Breast Cancer ke Baad Sujan Aane ke Karan: आजकल जिस तरह से ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखते हुए लगता है कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज समय पर कराना कितना जरूरी है। ब्रेस्ट कैंसर का इलाज समय पर होने के बाद भी महिलाओं को एक और चुनौती से जूझना पड़ता है। यह चुनौती है लिम्फेडेमा की यानी कि बांह या हाथ में सूजन आना। हालांकि इस सूजन में दर्द नहीं होता लेकिन बगल की लिम्फ नोड्स के सर्जिकल इलाज का यह साइड इफेक्ट होता है। हाथ या बांह की सूजन से ब्रेस्ट कैंसर के मरीज कैसे बच सकते हैं, इसे जानने के लिए हमने आर्ट ऑफ हीलिंग कैंसर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा (Dr. Mandeep Singh Malhotra, Oncologist, Art of Healing Cancer) से बात की। अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ (Breast Cancer Awareness Month) के तौर पर जाना जाता है, तो इस महीने की शुरुआत ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को लिम्फेडेमा से बचाव के तरीके बताने से बेहतर क्या हो सकती है। सबसे पहले जानते हैं कि लिम्फेडेमा क्या होता है?
लिम्फेडेमा क्या है?
डॉ. मनदीप कहते हैं कि लिम्फेडेमा शरीर के लिम्फेटिक सिस्टम से जुड़ी हुई दिक्कत है, जिसमें लिम्फ फ्लूड शरीर से सही तरीके से नहीं निकल पाता। इस वजह से हाथ या बांह में सूजन आ जाती है। दरअसल ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी करते समय लिम्फ नोड्स निकाल दिए जाते हैं और इस वजह से सर्जरी के बाद मरीज को यह दिक्कत महसूस होती है।
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ब्रेस्ट कैंसर मरीज बांह या हाथ की सूजन को कैसे कम करें?
डॉ. मनदीप ने हाथ या बांह की सूजन कम करने के कई तरीके बताए हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए सही सर्जरी का चुनाव
डॉ. मनदीप कहते हैं, “लिम्फेडेमा से बचने के लिए ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी से पहले सही प्रोसेस चुनने की जरूरत होती है। अगर मरीज को शुरुआती स्टेज पर ही ब्रेस्ट कैंसर है और उसके लिम्फ नोड्स में कैंसर नहीं फैला है। इसके साथ ही कीमोथेरेपी के बाद ट्यूमर अच्छी तरह से घट चुका है, तो ऐसे मरीजों को सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी (Sentinel Lymph Node Biopsy) की सलाह दी जाती है। अगर यह बायोप्सी नेगेटिव है, तो कम्प्लीट एक्सिलरी डिसेक्शन (Axillary Dissection) की जरूरत नहीं पड़ती। Axillary Dissection का मतलब है बगल के लिम्फ नोड्स निकालना। अगर मरीज का सही सर्जिकल प्रोसेस चुना जाए, तो लिम्फेडेमा का रिस्क 60% से भी ज्यादा कम किया जा सकता है।”
सर्जिकल प्रोसेस के बारे में बात करते हुए डॉ. मनदीप कहते हैं कि सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी की बजाय बिना वजह एक्सिलरी डिसेक्शन करना कोई सही बात नहीं है। आमतौर पर सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी न करने की वजह दो ही होती है, पहली या तो सर्जिकल टीम के पास स्किल नहीं है या फिर अस्पताल के इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है।
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद रिहैब एक्सरसाइज करना
डॉ. मनदीप कहते हैं, ”ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी के बाद का रिहैब एक्सरसाइज उतनी ही जरूरी है जितनी कि सर्जरी। ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी के बाद, रिहैब एक्सरसाइज सर्जरी से रिकवरी होते ही शुरू कर देनी चाहिए। अगर हम सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी या ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी कर रहे हैं, तो हम तीन से चार दिनों के भीतर रिहैब एक्सरसाइज शुरू कर सकते हैं। एक्सरसाइज करने से सूजन और अकड़न का रिस्क कम हो जाता है।"
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ब्रेस्ट कैंसर का इलाज होने के बाद योग महत्वपूर्ण
डॉ. मनदीप मल्होत्रा कहते हैं कि योग के जरिए लिम्फेडेमा यानी कि बांह या हाथ की सूजन को रोका जा सकता है। लिम्फेडेमा को रोकने के लिए योग में कई ऐसे पोज है, जिससे लिम्फेटिक फ्लो बढ़ता है और इससे सूजन का रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है। जिन रोगियों की पेल्विक लिम्फ नोड डिसेक्शन या नेक डिसेक्शन हुई है, उनके लिए भी योग करना सबसे बेहतरीन उपाय है। जब भी मरीज योग शुरू करे, तो वह किसी अनुभवी एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही करें।
ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी के बाद लाइफस्टाइल में बदलाव करें
डॉ. मनदीप ने बताया है कि ब्रेस्ट कैंसर के बाद मरीजों को अपने लाइफ स्टाइल में भी बदलाव करने चाहिए।
- जिस साइड सर्जरी हुई है, उस बांह पर किसी तरह की चोट या इंफेक्शन से बचाएं।
- प्रभावित बांह से भारी सामान न उठाएं।
- फिजियोथेरेपिस्ट ने जो एक्सरसाइज बताई है, उसे रोजाना करें।
- पौष्टिक भोजन खाएं।
- स्मोकिंग या शराब बिल्कुल न लें।
निष्कर्ष
डॉ. मनदीप कहते हैं कि अगर मरीज का सही सर्जरी प्रोसेस रहे और सर्जरी के बाद मरीज कुछ बातों का ध्यान रखें तो बांह या हाथ में सूजन आने का रिस्क लगभग खत्म हो जाता है। इसके लिए मरीजों को जागरूक रहने की जरूरत है। उन्हें सर्जरी से पहले डॉक्टर से सर्जरी के प्रोसेस और इससे जुड़े रिस्क के बारे में बात करनी चाहिए और सर्जरी के बाद पॉजिटिव एट्टीयूड के साथ कसरत और फिजियोथेरेपी करानी चाहिए।
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Oct 02, 2025 06:00 IST
Published By : Aneesh Rawat