रख सकती है इs मुद्दे को लेकर हमें बातचीत की दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के मेंटल हेल्थ और साइकाइट्री डिपार्टमेंट के सीनियर कन्सलटेंट डॉ संदीप वोहरा से, आइसे जानते हैं इस मुद्दे पर डॉ वोहरा ने क्या जरूरी जानकारी साझा की।
वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी महिलाओं पर असर (How work from home affect women health)
कामकाजी महिलाओं पर वर्क फ्रॉम होम या घर के करने का असर पुरुषों की तुलना में अधिक हुआ है। वर्क फ्रॉम होम से पहले महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियों को ख़त्म कर ऑफिस जाती थीं लेकिन वर्क फ्रॉम होम के दौरान महिलाओं को अपना काम और घर की जिम्मेदारियों दोनों के संभालने का बोझ एकसाथ हो गया। खासकर उन महिलाओं को जो परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां भी संभालती हैं उन्हें वर्क फ्रॉम होम में दोगुना कामकाज करना पड़ रहा है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान महिलाओं को घर से ऑफिस काम काम करना सबसे बड़ी चुनौती बनी जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अभी भी तमाम कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम जारी है ऐसे में कामकाजी महिलाओं की ज़िन्दगी और उनके स्वास्थ्य पर इसका असर भी बरकरार है। वर्क फ्रॉम होम की वजह से वर्किंग वीमेन के स्वास्थ्य पर प्रभाव के प्रमुख कारण ये हैं।
- घर और ऑफिस के कामकाज को संभालना
- बच्चों की देखभाल
- वर्क प्रेशर और ऑफिस टाइम का बढ़ जाना
- खुद के लिए समय न मिलना
- शारीरिक और मानसिक तनाव
इसे भी पढ़ें : वर्किंग वुमेन को फिट रखेगी ये 8 सीक्रेट टिप्स!
कामकाजी महिलाओं के स्वास्थ्य पर वर्क फ्रॉम होम का असर सबसे ज्यादा हुआ है। घर की जिम्मेदारी और ऑफिस के काम के प्रेशर की वजह से ऐसी महिलाओं में कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें देखने को मिली हैं।
- तनाव, चिंता
- अनिद्रा
- चिड़चिड़ापन
- पर्याप्त भोजन न लेने की वजह से समस्या
इसे भी पढ़ें : वर्किंग महिलाएं प्रेगनेंसी में न करें ये 5 गलतियां, डॉक्टर से जानें बेबी को हेल्दी रखने के लिए जरूरी टिप्स
कामकाजी महिलाएं कैसे मैनेज करें अपनी वर्क और फैमिली लाइफ (how working women can manage work life balance)
कामकाजी महिलाओं के लिए घर और ऑफिस के जीवन के बीच संतुलन बना पान एक बड़ी चुनौती माना जाता है। लेकिन इसकी वजह से होने वाली दिक्कतों को कम करने के लिए उन्हें अपनी जीवनशैली में अपने रोल को समझने की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। एक कामकाजी महिला जो परिवार, बच्चों और खुद की जिम्मेदारियों के साथ-साथ ऑफिस के टारगेट को पूरा करने की भरपूर कोशिश करती हैं उन्हें कई तरह के मानसिक तनावों से भी गुजरना पड़ता है। ऐसे में सबसे अहम यह होता है कि परिवार में अपनी जिम्मेदारियों को साझा करें, अपने रोल की प्राथमिकता को समझें और उसी हिसाब से काम करें। इन बातों को अपनाकर वर्किंग वीमेन अपनी सेहत का ख्याल रख सकती हैं।
- खुद की देखभाल करें
- पर्याप्त भोजन और नींद लें
- अपनी दिनचर्या को लचीला बनाएं
- प्राथमिकताओं को तय करके काम करें
- नियमित रूप से व्यायाम और मेडिटेशन करें
कामकाजी महिलाओं को वर्क फ्रॉम की वजह से होने वाली दिक्कतों से बचने के लिए इन बातों का पालन जरूर करना चाहिए। अपने स्वास्थ्य का उचित ख्याल रखते हुए आप वर्क लाइफ और निजी ज़िन्दगी के बीच समन्वय बना सकती हैं। किसी भी प्रकार की चिंता, तनाव या अनिद्रा जैसी समस्या होने पर चिकित्सक से जरूर संपर्क करें।
Read More Articles On Women's Health In Hindi