तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर में अंगों का नियंत्रण व शरीर के वातावरण को संतुलित करता है। हमारे शरीर की गतिविधियों को चलाने का काम तंत्रिका तंत्र करता है। अगर तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाए तो इससे हमारे पूरे शरीर में कमजोरी आने लगती है। कमजोर तंत्रिका तंत्र के कारण शरीर में ऐंठन, टूटन, थकान आदि महसूस होने लगती है। जब हमारे दिमाग तक रक्त ठीक से नहीं पहुंच पाता है तब नर्वस सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाता। ऐसे में नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाने में योग आसन बहुत कारगर हैं। इनोसेंस योगा कि योग एक्सपर्ट भोली परिहार का कहना है कि योग करने से नर्वस सिस्टम को मजबूती मिलती है जिससे हमारा दिमाग और शरीर दोनों सही प्रकार से काम करते हैं। तो आइए योग एक्सपर्ट भोली परिहार से जानते हैं कि वे कौन से योगासन हैं जिन्हें करने से नर्वस सिस्टम मजबूत होता है।
सूर्यभेदी प्राणायाम (Suryabhedi Pranayam)
जैसा कि हम जानते हैं कि तंत्रिका तंत्र में हमारी नस-नाड़ियां जो अपना संचालन ठीक से नहीं कर पाती हैं, या उनमें कोई रुकावट आ जाती है तो उसको दूर करने का काम सूर्यभेदी प्राणायाम करता है। हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मददगार है। क्योंकि जब हम सूर्यभेदी करते हैं तो हमारे शरीर में रक्त संचार तेजी से बढ़ जाता है। जिसकी वजह से हमारे तंत्रिका तंत्र को सभी पोषक तत्त्व रक्त के द्वारा मिल जाते हैं। जैसे कि हम जानते हैं कि हमारे शरीर को खाने की आवश्यकता होती है और हम खाना खा लें तो हमें अच्छा महसूस होता है। वैसे ही जब हमारे तंत्रिका तंत्र को उसके पोषक पदार्थ सही मात्रा में मिल जाते हैं तो वह अपना काम ढंग से करने लग जाता है।
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सूर्यभेदी प्राणायाम करने का तरीका
- अपने दोनों पैरों को मोड़कर सुखासन में बैठ जाएं जिससे हम सामान्य भाषा में आलती-पालती मारकर बैठना भी कहते हैं।
- अपनी कमर, गर्दन को सीधा कर लें।
- अपने दोनों हाथों की तर्जनी, उंगली व अंगूठे की आगे वाले हिस्से को आपस में मिला लें। उसके बाद अपने दोनों आंखों को धीरे से बंद कर लें।
- कंधों को हल्का सा घुमाते हुए नीचे ले आएं। उसके बाद अपनी कोहनी को हल्का सा मोड़कर रखें।
- अपने सीधे हाथ को उठाते हुए अपनी तर्जनी व माध्यमिका को मोड़ते हुए अपने अंगूठे के निचले हिस्से पर लगा लें।
- उसके बाद अपने अंगूठे से अपनी सीधी नाक को बंद करेंगे। व हमारी अनामिका, रिंग फिंगर से हम अपनी उल्टी नाक को बंद करते हैं।
- अब अपनी सीधी नाक से सांस अंदर भरते हुए सीधी नाक को बंद कर लें। व धीरे-धीरे अपनी पूरी सांस को उल्टी नाक से बाहर जाने दें। उसके बाद इस क्रिया को दोबारा अनपाएं और सीधी नाक से सांस को अंदर भरें कुछ देर रुकें और बाहर छोड़ दें।
- इस क्रिया को 25-30 बार दोहराएं। व उसके बाद विश्राम करें।
सावधानी
जिन लोगों को हाई बीपी की दिक्कत है वे किसी की देखरेख में इस प्राणायाम को करें या न करें।
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अर्ध हलासन (Ardha Halasana)
अर्ध हलासन करने से हमारी हड्डियां, मांसपेशियां व तंत्रिकाएं अपना काम अच्छे से करने लगती हैं। हमारे शरीर की सभी तंत्रिकाएं हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ी हुई हैं। जब हम अर्ध हलासन करते हैं तो रक्त हमारे पैरों से होता हुआ तेजी से पेट की तरफ आता है और मस्तिष्क की तरफ जाता है, जिसकी वजह से हमारे तंत्रिका तंत्र को जिन चीजों की आवश्यकता है, जिन पोषक तत्वों, ऑक्सीजन आदि की आपूर्ति अर्ध हलासन कर देता है। अर्ध हलासन हमारे तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। यह आसन कमजोर मांसपेशियों को आराम देता है।
अर्ध हलासन करने की विधि
- पीठ के बल अपनी मैट पर लेट जाएं।
- अपने दोनों पैरों को, घुटनों को और जांघों को आपस में जोड़ लें। उसके बाद अपने दोनों हाथों को शरीर के अगल-बगल रख लें।
- हथेलियां नीचे की तरफ मोड़ दें। उंगलियों को फैला लें। जिससे आपको अच्छी पकड़ मिले।
- सांस भरते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे आसमान की ओर उठाते लाएं। अब आपके तलवे आसमान की तरफ रहेंगे और आपका शरीर कुछ अंग्रेजी के अक्षर एल की तरह बन जाएगी।
- दोनों पंजों को अपने शरीर की तरफ खींच लें। इसमें आपको यह ध्यान रहे कि आपकी कमर व पीठ जमीन से सटी रहेगी।
- इस आसन में 15-20 सैकेंड होल्ड करें व अपनी क्षमता अनुसार करें।
- जिन लोगों को कमर में दर्द की समस्या रहती है या उनका मोटापा बढ़ा है तो वह इस आसन को दीवार से सहारा लेते हुए करें। अर्थात आपके दोनों पैरों को दीवार से सटाकर रख लें। और आपके दोनों हिप्स दीवार से सटे रहेंगे। आपका सिर वाला हिस्सा दीवार से उल्टी दिशा में रहेगा।
- इस आसन में अपनी क्षमता अनुसार ही होल्ड करें। धीरे से वापस आएं। व कुछ देर विश्राम करें।
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बालासन (Child Pose)
बालासन में हमारे शरीर का ऊपरी हिस्सा नीचे की तरफ होता है जिसकी वजह से हमारी शरीर की सभी नस-नाड़ियां खुल जाती हैं। उनमें सही पोषण रक्त के द्वारा हमारे तंत्रिका तंत्र तक पहुंच जाता है, जिसकी वजह से हमारा तंत्रिका तंत्र अपने सभी कार्य जैसे शरीर का सही प्रकार से संचालन करना, शरीर की सभी गतिविधियों को कंट्रोल करना, शरीर का नियमन करना, शरीर के वातावरण को बैलैंस करना आदि कर पाता है। यह आसन हमारे तंत्रिका तंत्र तक के लिए अत्यंत उपयोगी है। बालासन महिलाओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
बालासन करने की विधि
- अपने दोनों पैरों को सामने की ओर खोलकर बैठ जाएं।
- अपने दोनों पंजों को आपस में सटा लें।
- अब अपने दोनों हाथों से बगल से सहारा लेते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर अपने हिप्स के पास ले आएं। व उसके बाद अपने लेफ्ट अंगूठे को सीधे अंगूठे के ऊपर रख लें।
- एड़ियां बाहर की तरफ मोड़ दें। अब जो आपके दोनों पंजों के बीच में जो अंतराल है उसमें अपने दोनों हिप्स को सैट कर लें।
- अब अपने दोनों घुटनों को सामने से बाहर खोल दें।
- सांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को सामने से आसमान की ओर उठाएं। धीरे से अपनी हथेलियों को मोड़कर सामने की तरफ कर दें।
- अब अपने शरीर में एक अच्छा सा खिंचाव दें व धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी कमर वाले हिस्से से अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे जमी की ओर ले जाएं।
- अपनी छाती या ठुड्डी को जमीन से लगा दें। यदि आप अपने माथे को लगा सकते हैं तो उसे भी लगा दें।
- दोनों हाथ सीधे जमीन पर ही रहेंगे। इस आसन में 25-30 सैकेंड होल्ड करें। यदि आप सहज महसूस कर रहे हैं तो 30-35 सैकेंड भी होल्ड कर सकते हैं।
- धीरे से अपने दोनों हाथों को आसमान की ओर उठाते हुए नीचे ले आएं। दोनों पैरों को खोल दें। व लेटकर अपने दोनों पैरों को अच्छे से हिला लें। जिससे अगर पैरों में यदि कोई प्रेशर आया है तो वह सामान्य हो जाए।
सावधानी
जिन लोगों को घुटने की समस्या है, एंकल इंजरी है व पैर में कहीं चोट लगी हुई है तब आप इस आसन को न करें।
कमजोर तंत्रिका तंत्र शरीर में बीमारियों को बढ़ता है। इसे मजबूत बनाने में योग बहुत लाभदायक है। नियमित तौर पर योग का अभ्यास तंत्रिका तंत्र के लिए उपयोगी है।
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