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थाइमस ग्रंथि कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? डॉक्टर से जानें

सीने में दर्द और सांस लेने में समस्या होना थाइमोमा या थाइमिक कार्सिनोमा का संकेत हो सकता है। आगे जातने हैं कि थाइमस ग्लैंड में कैंसर क्यों होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
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थाइमस ग्रंथि कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? डॉक्टर से जानें


कैंसर एक गंभीर रोग है। कई बार व्यक्ति कुछ लक्षणों को सामान्य बीमारी का संकेत समझकर नजरअंदाज कर जाते हैं। लेकिन, यह लक्षण कुछ समय के बाद कैंसर के रुप में सामने आते हैं। ठीक इसी तरह का थाइमस ग्लैंड का कैंसर होने पर व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, लगातार कफ बने रहना और खाने को निगलने में परेशानी हो सकती है। थाइमस ग्लैंड सीने के पीछे और किडनी के ठीक ऊपर स्थित एक ग्रंथि होती है। वैसे तो इसे एक दुर्लभ कैंसर माना जाता है, लेकिन यह किसी को भी हो सकता है। थाइमस ग्लैंड ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो संक्रमण को दूर करने में मदद करती हैं। यह सेल्स (कोशिकाएं) टी-लिम्फोसाइट्स इंंफेक्शन को दूर करने में मदद करते हैं। आपके थाइमस में दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जिसमें एपिथिलियल सेल्स (Epithelial Cells) और लिम्फोसाइट्स (lymphocytes) होती है। जब इनमें से कोई एक या दोनों असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो इससे थाइमिक कैंसर हो सकता है। 

  • अबनॉर्मल एपिथिलियल सेल्स में वृद्धि थाइमोमा और थाइमिक कार्सिनोमा की वजह बन सकती हैं। 
  • अबनॉर्मल लिम्फोसाइट वृद्धि हॉजकिन या गैर-हॉजकिन लिंफोमा की वजह बनती हैं।

थाइमस कैंसर की शुरुआत थाइमस ट्यूमर से हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार थाइमस कैंसर के करीब 90 प्रतिशत मामले में थाइमस ग्लैंड के ट्यूमर (Thymus Gland Tumor) से शुरू होते हैं। इस लेख में फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के जनरल एंड मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के विभाध्यक्ष और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अर्जुन गोयल से जानते हैं कि थाइमस ग्लैंड कैंसर का कारण बनने वाले ट्यूमर का इलाज कैसे किया जाता है। 

थाइमस ग्लैंड के कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? 

थाइमस ग्लैंड के कैंसर या ट्यूमर के इलाज में यदि कैंसर केवल थाइमस ग्लैंड तक सीमित होता है तो ऐसे में डॉ्कटर इस ग्लैंड को बाहर निकालने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर वीडियोथोरैकोस्कोपिक/VATS थाइमेक्टोमी (Videothoracoscopic /VATS Thymectomy) प्रक्रिया को चुन सकते हैं। इस प्रक्रिया में डॉक्टर ब्रेस्ट बोन में कट नहीं लगाते हैं। 

thymus cancer surgery

सर्जरी में सीने में तीन कट लगाए जाते हैं, इसके बाद इमेजिंग तकनीक के सहारे ट्यूमर या थाइमस को हार्ट, मुख्य नसों और लंग्स से सावधानीपूर्वक अलग किया। इसके बाद ट्यूमर को एक सर्जिकल बैग में रखा जाता है। इस तरह की सर्जरी में मरीज को कम दर्द होता है। साथ ही, दो घंटों के अंदर मरीज को होश में लाया जाता है। इस सर्जरी के बाद रिकवरी के समय को कम करने के लिए फिजियोथेरेपी की सलाह दी जा सकती है। 

VATS सर्जरी के क्या फायदे होते हैं? 

  • सर्जरी के बाद कम दर्द होना: छोटे चीरे लगाने से ऑपरेशन के बाद दर्द और परेशानी कम होती है।
  • अस्पताल में कम समय तक रहना: मरीज आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाते हैं और उन्हें अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है।
  • तेजी से रिकवरी: सामान्य गतिविधियों और काम पर जल्दी वापस लौटना।
  • कम से कम निशान: छोटे चीरे लगाने से निशान कम दिखाई देते हैं।
  • जटिलताओं का कम जोखिम: बड़े सर्जिकल घावों की अपेक्षा इस प्रक्रिया में संक्रमण और अन्य जटिलताओं का जोखिम कम होता है।

इसे भी पढे़ं: कैंसर के इलाज के दौरान कैसी होनी चाहिए मरीज की डाइट? जानें क्या खिलाएं और किन चीजों का करें परहेज

थाइमस ग्रंथि का कैंसर या ट्यूमर के लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को इन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। यह आगे चलकर गंभीर स्थिति का कारण बन सकती हैं। इसके लिए आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और डॉक्टर के बताए टेस्ट को समय रहते कराएं।

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