
दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में अनाज का भूसा जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण का बुरा असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ा है, जिसके चलते खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलटी अस्पताल के चिकित्सक एवं को-ऑर्डिनेटर- एमरजेन्सी डॉ शारंग सचदेव ने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है जिसका फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और यह सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।
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उन्होंने कहा कि प्रदूषित हवा उन लोगों को ओर ज्यादा प्रभावित कर रही है जो पहले से सांस की समस्याओं जैसे ब्रॉंकियल अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिस्ऑर्डर, इंटरस्टीशियल लंग डीजीज (फेफड़ों का रोग), सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं। इसके अलावा बुजुर्गो और कम प्रतिरक्षी क्षमता वाले लोगों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। मौजूदा स्थिति में सलाह दी जाती है कि जहां तक हो सके, प्रदूषित हवा के सम्पर्क में आने से बचें, वायू प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें।
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वायु प्रदूषण और स्मॉग से बचने के उपाए
- घर की भीतरी हवा की गुणवत्ता को नियन्त्रित रखें- दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। एयर प्यूरीफायर भी लगा सकते हैं।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें और अपने चेहरे को अच्छी गुणवत्ता के मास्क से ढकें। (नियमित समय अंतराल पर मास्क बदलें)
- घर के बाहर किए जाने वाले व्यायाम से बचें, इसके बजाए घर के अंदर योगा जैसे व्यायाम करें। अपने घर के आस-पास प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ लगाएं।
- इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए अदरक और तुलसी की चाय पीएं।
- अपने आहार में विटामिन सी, ओमेगा 3 और मैग्निशियम, हल्दी, गुड़, अखरोट आदि का सेवन करें।
IANS
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