How Is Heart Failure Diagnosed In Hindi : हमारे खानपान की गलत आदतों और शारीरिक कार्यों में कमी के चलते सेहत पर कई तरह से नुकसान होता है। ऑफिस में एक जगह पर घंटों बैठकर काम करने की वजह से अधिकतर लोग मोटापे का शिकार होने लगे हैं। इसके साथ ही जंक फूड शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जिसकी वजह से नसों में प्लाक जमने का जोखिम बढ़ जाता है। नसों में प्लाक जमने की वजह से ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से नहीं होता पाया है और आपके हार्ट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हार्ट पर दबाव की वजह से आपको हार्ट संबंधी समस्याएं जैसे हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन, यदि आप नियमित रूप से हार्ट की जांच कराएं, तो समय रहते कई बीमारियों के खतरे को दूर किया जा सकता है। इस बारे में हमने नई दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. चंद्रशेखर से बात कि तो उन्होंने हार्ट से जुड़े कुछ टेस्ट के बारे में विस्तार से बताया।
हार्ट फेलियर का पता लगाने के लिए जरूरी टेस्ट - How is Heart Failure Diagnosed in Hindi
शारीरिक परिक्षण
हार्ट फेलियर के जांच के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज के पारिवारिक मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं। इसके साथ ही, डॉक्टर मरीज की हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर और सांस की जांच करते हैं। यदि किसी मरीज के परिवार में पहले किसी को हार्ट संबंधी रोग होता है, तो ऐसे में मरीज को भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
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ईसीजी (ECG-इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम)
हार्ट के इलेक्ट्रॉनिक फंक्शन को रिकॉर्ड करने के लिए ईसीजी की मदद ली जाती है। ईसीजी के दौरान, छोटे इलेक्ट्रोड आपकी छाती, बाहों और पैरों से जुड़े होते हैं और मशीन आपके धड़कनों को रिकॉर्ड करती है। इससे हार्ट बीट के रेट और उसकी असामानताओं की पहचान की जाती है।
छाती का एक्स-रे
इसे टेस्ट में मरीज के फेफड़ों और सीने के अंदुरुनी हिस्से का चित्र लिया जाता है। इससे आपके हार्ट और लंग्स की समस्या की पहचान करने में मदद मिलती है।
ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट का उपयोग हार्ट के कार्य और उससे जुड़ी अन्य मेडिकल कंडीशन को पहचानने के लिए किया जाता है। इसमें ब्लड काउंट, इलेक्ट्रोलाइट स्तर और थायराइड फंक्शन का भी टेस्ट किया जाता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इकोकार्डियोग्राम में ध्वनि तरंगों की मदद से हार्ट इमेज बनाई जाती है। इसमें हार्ट रेट की जांच की जाती है। इससे डॉक्टर को मरीज के हार्ट फंक्शन के बारे में सही जानकारी मिलती है। इस रिपोर्ट से डॉक्टर को पता चलता है कि व्यक्ति का हार्ट किसी तरह से रक्त को पंप कर रहा है।
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स्ट्रेस टेस्ट (Stress Test)
इसमें मरीज को टेड्रमिल पर चलाकर हृदय गति की जांच की जाती है। इस रिपोर्ट से व्यक्ति के हार्ट फंक्शन की सही गतिविधि की पहचान होती है।
हार्ट से जुड़ी बीमारियों की सही समय पर पहचान करने से मरीज को कई बड़े खतरों से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही, हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर के जोखिम को कम किया जा सकता है।