Ayurvedic Intermittent Fasting In Hindi: इंटरमिटेंट फास्टिंग का आयुर्वेदिक तरीका क्या और इसके फायदे, इस लेख में एक्सपर्ट से जानें..वजन घटाने के लिए इन दिनों लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग को काफी फॉलो कर कर रहे हैं। जिम जाने वाले बॉडी बिल्डर्स के बीच भी इंटरमिटेंट फास्टिंग काफी पोपुलर है। वैसे तो लोग कई तरह से इस फास्टिंग को फॉलो करते हैं, लेकिन इसमें जो सबसे अधिक पोपुलर है वह है 16 घंटे फास्टिंग और 8 घंटे भोजन करना है। हालांकि, ऐसा करना सभी लोगों के लिए मुमकिन नहीं हो पाता है। इसके अलावा, नियमित इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ लोगों के लिए काफी नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। अक्सर लोगों द्वारा एक सवाल काफी पूछा जाता है, क्या आयुर्वेद में भी इंटरमिटेंट फास्टिंग होती है? क्या पारंपरिक चिकित्सा में कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग का विकल्प मौजूद है, जिससे की बिना नुकसान के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके? इसका जवाब है हां।
आयुर्वेद के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई नई चीज नहीं है, फास्टिंग का यह तरीका प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। लेकिन आयुर्वेद में इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं कहा जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि फास्टिंग करना बहुत लाभकारी होता है और आयुर्वेद में इसका अपना एक अलग महत्व है। लेकिन आमतौर पर हम देखते हैं कि जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं, उन्हें अक्सर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर आयुर्वेदिक तरीके से फास्टिंग पूरी तरह से स्वस्थ होती है। आयुर्वेद में फास्टिंग किस तरह की जाती है, इसके बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. रेखा राधामोनी ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में विस्तार से बताया है। चलिए जानते इंटरमिटेंट फास्टिंग का आयुर्वेदिक तरीका।
मोडर्न इंटरमिटेंट फास्टिंग किन लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकती है
डॉ. रेखा के अनुसार, "नए जमाने की इंटरमिटेंट फास्टिंग डायबिटीज के रोगियों के लिए सुरक्षित नहीं होती है। इंसुलिन लेने वाले लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है" जैसे,
- जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या रहती है, खासकर वे महिलाएं जिनकी उम्र लगभग 40 के आसपास है और उन्हें 1-2 दिन के लिए ही पीरियड्स होते हैं।
- कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग
- अगर आपका वजन सामान्य से कम है
- ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताएं
- गर्भवती महिलाएं
- इन सभी मामलों में आप मोडर्न इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं कर सकते हैं। लेकिन आयुर्वेदिक फास्टिंग की मदद से आप बिना किसी नुकसान के फास्टिंग के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आयुर्वेद में इंटरमिटेंट फास्टिंग किस तरह की जाती है- Ayurvedic Way Of Intermittent Fasting In Hindi
रात का खाना जल्दी खा लें। आपको शाम 6 बजे से 6.30 के बीच अपना डिनर कर लेना चाहिए। अब आपको अगली सुबह ब्रेकफास्ट तक लगभग 8 से 9 बजे तक, पीना के अलावा कुछ भी खाना-पीना नहीं है। यह फास्टिंग का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका, जिससे आपकी सेहत कोई नुकसान नहीं पहंचता है, बल्कि कई लाभ मिलते हैं। यह आयुर्वेद का प्राचीन काल से चला आ रहा फास्टिंग का पारंपरिक तरीका है। मोडर्न इंटरमिटेंट फास्टिंग की बजाए, इस तरह से फास्टिंग करके देखें। यकीन मानिए आपको जबरदस्त लाभ मिलेंगे।
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एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं?
फिटनेस कोच, न्यूट्रिशनिस्ट और सप्लीमेंट स्पेशलिस्ट विनीत कुमार के अनुसार,"यह सही है कि आयुर्वेदिक फास्टिंग का यह तरीका अधिक सुरक्षित है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपनी दैनिक जरूरत के अनुसार भोजन नहीं करेंगे। फास्टिंग के दौरान आपको ब्रेकफास्ट से लंच के बीच में ही अपनी दैनिक कैलोरी और पोषण की जरूरत को पूरा करने का आवश्यकता होती है। अगर आप दैनिक पोषण की जरूरत को पूरा नहीं करते हैं, तो इससे आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए फास्टिंग के दौरान सुनिश्चित करें कि आपकी डाइट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स के साथ ही जरूरी विटामिन और मिनरल्स भी मौजूद हैं। इससे फास्टिंग के लाभ और भी अधिक बढ़ जाएंगे।
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