
कई बार आपने लोगों को कहते सुना होगा कि आज सुबह मुझे बहुत तेज़ चक्कर आया और मैं गिरते-गिरते बचा, कई बार आंखों के सामने बिलकुल अंधेरा छा जाता है या चलते वक्त ऐसा लगता है कि कदमों पर मेरा नियंत्रण नहीं है...दरअसल ये आमतौर पर गला, आंख, कान, नर्वस सिस्टम या ब्रेन के किसी विशेष हिस्से में होने वाली गड़बड़ी की वजह से भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है। हालांकि, ब्लडप्रेशर का असामान्य ढंग से बढऩा या घटना, शरीर में पानी, सोडियम या हीमोग्लोबिन की कमी से भी चक्कर आने की समस्या देखने को मिलती है।
इसे भी पढ़ें: जब शरीर में दिखे ये 5 लक्षण तो कभी न करें नजरअंदाज
इन वजहों से होने वाली डिज़ीनेस को आसानी से दूर किया जा सकता है लेकिन वैसी स्थिति में ज्य़ादा मुश्किल आती है, जब ब्रेन के सेरिब्रल पार्ट में चोट लगने, नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी या कान में वायरल इन्फेक्शन की वजह से चक्कर आते हों। सामान्य स्थिति में सिर को हिलाने पर सिग्नल अंदरूनी कान तक पहुंचता है। अंदरूनी कान में संतुलन नियंत्रित करने वाला तंत्र लेब्रिन्थिन सिस्टम जानकारी को वेस्टिबुलर सिस्टम तक पहुंचाता है, जो संदेश को दोबारा ब्रेन के उस हिस्से तक पहुंचाता है, जहां से संतुलन, तालमेल और व्यक्ति के हावभाव नियंत्रित होते हैं। इस पूरे सिस्टम के किसी हिस्से में खराबी आने पर सिर के चकराने की समस्या पैदा होती है।
इसे भी पढ़ें: क्या आप भी परिवार से दूर रहने पर महसूस कर रहे हैं अकेलापन?
बीमारी की अवस्थाएं
बेहोशी : पानी की कमी, दिल की धड़कन में उतार-चढ़ाव, हाई ब्लडप्रेशर की अधिक दवाएं लेने व नर्वस सिस्टम के प्रभावित होने पर भी व्यक्ति को चक्कर आता है। ऐसी स्थिति में खड़े होने पर आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है और वह बहोश हो जाता है।
असंतुलन : अंदरूनी कान में गड़बड़ी, सेरेब्रल स्ट्रोक, अधिक मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन, पार्किंसन्स, दृष्टि में कमज़ोरी या सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस होने पर भी लोगों में चक्कर आने और लड़खड़ाने की समस्या होती है, जिससे कभी-कभी चलते समय लोग गिर जाते हैं।
वर्टिगो : यह एक गंभीर किस्म की स्थिति है। ऐसे में इतनी तेज़ चक्कर आता है कि इससे पीडि़त व्यक्ति चल-फिर नहीं पाता। ऐसे असंतुलन और चक्कर के दौरे कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक जारी रहते हैं। अंदरूनी कान या सेंट्रल नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी इसकी प्रमुख वजह है। यात्रा के दौरान होने वाली घबराहट, लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना, माइग्रेन या कान के अंदरूनी हिस्से में मौज़ूद फ्लूइड की मात्रा बढ़ जाने की वजह से भी लोगों को ऐसी समस्या हो सकती है। इसमें चक्कर के साथ वोमिटिंग भी हो सकती है।
बेचैनी : कई बार लोगों को बहुत ज्यादा घबराहट और बेचैनी महसूस होती है। ऐसे में किसी भी तरह लेटने या बैठने पर उन्हें आराम नहीं मिलता। पैनिक अटैक या ब्लडप्रेशर के बहुत ज्यादा बढऩे-घटने की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
वैसे तो किसी भी व्यक्ति को डिज़ीनेस हो सकती है लेकिन स्त्रियों में इसके लक्षण ज्यादा नज़र आते हैं क्योंकि उनके शरीर में हॉर्मोन संबंधी असंतुलन की समस्या अधिक होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान भी हॉर्मोन संबंधी उतार-चढ़ाव की वजह से कुछ स्त्रियों को चक्कर आते हैं। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियों के साइड इफेक्ट से भी कुछ स्त्रियों को डिज़ीनेस हो सकती है।
कैसे करें बचाव
सिर चकराने पर सबसे पहले स्थिति को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करें। चक्कर अकसर चलने-फिरने के दौरान आते हैं। अगर कभी ऐसा महसूस हो तो तुरंत बैठ जाएं। इससे शरीर को आराम मिलेगा और व्यक्ति गिरने से बच जाएगा। ऐसी स्थिति में जब चक्कर आना रुक जाए तो ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। अपनी शारीरिक अवस्था के बारे में सोचने के बजाय किसी दूसरे कार्य में ध्यान केंद्रित करें। इससे नर्वस सिस्टम को संतुलित होने का संकेत मिलता है और जल्द ही राहत महसूस होती है। कई बार घबराहट या किसी तरह के फोबिया की वजह से भी लोगों को चक्कर आता है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Mind Body In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version