इंफेक्शन से बचाव के लिए जन्म के बाद ऐसे रखें शिशु के गर्भनाल की देखभाल

जन्म के बाद शिशु के गर्भनाल की देखभाल बहुत ही जरूरी होता है। ताकि यह जल्द से जल्द सूख जाए और संक्रमण से भी बचा रहे। आइए जानते हैं इस बारे में-
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इंफेक्शन से बचाव के लिए जन्म के बाद ऐसे रखें शिशु के गर्भनाल की देखभाल


नाभि हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण और काफी छोटा हिस्सा होता है। इसी के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे तक मां के शरीर से आवश्यक पोषण पहुंचता है। जन्म के बाद शिशु के गर्भनाल को मां के शरीर से काटकर हटा दिया जाता है। लेकिन शिशु के गर्भनाल का कुछ हिस्सा शरीर के बाहर कुछ समय तक रहता है, जो धीरे-धीरे टूटकर गिर जाता है और सूख जाता है। ऐसे में जब तक यह गर्भनाल अच्छे से सूख न जाए, तब तक इसकी अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। ताकि इसमें किसी भी तरह का इंफेक्शन न पनपे। अगर इस दौरान गर्भनाल की अच्छे से देखभाल न की जाए, तो यह शिशु के लिए काफी नुकसानदेय हो सकता है। आइए जानते हैं जन्म के बाद शिशु के गर्भनाल की कैसे करें देखभाल? 

जन्म के बाद कितने दिनों तक अलग हो जाता है गर्भनाल?

शिशु के जन्म के बाद लगभग 5 से 10 दिनों के बीच गर्भनाल अलग हो जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में इसे अच्छी तरह से अलग होने में तीन सप्ताह या इससे अधिक का समय लग सकता है। ऐसे में माता-पिता को शिशु के गर्भनाल की अच्छे से देखभाल की आवश्यकता होती है। 

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गर्भनाल को रखें सूखा

जन्म के बाद बच्चे के ठूंठ को हमेशा सूखा रखें। इसे पानी के संपर्क से दूर रखें। वहीं, हवा के संपर्क में लाएं। ताकि यह जल्द से जल्द सूखे। ध्यान रखें कि शिशु को डायपर पहनाते वक्त ठूंठ के हिस्से को ढके नहीं। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो बच्चे के गर्भनाल को हवा नहीं मिलेगी। इससे गर्भनाल सूखने में काफी परेशानी हो सकती है। सबसे बेहतर उपाय है कि डायपर के उस हिस्से को काटकर अलग कर दें। इससे कमर के नीचे तक ही डायपर रहेगा। वहीं, मूत्र के संपर्क में गर्भनाल को न लाएं।

सफाई है जरूरी

शिशु के गर्भनाल की रोजाना सफाई करें। इसके लिए पानी को अच्छे से उबालकर इसे ठंडा करें। अब इस पानी में रुई को भिगो लें। इसके बाद इस रुई से बच्चे की गर्भनाल अच्छे से पोछें। ध्यान रखें कि हर बार पोछने के लिए नई रुई का इस्तेमाल करें। वहीं, जब तक कि नाल का निचला हिस्सा अच्छी तरह से साफ न हो जाए, तक तक नाल को अच्छी तरह से  पोछें। नाल में ब्लीडिंग से बचाव के लिए हल्के और धीरे हाथों से नाल की सफाई करें। 

एंटीसेप्टिक का प्रयोग

गर्भनाल को साफ करने के लिए हमेशा उबले पानी का इस्तेमाल करें। इसके बाद इसमें एंटीसेप्टिक दवाएं लगा सकते हैं। इससे संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। ध्यान रखें कि एल्कोहल युक्त एंटीसेप्टिक न लगाएं, इससे नाल को सूखने में वक्त लग सकता है। 

नैपी को रखें ढीला

नाल को सूखाने के लिए पर्याप्त हवा की आवश्यकता होती है। ऐसे में नैपी को बहुत ही ज्यादा कसकर न लपेटें। अगर आप इसे कसते हैं, तो इसमें रगड़ भी पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में ब्लीडिंग होने की संभावना अधिक रहती है। 

कपड़ो चुनते समय रखें ध्यान

बच्चे को हमेशा सूती और ढीला कपड़ा पहनाएं, ताकि नाभी में कसाव न हो। कपड़ा अगर सूती रहता है, तो इससे नाल को पर्याप्त रूप से हवा मिलती है। जिससे नाल जल्द से जल्द सूख सकता  है। कभी भी बच्चे को पॉलिस्टर या फिर फैशनेबल कपड़ा न पहनाए, इससे ब्लीडिंग की संभावना हो सकती है।

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गर्भनाल को समय पर सुखाने और संक्रमण से बचाने के लिए आपको इन उपायों को फॉलो करने की आवश्यकता है। ताकि किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचा जा सके।

 

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