Yoga For Hyperthyroidism : कुछ दिनों में दूर होगी हाइपरथायरायडिज्‍म की शिकायत बस कर लें ये 3 योगासन, होंगे फिट

Yoga For Hyperthyroidism : हाइपरथायरायडिज्म के लिए आपको अपने थायरॉयड फंक्शन और हार्मोन लेवल की नियमित रूप से जांच जरूरी है। इसके साथ ही आप नियमित रूप से कुछ योगासन कर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। 
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Yoga For Hyperthyroidism : कुछ दिनों में दूर होगी हाइपरथायरायडिज्‍म की शिकायत बस कर लें ये 3 योगासन, होंगे फिट

हाइपरथायराइड एक ऐसी स्थिति है, जिसमें थायराइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण करने लगती है। हाइपरथायरायडिज्‍म में यह ग्रंथि ज्यादा प्रभावी होती है और थाइराइड हार्मोन (थाइरॉक्सिन) का उत्पादन ज्यादा करने लगती है।  हाइपरथायरायडिज्‍म की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को बहुत भूख लगती है लेकिन पर्याप्त भोजन करने के बाद भी वजन में गिरावट आ जाती है। हाइपरथायराडिज्म का सही समय पर इलाज नहीं कराने पर यह हृदय के लिए नुकसानदेह हो सकता है। हाइपरथायराइड में दवाओं के साथ-साथ योग करना भी फायदेमंद हो सकता है। योग के जरिए कई बीमारियों का निवारण किया जा सकता है जिसमें से हाइपरथायराइडिज्म भी एक है। हम आपको ऐसे 3 योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हाइपरथायरायडिज्‍म की स्थिति में आपकी मदद कर सकते हैं।


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ये 3 योगासन आपको हाइपरथायरायडिज्‍म से देंगे राहत

बाल आसन

सबसे पहले किसी समतल स्थान पर दरी बिछाकर पलथी लगाकर बैठें। फिर पैरों को मोड़कर ऐड़ियों पर बैठें और शरीर के ऊपरी भाग को जंघाओं पर टिकाएं। सिर को ज़मीन से लगाएं। अपने हाथों को सिर से लगाकर आगे की ओर सीधा रखें और हथेलियों को ज़मीन से लगाएं। इस अवस्था में 15 सेकेण्ड से 2 मिनट तक रहें। इस आसन से मेरूदंड और कमर में खिंचाव होता है। साथ ही इनमें मौजूद तनाव दूर होता है। इस योग का अभ्यास शरीर को आरामदेह स्थिति में लाने के लिए किया जा सकता है। पीठ की ओर झुककर किये जाने वाले योग मुद्राओं के बाद शरीर को संतुलन और रक्त संचार को सामान्य बनाने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या हो अथवा घुटनों में परेशानी हो उन्हें इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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शव-आसन

पीठ के बल सीधे लेट जाएं। इस अवस्था में पैर ज़मीन पर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। दोनों हाथों को शरीर से 6 से 8 इंच की दूरी पर फैलाकर रखें। इस स्थिति में हथेलियों को छत की दिशा में रखें। कंधे को ज़मीन से लगाएं और बांहों को कंधे से दूर ले जाएं। आंखों को धीरे- धीरे बंद करें और इस मुद्रा में 5 से 20 मिनट तक बने रहें।  थकान एवं मानसिक परेशानी की स्थिति में यह आसन शरीर और मन को नई उर्जा प्रदान करने वाला है। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी इस आसन का अभ्यास बहुत ही अच्छा होता है। योग अभ्यास के सबसे आखिर में इसका अभ्यास करना चाहिए जिससे शरीर रिलैक्स हो जाता है।

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नाड़ी शोधन

सबसे पहले सुखासन की अवस्था में बैठें। कमर को सीधा करें और आंखें बंद कर लें। अब नाक के दाहिने छिद्र को दाहिने हाथ के अंगूठे से बन्द करके बाएं छिद्र से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर नाक के बाएं छिद्र को बाकी अंगुलियों से बन्द करके नाक के दाएं छिद्र को खोलकर धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें। इसके बाद फिर नाक के दाएं छिद्र से ही गहरी सांस लें और नाक के दाएं छिद्र को बन्द करके बाएं छिद्र से सांस को बाहर छोड़ें। इस तरह दाएं से सांस लेकर बाएं से छोड़ें और फिर बाएं से सांस लेकर दाएं से छोड़ें। इस तरह नाड़ी शोधन का एक चक्र पूरा होता है। इससे सभी प्रकार की नाड़ियों को स्वस्थ लाभ मिलता है साथ ही नेत्र ज्योति बढ़ती है और रक्त संचालन सही रहता है। अनिद्रा रोग में लाभ मिलता है। यह तनाव घटाकर मस्तिष्क को शांत रखता है तथा व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है।

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