कोरोना वायरस संक्रमण के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके नए वैरिएंट ओमिक्रोन का संक्रमण भी देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुका है। लेकिन इन सबके बीच एक अच्छी खबर यह है कि वैज्ञानिकों ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की जांच करने के लिए देश में ही एक टेस्टिंग किट निर्मित की है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की जांच के लिए इस टेस्टिंग किट को मंजूरी दे दी है। ओमिक्रोन की जांच के लिए मंजूर स्वदेशी टेस्टिंग किट का नाम OmiSure है जिसे टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स द्वारा बनाया गया है। ओमीश्योर किट को 30 दिसंबर को मंजूरी मिली थी। अभी तक देश में जिस किट का इस्तेमाल कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का पता लगाने के लिए किया जा रहा है उसे अमेरिका स्थित कंपनी थर्मो फिशर द्वारा विकसित किया गया है।
टाटा की बनाई किट से होगी ओमिक्रोन की जांच (OmiSure Testing Kit To Detect Omicron)
देश में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की जांच के लिए अभी तक विदेशी टेस्टिंग किट का इस्तेमाल हो रहा था। लेकिन अब देश में ही टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स द्वारा बनाई गयी किट से इसकी जांच की जाएगी। मुंबई स्थित टाटा मेडिकल ने इस किट को देश में ही तैयार किया है। आईसीएमआर की तरफ से इस किट के इस्तेमाल की मंजूरी दिसंबर में 30 तारीख को दे दी गयी थी जिसके बाद इसकी जानकारी अब सामने आई है। ये किट एस-जीन टारगेट फेलियर (एसजीटीएफ) स्ट्रेटर्जी से मरीज में ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण है या नहीं है इसका पता लगाएगी। इस किट के निर्माण के बाद मंजूरी मिलने से पहले इसके कई परीक्षण किये गए हैं जिसमें इसके परिणाम सही निकलने पर इसके इस्तेमाल की मंजूरी आईसीएमआर की तरफ से दी गयी है। टाटा मेडिकल की तरफ से निर्मित इस स्वदेशी किट को टाटा एमडी चेक आरटी-पीसीआर ओमिश्योर नाम दिया गया है।
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कैसे काम करती है ये किट? (Tata OmiSure Omicron Testing Kit)
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए टाटा मेडिकल द्वारा निर्मित पहली स्वदेशी टेस्टिंग किट लोगों में ओमिक्रोन की जांच के लिए इस्तेमाल की जाएगी। 'एस' जीन, ओआरएफ, 'एन' जीन, आरडीआरपी, 'ई' जीन आदि वायरल जीन हैं जो कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए जांच में प्रयुक्त होते हैं। नागपुर स्थित सीएसआईआर-नीरी के वैज्ञानिक कृष्णा खैरना के मुताबिक यह किट एस' जीन लक्ष्य विफलता (एसजीटीएफ) सकारात्मक मामलों की जांच करने के लिए प्रयोग की जाएगी। इस किट से ओमिक्रोन संक्रमण की जांच के लिए वही तरीका इस्तेमाल किया जायेगा जो इससे पहले कोरोना की जांच के लिए अपनाया जाता था। इस टेस्टिंग किट से भी जांच के आरटी पीसीआर की तरह से नाक या गले से सैंपल लिए जायेंगे जिसके बाद ओमिश्योर किट के माध्यम से 10 से 15 मिनट के भीतर इसकी रिपोर्ट सामने आ जाएगी।
अभी तक देश में अमेरिकी किट का हो रहा था इस्तेमाल (Thermo Fisher Covid Testing Kit)
टाटा मेडिकल द्वारा निर्मित जांच किट को मंजूरी मिलने से पहले देश में ओमिक्रोन की जांच के लिए अमेरिकी कंपनी थर्मो फिशर की टेस्टिंग किट का इस्तेमाल किया जाता था। अमेरिकी टेस्टिंग किट में ओमिक्रोन वैरिएंट की जांच के लिए S Gene Target Failure (SGTF) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन में 30 से अधिक म्यूटेशन होने के कारण थर्मो फिशर की किट में कई बार S जीन को डिटेक्ट कर पाना मुश्किल हो रहा था। जिसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस नयी किट को बनाने के लिए तकनीक को डेवलप किया। आईसीएमआर ने SARS-CoV-2 Omicron का पता लगाने के लिए तकनीक डेवलप करने के बाद देशभर में कई कंपनियों से इस टेस्टिंग किट के निर्माण के लिए निविदा मांगी थी।
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गौरतलब है कि इस टेस्टिंग किट को टाटा मेडिकल द्वारा निर्मित किया गया है लेकिन इसकी ओनरशिप आईसीएमआर के पास ही रहने वाली है। आईसीएमआर ने ही इस किट की तकनीक डेवलप की ही और इस किट के निर्माण का अनुबंध टाटा मेडिकल को दिया गया था। इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स को मंजूरी मिली है। इससे पहले टाटा मेडिकल द्वारा कोरोना काल के दौरान पीपीई किट और टेस्टिंग किट का निर्माण किया जा चुका है। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जब देश में ऑक्सीजन की कमी हुई थी तब भी टाटा ग्रुप की कई कंपनियों की तरफ से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति देशभर में की गयी थी।
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