क्या आपने कभी सोचा है कि आपके दिमाग को कैसे पता चलता है कि किसी ने आपको चिकोटी काटी है या कोई गंभीर चोट लगी है? या फिर आपके दिमाग को कैसे पता चलता है कि आप को दर्द हो रहा है? आपको जो भी एहसास या अनुभूति अपने शरीर में होती है, वो तंत्रिकाओं (नर्व्स) के जरिए होती हैं और इसके लिए शरीर में एक पूरा सिस्टम काम करता है, जिसे नर्वस सिस्टम कहा जाता है। इसी सिस्टम के जरिए आपके दिमाग तक किसी भी चोट या स्किन पर होने वाली फीलिंग के बारे में जानकारी पहुंचती है। आज हम नर्वस सिस्टम के बारे में ही जानकारी देंगे और आपको बताएंगे कि कैसे आपका नर्वस सिस्टम आपके ब्रेन यानी दिमाग तक जानकारी पहुंचाता है।
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क्या है नर्वस सिस्टम और यह क्या करता है?
नर्वस सिस्टम दो मुख्य तत्त्वों से मिल कर बना हुआ है और वह हैं ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड। इनके दोनों के मिलने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम बनता है। आपका मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी आपकी नर्व्स द्वारा सिग्नल प्राप्त करते हैं। यह दोनों अंग ही बड़े बड़े पैटर्न के सिग्नल आपकी बाजू, पैर और स्पाइनल गतिविधि नियंत्रित करने वाली मसल्स को सिग्नल भेजता है। आपकी रीढ़ की हड्डी लगातार आपकी मसल फ्लेक्सिबिलिटी, एंड्यूरेंस और स्ट्रेंथ द्वारा भेजे गए सेंसर प्राप्त करती है।
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दर्द को जानने में आपकी नर्व का क्या रोल होता है?
कुछ नर्व लाइट टच के सिग्नल भेजती हैं तो कुछ अधिक लगने वाले प्रेशर के। अलग अलग नर्व में अलग अलग प्रकार के केमिकल रिस्पॉन्स निकलते हैं जो अलग अलग स्थिति पर रिएक्ट करते हैं। तब आपको दर्द महसूस होता है। जब कोई चोट लगती है तो स्पेशल पेन रिसेप्टर एक्टिवेट हो जाते हैं।
आपको दर्द होने पर आपकी स्पाइनल कॉर्ड क्या भूमिका निभाती है?
आपकी स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी हुई नसें सारे सिग्नल दिमाग की ओर भेजती है और दिमाग से आपके शरीर की ओर पहुंचती है। दिमाग तक संदेश पहुंचाना और स्पाइनल कॉर्ड से लेकर चोटिल भाग तक संदेश को ले जाने वाले भाग को इन्फॉर्मेशन हब कहा जाता है। यह आपकी रीढ़ की हड्डी का वह भाग होती है जिसे डोर्सल हॉर्न कहा जाता है। यह डोर्सल हॉर्न ही सभी नसों को संदेश पहुंचाने में और एक रूट तैयार करने में मदद करता है।
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दर्द का पता लगाने में आपके दिमाग का क्या काम होता है?
दर्द का संकेत सबसे पहले आपके मस्तिष्क तक जाएगा और जब एक बार मस्तिष्क तक यह संदेश पहुंच जाता है तो इसे थेलेम्स तक जाना होता है। थेलम्स इस दर्द के संदेश को विभिन्न भागों तक पहुंचाता है। जहां वह भाग इस दर्द के बारे में पता लगाते है। आपको कई बार ऐसे दर्द का सामना भी करना पड़ता होगा जिसमें आपको इतना कष्ट होता है की आप रोने लग जाते हैं। यह दर्द लिंबिक सिस्टम की वजह से होता है। यह आपके दिमाग का इमोशनल भाग होता है जो थेल्म्स से ही सिग्नल प्राप्त करता हैं।
कई बार आपको थोड़े बहुत ऐसे दर्द होते होंगे जो कुछ ही समय में गायब हो जाते हैं। लेकिन अगर इन दर्द के दौरान आपका कोई टिश्यू डेमेज हो जाता है तो उस के कारण आपको गठिया आदि जैसी स्थिति हो जाती है। जिस के कारण यह दर्द क्रोनिक दर्द बन जाता है। यह दर्द एक दो दिन में ठीक नहीं होता है बल्कि काफी लंबे समय तक यह दर्द रहता है। इसलिए आपको इस दर्द को डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए ताकि यह अधिक गंभीर न हो सके।
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