
नवजात बच्चे की देखभाल के दौरान पैरेंट्स काफी सजग रहते हैं। एक छोटी सी गलती की वजह से नवजात शिशु को नुकसान हो सकता है। कई बार हम देखते हैं कि बच्चे जब सोकर उठते हैं, तो अपनी आंखें खोल नहीं पाते हैं। साथ ही उनकी आंखों के पास पीले रंग का चिपचिपा पदार्थ भी दिखाई देता है। जब शिशु इस स्थिति में अपनी आंखें खोल नहीं पाते हैं, तो बहुत ध्यान से कॉटन की मदद से उनकी आंखों को खोलना चाहिए ताकि पलक या आंखों को कोई नुकसान न हो। हालांकि अगर ऐसा एक-दो होता है, तो इसमें ज्यादा घबराने की बात नहीं है लेकिन अगर यह समस्या आपके बच्चे के साथ बार-बार हो रही है, तो आपको ये समझने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है, तभी हम इसके उपायों के बारे में समझ सकेंगे। बच्चों की आंखें चिपक क्यों जाती है, इसके कारण और लक्षण के बारे में विस्तार से बता रहे हैं गुड़गांव आर्टेमिल अस्पताल के चीफ पीडियाट्रीशियन डॉ राजीव छाबड़ा।
शिशुओं की आंखें चिपकने के कारण
1. शिशुओं में आंसू की नली छोटी होती है, तो बार-बार आंसू जमा हो जाने के कारण भी आंखे चिपचिपी हो सकती है।
2. जन्म के दौरान जब बच्चा मां के योनि से गुजरता है, तो उस समय भी संक्रमण की चपेट में आ सकता है।
3. इसके अलावा अगर आपके घर में किसी को आंखों में इंफेक्शन हो गया है और वह बच्चे को छूते हैं, तो इससे भी बच्चे में इंफेक्शन फैलने की आशंका होती है।
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आंखें चिपकने के लक्षण
1. आंखों के पास पीले या सफेद तरल पदार्थ का दिखना।
2. आंखों के आसपास या नीचे हल्की लालिमा और सूजन भी हो सकती है।
3. सोकर उठने पर आंखें खोलने में परेशानी होना।
4. कभी-कभी आंखों के पास हरे रंग का पानी दिखना।
5. आंखों में जलन के कारण बच्चे का रोना।
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बच्चे की चिपकी हुई आंखों को ऐसे साफ करें
1. स्टरलाइज पानी का उपयोग
स्टरलाइज्ड पानी से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ करें। फिर स्टरलाइज्ड पानी को हल्का गुनगुना कर लें और स्टरलाइज्ड कॉटन को पानी में पूरी तरह से भिगोकर बच्चे की आंखों को सावधानी से साफ करें। कॉटन बॉल को आंखों के अंदरूनी कोने में धीरेसे थपथपाकर पोंछना शुरू करें और धीरे-धीरे आंखों के बाहरी कोने को भी साफ करें। इसके लिए बच्चे के सिर चिपकी हुई आंखें वाले हिस्से को और झुका लें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं, तब तक बच्चे की आंखें अच्छे से साफ न हो जाए और बच्चा आंख न खोल लें। ध्यान रहे कि अगर आप दोबारा बच्चे की आंख साफ कर रहे हैं, तो कॉटन बॉल बदल लें।
2. सलाइन वॉटर
स्लाइन वॉटर की मदद से भी बच्चे की आंखों को साफ किया जा सकता है। इससे जीवाणु संक्रमण से बचा सकता है और आंखों का पीलापन भी कम हो सकता है। कॉटन बॉल को स्लाइन वॉटर में भिगोकर अच्छे से बेबी की आंखों को साफ करना चाहिए।
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3. एंटीबायोटिक
बच्चे की आंखों को साफ रखने के लिए आप डॉक्टर की सलाह के बाद आई ड्रॉप या एंटीबायोटिक दवाएं डाल सकते हैं। इससे आंखों कम चिपक सकती है लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर की सलाह अनुसार ही एंटीबायोटिक की खुराक बच्चे को दें।
4. मालिश
आंखों और नाक के पास अच्छे से मालिश करने से भी सूजन और दर्द में बच्चे को काफी आराम मिलता है। आंखों के चिपकने की समस्या भी कम हो सकती है। इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकते हैं।
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डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कब है
इन उपायों के बावजूद अगर परेशानी बनी हुई और बच्चे के आंखों में गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आपको उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। गंभीर लक्षणों में बच्चे की आंखों का लाल होना, खुजली, बुखार, आंखों में पानी आना, सूजी हुई पलकें, लंबे समय तक आंखें चिपचिपी रहना, लाइट में बच्चे की आंखें छोटी हो जाना, नाक में सूजन और 1 साल तक यह दिक्कत बनी हुई है, तो आपको बिना देर किए बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते है, तो शायद समस्या गंभीर हो सकती है। अपने स्तर पर कोई अनावश्यक घरेलू उपचार करने से बचें। विशेषज्ञ की सलाह पर ही बच्चे की आंखों में कुछ डालें।