करें ये 2 आसान काम, सिर दर्द और डिप्रेशन से मिलेगा छुटकारा

कई बार आपने लोगों को कहते सुना होगा कि आज सुबह मुझे बहुत तेज़ चक्कर आया और मैं गिरते-गिरते बचा।
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करें ये 2 आसान काम, सिर दर्द और डिप्रेशन से मिलेगा छुटकारा


कई बार आपने लोगों को कहते सुना होगा कि आज सुबह मुझे बहुत तेज़ चक्कर आया और मैं गिरते-गिरते बचा, कई बार आंखों के सामने बिलकुल अंधेरा छा जाता है या चलते वक्त ऐसा लगता है कि कदमों पर नियंत्रण नहीं है। दरअसल ये लक्षण हमें इस बात के प्रति आगाह करते हैं कि हमारे शरीर की, खासतौर पर ब्रेन और नर्वस सिस्टम की स्वाभाविक क्रियाओं में कोई न कोई गड़बड़ी है। इसलिए चक्कर आने पर बिना देर किए डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

क्यों होता है ऐसा

आमतौर पर गला, आंख, कान, नर्वस सिस्टम या ब्रेन के किसी विशेष हिस्से में होने वाली गड़बड़ी की वजह से भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है। हालांकि, ब्लडप्रेशर का असामान्य ढंग से बढऩा या घटना, शरीर में पानी, सोडियम या हीमोग्लोबिन की कमी से भी चक्कर आने की समस्या देखने को मिलती है। इन वजहों से होने वाली डिजीनेस को आसानी से दूर किया जा सकता है लेकिन वैसी स्थिति में ज्य़ादा मुश्किल आती है, जब ब्रेन के सेरिब्रल पार्ट में चोट लगने, नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी या कान में वायरल इन्फेक्शन की वजह से चक्कर आते हो। 

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सामान्य स्थिति में सिर को हिलाने पर सिग्नल अंदरूनी कान तक पहुंचता है। अंदरूनी कान में संतुलन नियंत्रित करने वाला तंत्र लेब्रिन्थिन सिस्टम जानकारी को वेस्टिबुलर सिस्टम तक पहुंचाता है, जो संदेश को दोबारा ब्रेन के उस हिस्से तक पहुंचाता है, जहां से संतुलन, तालमेल और व्यक्ति के हावभाव नियंत्रित होते हैं। इस पूरे सिस्टम के किसी हिस्से में खराबी आने पर सिर के चकराने की समस्या पैदा होती है। 

क्या है उपचार

ऐसे में मरीज़ की स्थिति के अनुसार गले और कान-नाक के एक्स-रे या एमआरआई के अलावा हॉर्मोन और हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। जांच के माध्यम से चक्कर आने के सही कारणों की पहचान करने के बाद ही उपचार शुरू किया जाता है। ऐसे में मरीज़ का सहयोग बहुत अहमियत रखता है क्योंकि उसके द्वारा बताए गए लक्षणों की मदद से डॉक्टर समस्या के कारणों को पहचान पाते हैं। सभी मामलों में दवाओं या सर्जरी की ज़रूरत नहीं होती है।

कैसे करें बचाव

सिर चकराने पर सबसे पहले स्थिति को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करें। चक्कर अक्सर चलने-फिरने के दौरान आते हैं। अगर कभी ऐसा महसूस हो तो तुरंत बैठ जाएं। इससे शरीर को आराम मिलेगा और व्यक्ति गिरने से बच जाएगा। ऐसी स्थिति में जब चक्कर आना रुक जाए तो ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। कई बार घबराहट या किसी तरह के फोबिया की वजह से भी लोगों को चक्कर आता है। ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे और गहरी सांस लेने का प्रयास करें। अनिद्रा या असमय सोने-जागने की आदत भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार है।

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