
डेंगू इन दिनों देश के कई हिस्सों में तेजी से फैल रहा है। कई राज्यों में हर दिन सैकड़ों की संख्या में डेंगू के नए मरीज सामने आ रहे हैं। डेंगू मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है, जिसके मामले बारिश के मौसम में हमेशा ही बढ़ जाते हैं। इसका कारण यह है कि बारिश के कारण जगह-जगह पानी भरने से मच्छरों को प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण मिल जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि धरती पर मच्छरों की 3,500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं और इनमें से सिर्फ एक ही प्रजाति है, जो डेंगू, मलेरिया, जीका और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलाती है।
कौन सा मच्छर मलेरिया और डेंगू फैलाता है? (Which Mosquito Causes Dengue And Malaria?)
Centers For Disease Control And Prevention (CDC) के अनुसार डेंगू का वायरस एडीज प्रजाति के दो मच्छर; एजिप्टी (Aegypti) और एल्बोपिक्टस (Albopictus) फैलाते हैं। मजेदार बात यह है कि ये दोनों ही मच्छर मादा हैं, यानी डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियां सिर्फ मादा मच्छरों के काटने से ही फैलती है। दरअसल नर मच्छर फूलों का सार चूसकर अपना पेट भर लेते हैं, लेकिन मादा मच्छरों को पेट भरने के साथ-साथ प्रजनन भी करना होता है। प्रजनन के लिए अंडे बनाने की प्रक्रिया में उन्हें प्रोटीन की जरूरत पड़ती है, जो उन्हें अन्य जीवों के खून से मिल सकता है। यही कारण है कि जानवरों और इंसानों को काटने वाले सारे मच्छर दरअसल मादा मच्छर ही होती हैं।
डेंगू को वैसे तो बहुत खतरनाक इंफेक्शन नहीं माना जाता है, मगर यदि संक्रमित व्यक्ति को सही समय से इलाज न मिले या उसे पहले से कोई ऐसी बीमारी हो, जिससे उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो, तो ये इंफेक्शन मरीज की जान भी ले सकता है। अब सवाल उठता है कि सामान्य कीट-पतंगों जैसे दिखने वाले ये छोटे-छोटे मच्छर डेंगू जैसी बीमारी फैलाते कैसे हैं और इन मच्छरों के काटने पर शरीर में डेंगू वायरस कैसे फैलता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने बात की सिद्धार्थ नगर के जिला अस्पताल के डॉ. राम आशीष यादव से।
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मच्छर काटने के बाद डेंगू कैसे फैलता है? (How Does Dengue Virus Spread in Body?)
डॉ आशीष ने हमें बताया कि, "ऐसे मच्छर जिनके अंदर डेंगू के वायरस मौजूद हैं, जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को खून चूसने के लिए काटते हैं, तो उसके खून में डेंगू के वायरस छोड़ देते हैं। खून में मौजूद यह वायरस किसी सेल (कोशिका) से जाकर जुड़ जाता है। इसके बाद सेल के आसपास मौजूद मेंब्रेन वायरस को ढककर एक खोल जैसा बना लेता है। इस खोल को एंडोसोम (Endosome) कहा जाता है। यहां यह जानना जरूरी है कि एंडोसोम का बनना शरीर का नैचुरल प्रॉसेस है। इस प्रॉसेस के जरिए सेल्स खून में बह रहे पोषक तत्वों (विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि) को खोल के अंदर बंद करके इनसे पोषण प्राप्त करते हैं। मगर शरीर के इसी नैचुरल प्रॉसेस को हाइजैक करके वायरस भी सेल्स के अंदर घुसने में कामयाब हो जाते हैं।
एक बार जब वायरस एंडोसोम में बंद हुआ, तो ये सेल को अंदर तक घुसता चला जाता है और काफी गहराई में पहुंचने के बाद ये वायरस अपना जेनेटिक मटेरियल छोड़ने लगता है। यहां आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि शरीर की सभी सेल्स में एक खास तरह का तरह पदार्थ मौजूद होता है। इसी तरल पदार्थ में ये वायरस अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर देते हैं। जैसे-जैसे इस वायरस की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे इंसान में इंफेक्शन के लक्षण दिखना शुरू होते हैं। शरीर के अंदर या बाहर दिखने वाले ज्यादातर लक्षण इस वायरस से शरीर के लड़ने का परिणाम होते हैं।"
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डेंगू के लक्षण क्या हैं?
डॉ राम आशीष बताते हैं कि डेंगू के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं इसलिए बहुत सारे लोग इसे वायरल या मौसमी बदलाव के कारण होने वाली समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। अगर किसी व्यक्ति को 2-3 दिनों तक निम्न लक्षण नजर आएं, तो उसे डॉक्टर से मिलकर जांच जरूर करानी चाहिए।
- तेज बुखार
- शरीर में दर्द
- ठंड लगना
- पेट दर्द
- भूख कम लगना
- थकान रहना
- शरीर में चकत्ते आना आदि।
डेंगू के इन लक्षणों को इस मौसम में बिल्कुल नजरअंदाज न करें। अगर आपके आसपास डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं, तो मच्छरों से बचने का प्रयास करें। इसके लिए किसी अन्य उपाय की अपेक्षा मच्छरदानी का प्रयोग सबसे ज्यादा सुरक्षित है। इसके साथ ही इम्यूनिटी यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छा रखने के लिए डाइट में खट्टे फल, रंग-बिरंगी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, अनाज, दाल, सीड्स आदि को शामिल करें।
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