हम रोज बहुत से बिना बहुत ज्यादा दिमाग लगाने वाले काम करते हैं, मसलन सुबह उठकर दांत साफ करना, चाय पीना, अखबार पढ़ना आदि। दरअसल नियमित इस कामों को करने से हमें इन्हें करने की आदत पड़ जाती है इनमें ज्यादा दिमाग नहीं लगना पड़ता। इस तरह इन कामों से जुड़ी बातें हमारे दिमाग के सर्वर में ठीक से फीड हो जाती हैं। कई बार कुछ काम तो ऐसे होते हैं जिन्हें हम बिना आंखें खोले भी कर सकते हैं, जैसे सांस लेना, पानी पीना, आदि। ये हमारे दिमाग में तंत्रिकाओं के सर्वर की वजह से होता है। चलिये विस्तार से जानें खबर -
नए कामों को करने के लिए तथा नई आदतों को डालने में दिमाग को मेहनत करनी पड़ती है। रोज़ाना अभ्यास से दिमाग इन नई चीज़ों की आदत डाल लेता हैं। वैज्ञानिकों ने हमारे दिमाग के काम करने की क्रिया को दो हिस्सों में बांटा है, जागृत/चेतन दिमाग (कॉन्शस माइंड) और अवचेतन मन (सबकॉन्शस माइंड)। रोज़ाना किये जाने वाले काम हमारे अवचेतन मन में ठीक से बैठ जाते हैं। वहीं किसी भी नए काम को करने के लिए हमारे चेतन दिमाग को मशक्कत करनी पड़ती है। दुनिया भर में अनेक वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश में लगे हैं कि अवचेतन दिमाग से काम करने की अहमियत हमारे लिए क्या है? और हम इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा कैसे उठा सकते हैं?
मानव के दिमाग के संबंध में शोध और जांच आदि करने वाले विशेषज्ञ अब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे दिमाग का एक बड़ा हिस्सा अवचेतन या सबकॉन्शस रहता है। मसलन हमारे दिमाग के इस सर्वर में वो चीज़ें रहती हैं जो हम बाआदत करते हैं। और कॉन्शस माइंड शेष बचा बहुत छोटा हिस्सा ही होता है।
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