ग्लूकोमा (काला मोतिया) भी बन सकता है लोगों में अंधेपन का कारण, जानें उपचार के ये 2 तरीके

यूं तो ग्लूकोमा का कोई स्थाई उपचार नहीं है, लेकिन हर्बल दवा और लेजर के जरिए इसे नियंत्रित और उपचारित किया जा सकता है।
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ग्लूकोमा (काला मोतिया) भी बन सकता है लोगों में अंधेपन का कारण, जानें उपचार के ये 2 तरीके


हमारे देश और पूरी दुनिया में अंधापन एक बड़ी समस्या है। इसके कई कारण हैं पर उसमें से एक बड़ा कारण है 'काला मोतिया' अर्थात ग्लूकोमा है। इसलिए समय रहते ग्लूकोमा का इलाज करा लेना बहुत जरूरी है।आंखों में होने वाली ग्लूकोमा जैसी खतरनाक बीमारी के स्थायी निदान के लिए चिकित्सकों के प्रयास अभी जारी हैं। इसके लिए स्वास्थ संस्थाएं शोध करती भी रहती हैं। शोधकर्ता उस जीन का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं, जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। भारत में नेत्र चिकित्सकों ने लगभग 200 मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह यह आनुवांशिक बीमारी है और उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी थी। डॉक्टर बताते हैं कि यदि उस जीन का पता लगा लिया जाए जिसकी वजह से ग्लूकोमा हुआ है, तो पीड़ित की आंखों की रौशनी बचाई या वापस लायी जा सकती है।

क्या है ग्लूकोमा ?

दरअसल बढ़ती उम्र में आंख पर प्रेशर के बढ़ने से आंखों की ऑप्टिक नर्व (आंखों से दिमाग को सिग्नल भेजने वाली नर्व) डैमेज हो जाती है। इसके कारण आंख के महीन छेद (फिल्टर) से बाहर निकलते हैं। उम्र के साथ यह छेद बॉल्क होने शुरू हो जाते हैं। जिससे आंखों की रोशनी खत्म होने लगती है।  इलके दो प्रकार होते हैं-

ओपेन एंगल ग्लूकोमा- यह धीरे-धीरे बढ़ता है। जब आंख पर बढ़े प्रेशर से ऑप्टिक नर्व खराब हो जाती है तो उसे ओपेन एंगल ग्लूकोमा कहते हैं। 

एंगल क्लोजर ग्लूकोमा- यह ओपेन एंगल ग्लूकोमा से कम खतरनाक है और इसका इलाज उपलब्ध है। इसमें मरीज को अचानक अटैक पड़ता है और नजर कमजोर हो जाती है।

ग्लूकोमा का इलाज ?

सबसे पहले ग्लूकोमा के कारणों और इसके इलाज के बारे में बात करें उससे पहले हमें समझना होगा कि आंख की रचना क्या है और यह कैसे काम करती है। दरअसल आंख में मौजूद कॉर्निया के पीछे आंखों को सही आकार और पोषण देने वाला तरल पदार्थ होता है, जिसे एक्वेस ह्यूमर कहा जाता है। और लेंस के चारों ओर स्थित सीलियरी टिश्यू इस तरल पदार्थ को बनाते रहते हैं। और यह द्रव पुतलियों के माध्यम से आंख के भीतरी हिस्से में जाता है। इस तरह से आंखों में एक्वेस ह्यूमर का बनना और बहना लगातार जारी रहता है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए इस प्रक्रिया का होना जरूरी होता है।

आंखों के अंदरूनी हिस्से में कितना दबाव रहे यह तरल पदार्थ की मात्रा पर निर्भर रहता है। लेकिन ग्लूकोमा हो जाता है तो आंखों में इस तरल पदार्थ का दबाव बहुत ज्यादो हो जाता है। यहां तक कि कभी-कभी आंखों की बहाव नलिकाएं भी रुक जाती हैं, लेकिन सीलियरी ऊतक फिर भी इसे लगातार बनाते ही रहते हैं। ऐसी स्थिति में जब आंखों में ऑप्टिक नर्व के ऊपर तरल का दबाव अचानक अधिक हो जाता है तो ग्लूकोमा बन जाता है। यदि आंखों में तरल का यह अधिक दबाव लंबे समय तक बना रहे तो आंखों की ऑप्टिक नर्व बरबाद हो सकती हैं। यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो इससे एंधापन हो सकता है।

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ग्लूकोमा का लेजर उपचार-

ग्लूकोमा का उपचार पूरी तरह से उसकी स्थिति और प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर इसके उपचार में लगातार दवाइयां लेनी पड़ती हैं। ज्यादातर मरीजों का ग्लूकोमा दवाइयों से नियंत्रण में आ जाता है। लेकिन एक स्थित ऐसी भी आती है, जब दवाएं बेअसर होने लगती हैं और फिर ऐसे में लेजर सर्जरी करनी पड़ती है। हालांकि इसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कर चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती। इसकी सर्जरी के दौरान आंखों को थोड़ी देर के लिए सुन्न किया जाता है और फिर लेजर से इलाज किया जाता है।

आंखों में होने वाली ग्लूकोमा जैसी खतरनाक बीमारी के स्थायी निदान के लिए चिकित्सकों के प्रयास अभी जारी हैं। इसके लिए स्वास्थ संस्थाएं शोध करती भी रहती हैं। शोधकर्ता उस जीन का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं, जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। भारत में नेत्र चिकित्सकों ने लगभग 200 मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह यह आनुवांशिक बीमारी है और उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी थी। डॉक्टर बताते हैं कि यदि उस जीन का पता लगा लिया जाए जिसकी वजह से ग्लूकोमा हुआ है, तो पीड़ित की आंखों की रौशनी बचाई या वापस लायी जा सकती है।

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ग्लूकोमा के उपचार के लिए हर्बल दवा-

हाल ही में ग्लूकोमा के इलाज के लिए एक हर्बल दवा को बनाया गया है। इस दवा में एंटी ऑक्सिडेंट, ऑक्सिजन और न्यूरो प्रोटेक्शन वाले औषधीय पौधों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें तुलसी, एलोवेरा, आंवला और जड़माला जैसे आठ हर्बल प्लांट शामिल होते हैं। बाजार में मौजूद ग्लूकोमा के इलाज की एलोपैथी के जो भी आई ड्रॉप इस्तेमाल होते हैं, वे काफी महंगे हैं और साथ ही इसके कुछ साइड इफेक्ट भी देखे जाते हैं। इस हर्बल दवा में आंखों में ऑक्सिजन सप्लाई सामान्य करने के साथ-साथ  विजन का प्रेशर कम करके ग्लूकोमा ठीक करने व मोतियाबिंद डिजॉल्व करने के गुण भी होते हैं। इसके अलावा, इसमें न्यूरो प्रोटेक्शन तत्व भी हैं, जिससे दवा के इस्तेमाल से किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता। इस लिहाज से यह हर्बल दवा ग्लूकामा के इलाज के लिए अच्छा विकल्प है। हालांकि यह उपचार अभी आरंभिक दौर में है, तो इसके प्रभावों को छीक से समझने में अभी समय लगेगा।

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