आज की प्रतियोगिता के दौर में महिलाएं पुरूषों की बराबरी में आने की कोशिश में अपनी सेहत के प्रति लापरवाही बरतती हैं। घर और कैरियर के बीच सामंजस्य बिठाते हुए भारतीय महिलाएं अपनी सेहत को पूरी तरह से नजरंदाज कर देती हैं। जिसका नतीजा होता है लाइफस्टाइल डिसॉर्डर जैसे रोग का होना। भारतीय महिलाएं इस रोग की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। लाइफस्टाइल डिसॉर्डर कई अन्य बीमारियों को भी बढ़ाता है।
क्या कहती है सर्वे
एसोचैम के सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी महिलाओं को कोई ना कोई लाइफस्टाइल डिसॉर्डर है। 42 फीसदी को पीठदर्द, बढ़ता मोटापा, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन की शिकायत है। दिल की बिमारी का जोखिम भी तेजी से बढ़ रहा है। हर 10 में से 6 महिलाओं को 35 साल की उम्र तक दिल की बिमारी होने का रिस्क है। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के चक्कर में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज करती है। सर्वे के मुताबिक 83 फीसदी महिलाएं किसी तरह का एक्सरसाइज नहीं करती, 48 फीसदी महिलाओं के खाने में फैट ज्यादा है और 57 फीसदी महिलाएं कम फल-सब्जी खाते हैं। हालांकि 0.5 फीसदी महिलाएं ही सिगरेट-बीड़ी पीती है, लेकिन अब ये नंबर भी तेजी से बढ़ रहा है। लाइफस्टाइल डिसोर्डर ही नहीं, स्त्रियों को होनेवाली बीमारियों में भी बढ़ोतरी हुई है। देश में महिलाओं में पॉलीसिस्टिस ओवेरिन सिंड्रोम या पीसीओएस की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। रिप्रोडक्टिव एज में हर 5वीं महिला को पीसीओएस का जोखिम है। पीसीओएस में ओवरीज ठीक से काम नहीं करती और हॉर्मोन का असंतुलन होता है, ये जेनेटिक होता है।
क्या होता है पीसीओएस
पीसीओएस से ग्रस्त होने की स्थिति में मरीज बार-बार बीमार पड़ता है। पीरियड नियमित समय पर नहीं आते। पीरियड के दौरान महिलाओं में बहुत ज्यादा खून आता है। मरीज का वजन बढ़ जाता है और उसके मुंह और पेट पर बाल आ जाते हैं। इससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समयस्या भी उत्पन्न हो जाती है। पीसीओएस जेनेटिक होने के साथ ही लाइफ स्टाइल तथा मोटापे से जुड़ी समस्या भी है। हम अपनी लाइफ स्टाइल बदल कर पीसीओएस से बच सकते हैं।
महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए और इससे बचने के लिए अपना वजन घटायें, तले भुने खाने से बचें, सेहतमंद खाना खायें और नियमित एक्सरसाइज करें।
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